टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (14 मार्च 2024): भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच सीएए को लागू किए जाने को लेकर वार-पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया है। दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सीएए लागू किए जाने पर सवाल पूछे थे। वहीं आज गुरुवार को अमित शाह ने केजरीवाल के सवालों के जवाब देते हुए उन पर जोरदार हमला किया है। वहीं अब अमित शाह के बयान पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि एक भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया, केवल गाली गलौज किया।
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि “कल मैंने समझाया कि कैसे CAA क़ानून देश के लिए ख़तरनाक है, और इसको क्यों वापस लेना चाहिए। आज गृह मंत्री अमित शाह जी ने उसपर बयान जारी किया। अपने पूरे बयान में जो प्रश्न मैंने उठाए थे, एक भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया, केवल गाली गलौज किया। मैं महत्वपूर्ण नहीं, देश की बात करिए। सारी सरकारें मिलकर अपने देश के युवाओं को रोज़गार देने में असमर्थ हैं, बाहर के लोगों के घर, रोज़गार, संसाधन कहाँ से लाओगे?”
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “CAA के आने से आज़ादी से ज़्यादा बड़ा पलायन होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में 2.5 से 3 करोड़ अल्पसंख्यक हैं। वहाँ बहुत ग़रीबी है, उनके पास रोज़गार नहीं है। इनमें से आधे भी भारत में आ गए, तो कहाँ बसाएँगे उनको? ये मेरा सवाल था, जिसका आपने जवाब नहीं दिया।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि “2014 के बाद घुसपैठ बंद हो गई? अभी तक आ रहे हैं, रोज़ आ रहे है। गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि ये 2014 से पहले जो आए हैं, उनको बसाएँगे। 2014 के बाद आने बंद हो गए? आ रहे हैं, अभी तक घुसपैठ चल रही है। पहले तो उनमें डर था, अब आप आगे आने वाले घुसपैठियों को लीगल कर रहे हो। आज आप 2014 से पहले की बात कर रहे हो, कल 2019 से पहले वालों की बात करोगे, फिर 2024 तक की बात करोगे। घुसपैठिए तो आ ही रहे हैं? रोहिंग्या तो आपके टाइम में आए, 2014 के बाद आए, आपकी मिली भगत से आए, या आपकी नाकामी की वजह से आए?”
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि “दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। उन्हें पता नहीं है कि ये लोग भारत में आ चुके हैं और भारत में रह रहे हैं। अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। वे विभाजन की पृष्ठभूमि भूल गए हैं, उन्हें शरणार्थी परिवारों से मिलना चाहिए।”
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