नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड में भारी वित्तीय अनियमितताओं की मुख्य सतर्कता आयुक्त से जांच कराने की मांग करते हुए CVC को पत्र लिखा है। CVC को भेजे पत्र में उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड में जानबूझकर की गई वित्तीय अनियमितताओं के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
नेता प्रतिपक्ष ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की नीयत में खोट है और इसीलिए सरकार ने 2018 के बाद जान बूझकर दिल्ली जल बोर्ड की बैलेंस शीट नहीं बनवाई ताकि बोर्ड में किये भ्रष्ट्राचार की भनक किसी को न मिले। उन्होंने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के दखल के बाद सरकार ने पहले तीन साल की बैलेंस शीट तो बनवा ली, लेकिन अगले दो साल यानी 2021-22 और 2022-23 की बैलेंस शीट को पेंडिंग कर दिया। गुप्ता ने कहा कि इसीलिए अभी तक जल बोर्ड के खर्चे का CAG द्वारा ऑडिट नहीं किया जा सका। इससे यह साफ तौर पर ज़ाहिर हो रहा है कि इसके पीछे वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को छिपाने की गहरी साजिश रची गई है।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव ने 15 मार्च 2024 को दिल्ली के जल मंत्री को दिल्ली जल बोर्ड पर 73000 करोड़ रुपये के कर्ज पर एक विस्तृत रिपोर्ट दी थी, जिसमें बहुत सारे कारणों और वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी दी गई थी, लेकिन अपनी कारगुजारियों को छिपाने के लिए मंत्री महोदय ने इसे अपने आफिस की अलमारी में ही दबाकर रख दिया और विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया। क्योंकि वो जानते थे कि यदि यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई तो इसकी कॉपी विपक्षी सदस्यों को भी देनी पड़ेगी और हमारी वित्तीय गड़बड़ियों का खुलासा हो जाएगा।
गुप्ता ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दिल्ली जल बोर्ड को 2015 से लेकर अब तक 28,500 करोड़ रुपये की धनराशि अनेक कामों के लिए दी गई थी, लेकिन यह राशि किन किन कामों में खर्च हुई, इसका हिसाब किताब कहीं नहीं है। क्योंकि बिना बैलेंस शीट और ऑडिट के इन खर्चों का पता ही नहीं चल पाएगा और शायद सरकार की मंशा भी ऐसी ही है, तभी बैलेंस शीट तैयार नहीं की जा रही है और जान बूझकर इसमें देर की जा रही है
गुप्ता ने यह भी बताया कि दिल्ली जल बोर्ड को बजट में जितना फण्ड दिया जाता है, उसको भी पूरे तरीके से बोर्ड खर्च नहीं कर पाता जैसा कि 2021-22 में आवंटित फंड में से 210 करोड़ रुपये खर्च नहीं किये गए और अगले साल 2022-23 के बजट में जो भी राशि दी गई उसमें से 3,035 करोड़ रुपये खर्च नहीं किये जा सके।
दिल्ली जल बोर्ड पर पिछले कई सालों से बढ़ते जा रहे कर्ज, जो वर्तमान में 73,000 करोड़ हो गया है, के बारे में गुप्ता ने बताया कि इतने बड़े कर्ज़ को न चुका पाने के बारे में बोर्ड ने बहुत बार दिल्ली सरकार को बताया, लेकिन सरकार की निष्क्रियता पर्दे के पीछे के खेल की तरफ इशारा कर रही है।
इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों को दिए गए वित्तीय अधिकारों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिशासी अभियंता को पहले 50 लाख रुपये तक के काम करवाने के जो अधिकार दिए गए थे, उन्हें 2020 में तत्कालीन जल मंत्री सत्येंद्र जैन और फिर 2023 में तत्कालीन मंत्री सौरभ भारद्वाज के आदेश के बाद मंत्रियों ने क्यों अपने हाथ में ले लिया। इसके चलते तमाम छोटे छोटे कामों के लिए अधिकारियों को मंत्री के आफिस से मंजूरी का इंतजार करना पड़ता है, जिससे कामों को पूरा होने में बहुत वक्त लग जाता है।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) से इस मामले की जांच करवाने की मांग की है ताकि जांच के बाद यह साफ हो जाये कि इन वित्तीय अनियमितताओं के कारण हुए भ्रष्टाचार का पैसा किस किस की जेब में गया है।