टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली ( 24 नवंबर 2024)
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को एक निजी न्यूज चैनल से वार्तालाप के दौरान स्पष्ट किया कि उनका राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वे ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे, जिससे उनके न्यायिक कार्यों और न्यायपालिका की साख पर सवाल उठे। चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के 50वें CJI के रूप में अपने पद से रिटायर हुए थे।
जजों की भूमिका पर समाज की धारणा
पूर्व CJI से पूछा गया कि क्या सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को राजनीति में आना चाहिए। उन्होंने जवाब दिया कि भले ही संविधान और कानून इसे रोकता नहीं है, लेकिन समाज न्यायाधीशों को कानून के संरक्षक के रूप में देखता है। उनका मानना है कि जजों की जीवनशैली ऐसी होनी चाहिए, जो न्यायपालिका के आदर्शों के अनुरूप हो।
सोशल मीडिया ट्रोलिंग का खतरा
चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ट्रोलर्स न्यायिक फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लोकतंत्र में कानूनों की वैधता पर निर्णय लेने का अधिकार संविधान द्वारा न्यायालय को दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आजकल लोग सोशल मीडिया पर केवल 20 सेकेंड के वीडियो देखकर राय बना लेते हैं, जो न्यायिक प्रक्रियाओं की गंभीरता को कमतर करता है।
नीति निर्माण और न्यायपालिका की भूमिका
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र में नीति निर्माण सरकार का काम है, लेकिन जब यह मौलिक अधिकारों से टकराता है, तो कोर्ट का दायित्व बनता है कि वह हस्तक्षेप करे। हालांकि, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच यह संतुलन कई बार तनावपूर्ण हो सकता है।
एक प्रेरणादायक विदाई
8 नवंबर को चंद्रचूड़ के आखिरी वर्किंग डे पर सुप्रीम कोर्ट में सेरेमोनियल बेंच का आयोजन हुआ। अपनी विदाई के मौके पर उन्होंने अपनी मां और पिता द्वारा सिखाई गई नैतिकता की सीख साझा की। उन्होंने अपने पिता के एक पुराने किस्से का जिक्र किया, जिसमें उनके पिता ने कहा था, “कभी भी अपनी ईमानदारी और नैतिकता से समझौता मत करना, भले ही हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों।”
10 नवंबर को रिटायर होने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर को देश के 51वें CJI के रूप में शपथ ली।