टेन न्यूज नेटवर्क
लखनऊ (04 जुलाई 2024): उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि हाथरस हादसे (Hathras accident) में जो भी लोग जिम्मेदार हैं उन्हें उनकी सजा दिलाई जाएगी। कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा। इसके लिए सीएम योगी (CM Yogi) ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज (Retired High Court Judge) की अध्यक्षता में न्यायिक जांच (Juidicial Investigation) के भी आदेश दे दिए हैं।
हाथरस में घटनास्थल का मुआयना और समीक्षा करने के साथ-साथ घायलों से मिलने के बाद सीएम योगी ने प्रेस वार्ता के माध्यम से इस पूरी घटना की तह में जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस पूरे आयोजन में अंदर की व्यवस्था आयोजन से जुड़े सेवादारों की थी, जबकि प्रशासन द्वारा बाहर पुलिस की व्यवस्था की गई थी, लेकिन हादसा होने के तुरंत बाद सेवादार वहां से भाग निकले। यहां तक कि उन्होंने हादसे के बाद लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की।
सीएम योगी ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के लिए हमने एडीजी आगरा की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की है, जिसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दी है। उन्हें इस घटना के तह में जाने के लिए कहा गया है। बहुत सारे ऐसे पहलू हैं, जिन पर जांच होना बहुत आवश्यक है। भोले बाबा के खिलाफ एफआईआर नहीं होने के प्रश्न पर सीएम योगी ने कहा कि प्रथम दृष्टया एफआईआर उन पर होती है जिन्होंने एप्लीकेशन की परमीशन मांगी थी। इसके बाद इसका दायरा बढ़ता है। निश्चित रूप से जो लोग भी इस घटना के जिम्मेदार होंगे वो सभी इसके दायरे में आएंगे।
मरने वालों में हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी श्रद्दालु
प्रेस वार्ता के दौरान सीएम योगी ने कहा कि मंगलवार को हाथरस जनपद के सिकंदराराऊ तहसील के एक गांव में दुखद और दर्दनाक घटना घटित हुई थी। इस पूरी घटना के तह तक जाने के लिए शासन स्तर पर हम लोगों ने मंगलवार को ही कदम उठाए थे। इस हादसे में 121 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई जो उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी जुड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में हाथरस, बदायूं, कासगंज, अलीगढ़, एटा, ललितपुर, आगरा, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, मथुरा, औरैया, बुलंदशहर, पीलीभीत, संभल और लखीमपुर खीरी समेत 16 जनपदों के भी कुछ श्रद्धालुजन हैं जो इस हादसे का शिकार हुए हैं। 121 में से 6 मृतक ऐसे थे जो अन्य राज्यों से थे, जिनमें ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से एक, हरियाणा से 4 और राजस्थान से एक थे। जो घायल हैं उनमें 31 ऐसे हैं जिनका हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा के हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है और सभी आउट ऑफ डेंजर हैं।
सेवादारों ने मामले को दबाने का किया प्रयास
सीएम योगी ने कहा कि गंभीर रूप से घायल लोगों ने बातचीत में बताया कि हादसा उस समय हुआ जब कार्यक्रम के उपरांत कथावाचक का काफिला जीटी रोड पर आया तो उन्हें छूने के लिए महिलाओं का एक दल उधर बढ़ गया। उनके पीछे-पीछे भीड़ गई और इसी के बाद वो एक-दूसरे के ऊपर चढ़ते गए। सेवादार भी लोगों को धक्का देते गए, जिसके चलते जीटी रोड के दोनों ओर ये हादसा घटित हुआ। इसका सबसे दुखद पहलू ये था कि इस तरह के कार्यक्रम के दौरान जो सेवादार प्रशासन को अंदर घुसने नहीं देते, दुर्घटना होने के तत्काल बाद उन्होंने मामले को दबाने का प्रयास किया। लेकिन जब प्रशासन ने घायलों को अस्पताल ले जाने की कार्यवाही शुरू की तो उनमें से ज्यादातर सेवादार वहां से भाग गए।
ज्यूडिशियल इंक्वायरी के साथ निर्धारित की जाएगी एसओपी
