टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (21 अक्टूबर 2024): बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज काफी सुर्खियों में हैं। हाल ही में प्रशांत किशोर ने एक बयान दिया कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी ऐसी स्थिति बनाएगी कि बाकी पार्टियों के नेता अपना बोरिया बिस्तर समेटकर चले जाएंगे।
टेन न्यूज की टीम ने बिहार की सियासत पर कांग्रेस नेता एवं पूर्व IPS करुणा सागर से बातचीत की। उन्होंने प्रशांत किशोर के बयान को बड़बोलापन करार देते हुए कहा, “कोई भी राजनीतिक दल ऐसी बातें नहीं करता है। कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों का इतिहास बहुत पुराना है। कांग्रेस पार्टी 1885 से चली आ रही है। ऐसी पार्टियों के बेकार हो जाने की बात कहना गंभीर नहीं है।”
करुणा सागर ने आगे कहा, “बिहार में चार उपचुनाव होने जा रहे हैं और जनसुराज भी अपने कैंडिडेट उतारने जा रही है। इन उपचुनावों में ही पता चल जाएगा कि प्रशांत किशोर की बातों को या उनके व्यक्तित्व को बिहार की जनता कितनी गंभीरता से ले रही है। यह उपचुनाव प्रशांत किशोर की पार्टी के लिए पहली बड़ी परीक्षा होगी।”
प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा पैदा की है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में कई नए चेहरे शामिल हो रहे हैं। लेकिन करुणा सागर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी पार्टी में ऐसे लोग शामिल हो रहे हैं जो पहली बार किसी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। लेकिन उन्हें शायद कांग्रेस पार्टी का इतिहास नहीं पता। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्षों ने देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
करुणा सागर ने यह भी कहा कि प्रशांत किशोर ने बिहार के लिए अब तक क्या किया है? “सत्ता की कुर्सी का रास्ता संघर्ष के माध्यम से जाता है, लेकिन प्रशांत किशोर की राजनीति में जुझारूपन नहीं है। उनकी राजनीति एकेडमिक और स्ट्रैटेजिस्ट की राजनीति लगती है।”
उन्होंने कहा, “23 नवंबर को काउंटिंग होगी और तब पता चल जाएगा कि प्रशांत किशोर की पार्टी कितनी सफल होती है। लेकिन अभी तक तो उनकी राजनीति में बड़बोलेपन की बू आती है।”
करुणा सागर के बयान से साफ है कि प्रशांत किशोर की राजनीति पर सवाल उठने लगे हैं और उनकी पार्टी की सफलता को लेकर भी संदेह है। उन्होंने कहा, “बंद कमरे में काम करना और चुनाव में जाकर जनता की समस्याओं को सुनना अलग है।” कांग्रेस नेता का कहना है कि बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतें प्रशासन की विफलता को दर्शाती हैं। छपरा में हुई मौतें शराबबंदी की विफलता को उजागर करती हैं।
ज्ञात हो कि बिहार में चार सीटों पर उपचुनाव होना है इस बाबत बिहार की सियासत काफी गरमा गई है। आरोप – प्रत्यारोप का दौर जारी है।।
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