टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (23 नवंबर 2024): दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी के बुनियादी ढांचे को नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप विकसित करने में विफल रहने पर प्रशासन और राजनेताओं को कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोरा की पीठ ने टिप्पणी की कि शहर में प्रशासन लगभग ध्वस्त हो चुका है, और राजनेता केवल “नारे बेचने” और मुफ्त सुविधाएं बांटने में व्यस्त हैं।
बुनियादी ढांचे की दुर्दशा पर अदालत की सख्त टिप्पणी
मद्रासी कैंप, जंगपुरा के निवासियों की बेदखली के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि दिल्ली को इस वर्ष कई संकटों का सामना करना पड़ा है, जिनमें पानी की कमी, बाढ़, और बढ़ती आबादी से उत्पन्न दबाव शामिल हैं। अदालत ने इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए।
मुफ्त योजनाओं पर ज्यादा जोर, बुनियादी विकास की अनदेखी
कोर्ट ने कहा कि राजनेता समस्या समाधान के बजाय मुफ्त योजनाओं और लोकप्रिय नारों पर ध्यान दे रहे हैं। अदालत ने दुख व्यक्त किया कि ना तो राजनेता धन एकत्र करने में सक्षम हैं, और ना ही उसका सही उपयोग कर रहे हैं। 3.3 करोड़ से अधिक की आबादी वाले इस शहर के लिए बुनियादी ढांचे के विकास हेतु बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है।
पुनर्वास प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश
याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की कि झुग्गी निवासियों को पुनर्वास का कोई विकल्प दिए बिना बेदखली के नोटिस दिए गए हैं। इस पर अदालत ने प्रशासन को पुनर्वास प्रक्रिया तेज करने और समय सीमा का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
अदालत ने नगर निगम जैसे संस्थानों की लापरवाही पर भी चिंता जताई और कहा कि उनके कर्तव्यों की अनदेखी के कारण न्यायपालिका पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को तय की है और उम्मीद जताई कि प्रशासन ठोस कदम उठाएगा।।
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