सीएम योगी ने बताया कि अब तक प्रथम दृष्टया हमारी कार्यवाही ये थी कि राहत और बचाव के कार्य को आगे बढ़ाने के बाद आयोजकों को पूछतांछ के लिए बुलाया जाएगा। घटना के कारणों के बारे में उनसे बात की जाएगी और घटना में लापरवाही और जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जाएगी। हम इस बात को खारिज नहीं कर सकते कि इस प्रकार की घटना केवल एक हादसा है। अगर हादसा भी है तो उसके पीछे कौन जिम्मेदार है और अगर हादसा नहीं तो साजिश किसकी है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए राज्य सरकार ने तय किया है हम इस पर एक न्यायिक जांच भी करवाएंगे। न्यायिक जांच हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में होगी, जिसमें प्रशासन और पुलिस के भी रिटायर्ड सीनियर अधिकारियों को रखा जाएगा और इस पूरी घटना के तह में जाकर जो भी इसके लिए दोषी होगा उन्हें इसकी सजा दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियल इंक्वायरी का नोटिफिकेशन ही जारी किया। साथ ही इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए उनके माध्यम से एक सुझाव और एसओपी बनाई जाएगी, जिसे आगे इस प्रकार के आयोजनों में लागू किया जाएगा।
अलग-अलग जनपदों में भेजी जाएंगी विशेष टीमें
सीएम योगी ने कहा कि आज स्वयं हाथरस में और सिकंदराराऊ के घटनास्थल का भी दौरा किया। यद्यपि वहां काफी बारिश थी, लेकिन इसके बावजूद वहां जाकर के हादसे के कारणों की प्रारंभिक व्यवस्था को देखने का प्रयास किया। हमारे तीन मंत्री और मुख्य सचिव व डीजीपी यहां हादसे के बाद से ही कैंप कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के सीनियर अधिकारीगण भी यहां पर कैंप करते हुए इस घटना के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही तय करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए कुछ विशेष दल बनाए गए हैं,जिनके माध्यम से अलग-अलग जनपदों में कार्यवाही प्रारंभ होगी। प्रारंभिक जांच के बाद आगे की कार्यवाही को हम आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
राजनीति करना विपक्ष की प्रवृत्ति
विपक्षी नेताओं द्वारा हादसे पर की जा रही राजनीति को लेकर सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोगों की यह प्रवृत्ति होती है कि इस प्रकार की दुखद और दर्दनाक घटनाओं में भी वो राजनीति ढूढ़ते हैं। ऐसे लोगों की फितरत है चोरी भी और सीनाजोरी भी। यह हर व्यक्ति जानता है कि कथावाचक सज्जन के फोटो किसके साथ हैं। उनके राजनीतिक संबंध किसके साथ जुड़े हुए हैं। आपने देखा होगा कि पिछले दिनों रैलियों के दौरान इस तरह की भगदड़ कहां मचती थी और कौन उसके पीछे थे। मुझे लगता है कि इन सबकी तह में जाना आवश्यक है। जो लोग निर्दोष लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं उनकी जवाबदेही भी तय होगी। सीएम ने कहा कि जो निर्दोष लोग इस हादसे के शिकार हुए हैं उनके नाबालिग बच्चों को हम लोग उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत पढ़ाई की व्यवस्था कराएंगे। वो जिन भी स्कूलों या संस्था में पढ़ रहे होंगे राज्य सरकार व्यवस्था करेगी। हादसे में मृतक लोगों के परिजनों को केंद्र और राज्य की ओर से कुल 4 लाख रुपए और घायलों को कुल एक लाख रुपए की सहायता प्रदान कर रहे हैं।
लोग मर रहे थे और सेवादार भाग चुके थे
सीएम योगी ने कहा कि प्रशासन प्रथम दृष्टया ये मानकर चलता है कि धार्मिक आयोजन है और उनके सेवादार इस प्रकार के आयोजनों की अंदर से जिम्मेदारी स्वयं निभाएंगे। बड़े-बड़े आयोजन होते हैं और सावधानीवश वहां पर फोर्स प्रशासन तैनात करता है, लेकिन फोर्स आउटर रिंग में होती है। यदि आप अंदर देखेंगे तो उनके स्वयंसेवक या सेवादार ही व्यवस्था का संचालन करते हैं। इस तरह के आयोजनों में धार्मिक और आध्यात्मिक श्रद्धाभाव से लोग आते हैं तो वहां भीड़ अनुशासित ही रहती है। लेकिन जब वही कार्यक्रम निहित स्वार्थी तत्वों के हाथों का खिलौना बन जाता है तो अनुशासनहीनता का नजारा देखने को मिलता है। इसका शिकार अंततः वो निर्दोष व्यक्ति होता है जो धार्मिक श्रद्धा के साथ उस आयोजन में भागीदार होता है। उसे साजिश क बारे में तो पता नहीं होता है। साजिश करने वाले लोग साजिश करके चुपचाप खिसकने का प्रयास करते हैं। होना ये चाहिए था कि अगर हादसा हुआ था तो सेवादारों को वहां पर अपनी व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए था। और अगर सुदृढ़ नहीं कर पा रहे थे तो प्रशासन का सहयोग लेकर घायलों को अस्पताल में पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। हादसे में लोग मर रहे और सेवादार वहां से भाग चुके थे। हम इसके निष्कर्ष पर आएंगे और इसके जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।
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