टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (13 जुलाई, 2024): सन 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी को देखते हुए 25 जून को इसके तहत विरोध प्रदर्शन देखने को मिलता है। इस बार संसद और चुनावी प्रचार में भी संविधान बचाओ जैसे नारे लगातार देखने को मिले और यह वाक्य फिर एक बार गरमाता हुआ दिख रहा है। इस बार 25 जून को प्रतिवर्ष संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। गृह मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी की है।
इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि 25 जून को Samvidhaan Hatya Diwas देशवासियों को याद दिलाएगा कि संविधान के कुचले जाने के बाद देश को कैसे-कैसे हालात से गुजरना पड़ा था। यह दिन उन सभी लोगों को नमन करने का भी है, जिन्होंने आपातकाल की घोर पीड़ा झेली। देश कांग्रेस के इस दमनकारी कदम को भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रखेगा।
इस विषय पर कल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान सामने आया जिसमें उन्होंने लिखा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।
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