भारत, 29 अगस्त, 2024: दुनिया की शीर्ष 100 यूनिवर्सिटीज़ में शुमार ब्रिटेन की साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी, भारत सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली यूके यूनिवर्सिटी बन गई है। इसके तहत यूनिवर्सिटी द्वारा भारत में पूर्ण विकसित कैम्पस स्थापित किया जाएगा।
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से लाइसेंस मिलना साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यूनिवर्सिटी को भारत में विश्व की प्रमुख शिक्षा, रिसर्च, नॉलेज एक्सचेंज और एंटरप्राइज़ को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
यूनिवर्सिटी भारत में 5 दशकों से भी अधिक समय से सक्रिय है। देश में इसकी विभिन्न साझेदारियाँ हैं, जो परस्पर रूप से दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हैं। नया कैम्पस साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्च सहयोग और प्रभाव को बढ़ाकर तथा शिक्षण साझेदारी का विस्तार करके उपरोक्त संबंधों को और भी मजबूत बनाएगा। इससे छात्रों और कर्मचारियों को गतिशीलता मिलेगी तथा स्थानीय लोगों और सामुदाय की सहभागिता सुनिश्चित होगी। इस कैम्पस का उद्देश्य विश्व स्तर पर विशिष्ट और सर्वोच्च कौशल वाले स्नातक तैयार करना है, ताकि भारत की बढ़ती ज्ञान अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा सके। यह कैम्पस स्थानीय यूनिवर्सिटीज़, इंडस्ट्रीज़ और सरकार के साथ शोध और ज्ञान के आदान-प्रदान पर भी सहयोग करेगा। साथ ही, प्राप्त जानकारियों को लागू भी करेगा, जिससे सामाजिक और आर्थिक प्रभाव तथा अधिक उद्यमशील और अभिनव वातावरण को बढ़ावा मिलेगा।
घोषणा पर बोलते हुए, मार्क ई. स्मिथ, प्रेसिडेंट और वाइस चांसलर, साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी, ने कहा, “21वीं सदी में, यूनिवर्सिटीज़ को वैश्विक रूप से खुद को स्थापित करने के लिए भारत से जुड़ने की आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य भारत में एक ऐसे कैम्पस की स्थापना करना है, जो भारत और साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी दोनों के लिए लाभकारी हो, और भारत की बढ़ती प्रतिभा को साउथेम्प्टन की शीर्ष शिक्षा, शोध और नवाचार का एक नया स्तर प्रदान करे।”
उन्होंने आगे कहा, “इस नए कैम्पस के साथ, साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी भारत के युवाओं की क्षमता और प्रतिभा को प्रखर रखते हुए भारत सरकार के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करेगी।”
प्रोफेसर एंड्रयू एथरटन, वाइस-प्रेसिडेंट, इंटरनेशनल और इंगेजमेंट, ने कहा, “साउथेम्प्टन दिल्ली एनसीआर यूनिवर्सिटी भारत का पहला व्यापक इंटरनेशनल कैम्पस होगा, जो न सिर्फ अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारतीय उच्च शिक्षा में वैश्विक पहलू भी जोड़ेगा। इसके माध्यम से छात्रों को स्थानीय स्तर पर शिक्षा की शीर्ष 100 डिग्रीज़ हासिल करने का मौका मिल सकेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हम उच्च कौशल वाले स्नातक तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो भारत की ज्ञान अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में अपना विशेष योगदान देंगे। हम शोध पर स्थानीय यूनिवर्सिटीज़, इंडस्ट्रीज़ और सरकार के साथ भी सहयोग करेंगे, ताकि वास्तविक रूप से सामाजिक और आर्थिक प्रभाव स्थापित किए जा सकें।”
उन्होंने कहा, “यह भारत और हमारी यूनिवर्सिटी दोनों के लिए एक रोमांचक प्रोजेक्ट है। हम भारतीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, शिक्षा मंत्रालय, ब्रिटिश उच्च आयोग, भारतीय उच्च आयोग और ब्रिटिश काउंसिल द्वारा हमारे प्रस्ताव पर विश्वास करने के लिए उनके आभारी हैं।”
भारत में ब्रिटिश उच्च आयुक्त लिंडी कैमरून ने कहा, “साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी का नया कैम्पस विश्व स्तर की शिक्षा और नवाचार का केंद्र होगा। इसके माध्यम से, ब्रिटिश छात्रों को भी भारत में रहने और शिक्षा अर्जित करने के अवसर मिल सकेंगे, जिससे शैक्षिक उत्कृष्टता बढ़ेगी और हमारे दोनों देशों के बीच संबंध और भी गहरे होंगे।”
ब्रिटिश काउंसिल की भारत निदेशक एलिसन बैरेट एमबीई ने कहा, “साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी द्वारा भारत में कैम्पस स्थापित करने का निर्णय भारत और यूके के बीच शिक्षा की मजबूत साझेदारी का प्रमाण है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह ऐतिहासिक विकास शिक्षा, शोध और नवाचार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लिखित है। यह हमारे इस विश्वास को प्रबल करता है कि शिक्षा विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ती है और युवाओं के उज्जवल भविष्य को आकार देती है।”