10 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: विश्व उच्च शिक्षा और विकास अकादमी, W-AHEAD ने 5 और 6 अक्टूबर 2024 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में विश्व शिक्षक दिवस के उत्सव के साथ साथ उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। शिखर सम्मेलन का उद्घाटन हरे कृष्णा मिशन ISCON के अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी मोहन रूपा दास ने किया । इस सम्मेलन में शिक्षा और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने बढ़ी संख्या में भाग लिया।
उच्च शिक्षा सम्मेलन के दौरान दो पैनल सत्र आयोजित किए गए, जिनमें “शांति, सद्भाव और कार्य और उद्यमिता के भविष्य के लिए कौशल के साथ युवाओं को सशक्त बनाना” और “सतत विकास में उच्च शिक्षा और सामुदायिक विकास का महत्व” जैसे सामायिक विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। प्रख्यात वक्ताओं में ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी नागालैंड के चांसलर प्रोफेसर श्याम नारायण पांडे, कुमार मंगलम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सीएस दुबे, संगम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर वीके गोस्वामी, आईई(आई) दिल्ली केंद्र के पूर्व सचिव प्रोफेसर एचआरपी यादव, एनएसयूटी नई दिल्ली की निदेशक डॉ प्रेरणा गौर, एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (हाइड्रो) इंजीनियर एसएन त्रिपाठी, वर्ल्ड एकेडमी ऑफ प्रोडक्टिविटी साइंसेज के वरिष्ठ सलाहकार डॉ सुनील अबरोल, अंबेडकर कॉलेज, डीयू के पूर्व प्रिंसिपल डॉ जीके अरोड़ा, एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज की निदेशक डॉ संजना विज, एनएसयूटी के डॉ मनीष कुमार, एनआईटी पटना के डॉ शैलेश पांडे और लोटस टेंपल के राष्ट्रीय ट्रस्टी एवं सचिव डॉ एके मर्चेंट शामिल थे। ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर डॉ उत्कर्ष शर्मा ने स्वागत भाषण दिया।
उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि परम पूज्य स्वामी मोहन रूप दास ने विश्व उच्च शिक्षा एवं विकास अकादमी द्वारा मानवता के लिए एक आनंदमय और उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए उच्च शिक्षा की भूमिका को गहराई से समझने के लिए की गई पहल की सराहना की। इस संदर्भ में जबकि उच्च शिक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी की निरंतर उन्नति एवं असाधारण विकास के माध्यम से उद्योगों और कॉर्पोरेट्स को तेज गति प्रदान करने के लिए व्यवस्था की गई है, वहीं मानव निर्माण के महान उद्देश्य के लिए उच्च शिक्षा को संरेखित करना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण होता जा रहा है। उच्च शिक्षा में आध्यात्मिकता का समावेश आधुनिक डिजिटल युग के अनुरूप नैतिकता और कर्तव्य पारायणता को विकसित करने की आवश्यकता है। आध्यात्मिक ज्ञान इस जरूरत को पूरा करने का एक व्यवहार्य तरीका प्रदान करता है, जिसमें सद व्यवहार के लिए बिना शर्त प्रतिबद्धता और वैश्विक रूप से लागू नैतिकता और नैतिक मानकों का अनुपालन करना और करना शामिल है।
स्वामी जी ने याद दिलाया कि सर्वशक्तिमान भगवान कृष्ण ने हम सभी को समाज, राष्ट्र, वैश्विक मानवता और धरती माता की सेवा के लिए पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ चुना है। यह ईश्वर की इच्छा है कि हम सभी अपने कर्मों और उनके फलों से बिना जुड़े रहते हुए मानवता की सेवा के लिए अपनी क्षमता अनुरूप पहल करें और अच्छे कर्मों में संलग्न हों। महाभारत और रामायण से कई उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने महाभारत युद्ध में अभिमन्यु, रामायण में जटायु, रामसेतु पुल बनाने में मदद करने वाली गिलहरियों की पहल और उनके द्वारा सराहनीय एवं साहसिक कार्यों का वर्णन किया, और इस बात पर प्रकाश डाला कि मानवता की सेवा में अच्छे कर्म कोई भी कर सकता है, चाहे वह किसी भी स्तर और पदानुक्रम में क्यों न हो।
स्वामी जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि ईश्वर हमें हमारे अच्छे कर्मों के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित और समर्थन करते हैं और हमें सफलता और गौरव प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। स्वामी मोहन रूपा दास जी ने कहा कि यह ईश्वरीयता ही है जिसे उच्च शिक्षा में आध्यात्मिकता के समावेश के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए। ईश्वर की एकमात्र इच्छा होती है कि हम अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए वासना मुक्त और लालच और स्वार्थी हितों से पूरी तरह मुक्त रहें। भगवान कृष्ण द्वारा भगवद गीता में बताए गए “योग कर्मषु कौशलम्” और “योगस्थ कुरु कर्माणि, संगम त्यक्तया धनंजय” के अनुसार उत्कृष्टता की खोज में हर समय अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर अथक परिश्रम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
