नई दिल्ली। दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पावर परचेज एडजस्टमेंट चार्जेज के नाम पर दिल्ली में बिजली के बिलों में बेतहाशा बढ़ोतरी को खुली लूट बताया है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी सरकार की मिलीभगत से बिजली कंपनियों ने जनता पर करोड़ों रुपए का बोझ डाल दिया है। बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी न करने के नाम पर जनता के साथ एक बार फिर बड़ा धोखा किया गया है।
बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में जुलाई महीने से ही लोगों को बिजली के बिल से जोरदार झटका लगा है। वैसे तो आम आदमी पार्टी सरकार दावा करती है कि बिजली के रेट नहीं बढ़ाए गए लेकिन पीपीएसी यानी पावर परचेस एडजस्टमेंट चार्जेस के नाम पर बिजली की दरों में करीब डेढ़ गुना की बढ़ोतरी कर दी गई है। बिजली के बिल ज्यादा आने पर लोग भौंचक्के हैं और बिजली ऑफिस में चक्कर काट रहे हैं। लोगों से कहा जा रहा है कि अधिक गर्मी के कारण आपने बिजली का अधिक इस्तेमाल किया होगा। किसी को नहीं बताया गया कि पीपीएसी के नाम पर पौने नौ फीसदी और कर्मचारियों की पेंशन के नाम पर साढे पांच फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है।
बिधूड़ी ने कहा कि यह सरकार का निकम्मापन और बिजली कंपनियों के साथ साजिश का एक हिस्सा है। दिल्ली में पावर परचेज कॉस्ट के नाम पर जून 2023 में बिजली के बिलों में 10 फीसदी का इजाफा हुआ। इससे पहले जुलाई 2022 में 6 फीसदी रेट बढ़े थे। अगस्त 2020 में भी पावर परचेज कॉस्ट के नाम पर रेट बढ़ाए गए। बिजली कंपनियां जानबूझ कर पहले से बिजली की खरीद के समझौते नहीं करतीं और जब गर्मियों में मांग बढ़ जाती है तो फिर महंगी बिजली खरीदने के नाम पर जनता पर बोझ लाद दिया जाता है। अगर महंगी बिजली खरीदने के लिए दर बढ़ाई जाती है तो जब सस्ती बिजली खरीदी जाती है तो फिर रेट कम क्यों नहीं होते। यही वजह है कि कभी पांच और कभी दस फीसदी की बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में लोगों के बिजली के बिल दो सालों में ही दुगुने-तिगुने हो गए हैं और सरकार का तुर्रा यह है कि हम बिजली के रेट नहीं बढ़ा रहे। इस बात की जांच की जानी चाहिए कि बिजली कंपनियों की इस चोरी में सरकार की कितनी हिस्सेदारी है। हैरानी की बात यह है कि इस बढ़ोतरी के लिए डीईआरसी से भी किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है।
बिधूड़ी ने कहा कि बिजली के बिलों में पीपीएसी का हिस्सा अब 43 फीसदी से ज्यादा हो गया है। यही नहीं, जो कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, उनकी पेंशन के लिए उपभोक्ताओं से अब तक डेढ़ फीसदी वसूल किया जा रहा था लेकिन वह भी बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया गया है। अगर कर्मचारी रिटायर हुए हैं तो उनका भुगतान कंपनी को करना चाहिए, न कि जनता से वसूला जाए। केजरीवाल ने चुनावों में वादा किया था कि बिजली कंपनियों का ऑडिट कराया जाएगा लेकिन 10 सालों में एक बार भी ऑडिट नहीं कराया गया। बिजली कर्मचारियों को मुफ्त बिजली की सुविधा भी दी जाती है और उसका भुगतान भी उपभोक्ताओं से लिया जा रहा है।
सांसद बिधूड़ी ने कहा कि बिजली की कीमतों में की गई इस बढ़ोतरी को तुरंत वापस लिया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो बीजेपी इसके खिलाफ सड़कों पर उतरेगी। आप सरकार को इसका नतीजा आगामी विधानसभा चुनावों में भी भुगतना होगा।