भाजपा प्रवक्ता ने दिल्ली नगर निगम शिक्षा विभाग में घोटाले के लगाए गंभीर आरोप, पढ़ें ये रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (30 मार्च 2024): दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी की सत्ता के 15 माह में हर कुछ दिन बाद कोई ना कोई नई धांधली अथवा पार्षदों के लूट खसोट के किस्से साधारण बात हो गये हैं। निगम का शिक्षा विभाग लगातार धांधली के किस्सों के चलते खबरों में रहता है, आनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी, स्कूल ड्रेस, स्टेशनरी एवं किताबों के वितरण एवं हर मुद्दे में गड़बड़ी की शिकायतें आती रही हैं और यह क्रम जारी है।

प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि अब इसी क्रम में शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को दिए जाने वाले वार्षिक रखरखाव फंड में किए जा रहे घोटाले का मामला सामने आया है। दिल्ली नगर निगम अपने 1534 स्कूलों को हर वर्ष स्कूल के साइज के अनुसार रखरखाव फंड देता है। एक से 10 क्लास रूम वाले स्कूल को 1 लाख रुपये तो 10 से 30 क्लास रूम वाले स्कूल को 1.5 लाख रुपये तो 20 से अधिक क्लास रूम के सकूल को 2 लाख रूपये दिये जाते हैं।

कपूर ने कहा कि नियमानुसार यह रखरखाव फंड वित्त वर्ष के प्रथम माह में दिया जाना चाहिए ताकि गर्मी की छुट्टियों में रखरखाव हो सके पर निगम में पैसे के अभाव के चलते अक्सर इसमें देर सवेर होती रही है। पैसा स्कूलों तक सितम्बर अक्टूबर में आता था, प्रशानिक नियम के अनुसार स्कूल को इस रखरखाव फंड का पैसा 31 मार्च तक खर्च करना होता है अन्यथा यह जब्त हो जाता है। कुछ वर्षों में रखरखाव फंड स्कूलों में आया भी नही।

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में इस रख-रखाव मद में भारी धांधली का मामला सामने आया है। जिसमे दिल्ली नगर निगम की महापौर, सत्ताधारी पार्षदों के साथ ही निगम के शिक्षा निदेशक की भूमिका संदेह के घेरे में है। कपूर ने कहा है कि 1534 स्कूलों को दिया जाने वाला यह रखरखाव फंड का पैसा लगभग 25 करोड़ बैठता है और इस वर्ष स्कूलों को यह फंड 27 मार्च से आज 30 मार्च के बीच दिया गया है और अब महापौर एवं शिक्षा निदेशक कार्यालय स्कूल प्रिंसीपलों पर दबाव डाल रहे हैं की रखरखाव के ठेके एवं भुगतान और काम पूर्ण होने का सर्टिफिकेट सत्ताधारी पार्षदों के मर्जी के ठेकेदारों को कल 31 मार्च तक कर दें। जो काम करना होगा वह बाद में कर देंगे।

शनिवार 30 मार्च को दिन भर निगम स्कूलों मे प्रिंसीपल एवं शिक्षक इसी चिंता मे बैठे रहे क्योंकि एक ओर महापौर एवं शिक्षा निदेशक कार्यालय का दबाव है तो दूसरी ओर उन्हें सतर्कता विभाग की जांच का भी डर है। महापौर एवं शिक्षा निदेशक दोनों की भूमिका इस लिए भी संदिग्ध है की आखिर उन्होने मात्र 2 से 4 दिन में खर्च के लिए इतना बड़ा आवंटन क्यों होने दिया। कपूर ने कहा है कि यह अपने आप में एक अभूतपूर्व घोटाला है और दिल्ली की जनता इस स्कूल रखरखाव फंड घोटाले पर दिल्ली की महापौर डा. शैली ओबेरॉय से जवाब के साथ ही इसकी सतर्कता जांच चाहती है।।

 


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