विश्व शिक्षक दिवस के इस दिव्य अवसर पर स्वामीजी ने राष्ट्र और वैश्विक मानवता की व्यापक सामूहिक भलाई के लिए उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रख्यात शिक्षाविदों और कॉर्पोरेट पेशेवरों को फेलो ऑफ द एकेडमी के मानद पुरस्कार भी प्रदान किया। अकादमी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में प्रोफेसर प्रगति कुमार, कुलपति माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटरा, प्रोफेसर सीएस दुबे, पूर्व कुलपति कुमार मंगलम विश्वविद्यालय, प्रोफेसर वीके गोस्वामी, संगम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रोफेसर एसके गर्ग, विभागाध्यक्ष डीएसएम डीटीयू, प्रोफेसर मुकेश खरे प्रोफेसर एमेरिटस आईआईटी दिल्ली, डॉ रुचिका मल्होत्रा, विभागाध्यक्ष एसडब्ल्यूई, डीटीयू, प्रोफेसर एचआरपी यादव, पूर्व सचिव आईई(आई) दिल्ली केंद्र, डॉ प्रेरणा गौर, निदेशक एनएसयूटी नई दिल्ली, डॉ सुनील अबरोल, वरिष्ठ सलाहकार वर्ल्ड एकेडमी ऑफ प्रोडक्टिविटी साइंसेज, डॉ जीके अरोड़ा, पूर्व प्राचार्य अंबेडकर कॉलेज, डीयू, डॉ जयगोपाल शर्मा, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, डीटीयू, डॉ संजना विज, निदेशक एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज, प्रोफेसर बी चंद्रा, आईआईटी दिल्ली, डॉ मनीष कुमार, एनएसयूटी, डॉ शैलेश पांडे, एनआईटी पटना, श्री अंशुमान वर्मा, सीईओ वेंचर इनक्यूबेटर एआईवीयू और डॉ एके मर्चेंट, राष्ट्रीय ट्रस्टी और सचिव लोटस टेंपल शामिल थे।
शिखर सम्मेलन का आयोजन IIEE, GPF India और W-AHEAD द्वारा संयुक्त रूप से 5 और 6 अक्टूबर 2024 को IIC, नई दिल्ली में किया गया। आयोजन समिति के अध्यक्ष इंजी. दिनेश कुमार, पूर्व ई-इन-सी, पीडब्ल्यूडी दिल्ली और आयोजन सचिव डॉ एचआरपी यादव, पूर्व महानिदेशक, IE (I) और सचिव IE (I) थे ।
W-AHEAD के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ प्रियरंजन त्रिवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि “जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, यह जरूरी है कि विश्वविद्यालय नवाचार, स्थिरता और शांति के शक्तिशाली इंजन बनें। कल के विश्वविद्यालयों के लिए मास्टर प्लान को लागू करके, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उच्च शिक्षा संस्थान न केवल ज्ञान प्रदान करें बल्कि हमारे युवाओं को उचित एवं उत्कर्ष कौशल प्रदान करें जिससे हमारे राष्ट्र और दुनिया के भविष्य को उज्ज्वल एवं समृद्धि युक्त बनाया जा सके। हमारे साझा प्रयासों के माध्यम से, हम 2047 तक एक ऐसे विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार कर सकते हैं जो शांतिपूर्ण, समृद्ध और समन्वित विकास का उत्कर्ष उदाहरण हो। आइए इस शिखर सम्मेलन में सभी के लिए एक उज्जवल भविष्य के निर्माण में हमारे सामूहिक प्रयासों का मार्गदर्शन करने के लिए एक रोडमैप विकसित करें”।
विश्व शिक्षक दिवस-2024 के अवसर पर बोलते हुए, W-AHEAD के अध्यक्ष और DTU और RGPV के संस्थापक कुलपति, AIU के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में AUH के कुलपति प्रोफेसर पीबी शर्मा ने कहा, “अपने सपनों का भारत बनाने के लिए, हमें अपने विश्वविद्यालयों के लिए ऐसे सफल नेतृत्व की आवश्यकता है जो शिक्षा और अनुसंधान के एकीकरण को बढ़ावा दे, अंतःविषय शिक्षा और अनुसंधान का समर्थन करे और समाधान अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता के द्वीप के रूप में नए नए आयामों को सफलता पूर्वक सम्पन्न करें। विश्वविद्यालयों का ध्यान अनिवार्य रूप से ज्ञान विज्ञान और प्रज्ञान के निरंतर विकास, परिणाम-आधारित अनुसंधान एवं विकास और अनुसंधान एवं नवाचारों को सामयिक बनाकर उन्हें उद्योग जगत के लिये विकसित करने के अलावा, एक संस्कारित एवं सक्षम यूवा पीड़ी के निर्माण पर होना चाहिए”।
शिखर सम्मेलन में नौकरियों के भविष्य और नए युग की उद्यमिता, स्थिरता, शांति और सद्भाव के लिए कौशल के लिए उच्च शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया ।
शिखर सम्मेलन का समापन उच्च शिक्षा और विकास पर नई दिल्ली घोषणापत्र के अनुकूलन के साथ हुआ जिसमें विकसित भारत@2047 के लिए युवा दूतों की तैयारी के लिए रोड मेप भी प्रस्तुत किया गया। इस रोड मेप मैं समग्र शिक्षा, कौशल विकास, शांति और संघर्ष समाधान, नागरिक जिम्मेदारी, वैश्विक नागरिकता विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ साथ शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए उच्च शिक्षा के लिए एक कार्यपालन भी शामिल था।
इस मास्टर प्लान के तहत दिल्ली के चुने हुए स्कूल्स तह महाविद्यालयों में युवा छात्र छात्राओं को विकसित भारत मिशन के लिए अकादमी W-AHEAD द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।