सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि को फटकारा, क्या बोले IMA के पूर्व सेक्रेट्री जनरल

रंजन अभिषेक, संवाददाता
टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (28 फरवरी 2024): सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाते हुए कंपनी को अवमानना का नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने ‘गुमराह करने वाले’ विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पतंजलि के स्वास्थ्य संबंधित विज्ञापनों पर भी रोक लगा दी है। मतलब कि अगले आदेश तक कंपनी किसी भी तरह का विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर पाएगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस भी जारी किया है।साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा है कि उन्होंने इस पर क्या कार्रवाई की?

बता दें कि कोर्ट ने ये आदेश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की बेंच ने रामदेव की कंपनी पर पूर्व के आदेशों का पालन न करने की जमकर आलोचना भी की। कोर्ट ने कहा “सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है। ऐसे विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है। दो साल से आप इंतजार कर रहे हैं कि ड्रग्स एक्ट कब इसे प्रतिबंधित करेगी। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को तत्काल कुछ कार्रवाई करनी होगी।”

कोर्ट ने कंपनी को निर्देश भी दिया है कि वे भ्रामक जानकारी देने वाली अपनी दवाओं के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दें। जस्टिस अमानुल्लाह ने सुनवाई के दौरान कहा, ” आज मैं वास्तव में सख्त आदेश पारित करने जा रहा हूं।” हालाकि पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से पेश वकील विपिन सांघी ने आश्वासन दिया कि कंपनी भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगी।

IMA के पूर्व सेक्रेट्री जनरल ने क्या कहा

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व सेक्रेट्री जनरल डॉ जयेश एम लेले ने टेन न्यूज से टेलीफोनिक बातचीत में कहा कि ‘ सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय आया है वो काफी अच्छा और सराहनीय है। हमें किसी चिकित्सा पद्धति से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जब आप एलोपैथी के विषय में भ्रामक जानकारी फैलाते हैं तो आप लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं जो ठीक नहीं है।’ आगे उन्होंने कहा कि ‘कोरोना महामारी के समय भी इसी तरह से संस्था के द्वारा भ्रामक प्रचार प्रसार किया गया था , अब कोर्ट ने ऐसे सभी विज्ञापनों पर रोक लगा दी है।’

गौरतलब है कि डॉ लेले के सेक्रेट्री जनरल रहने के दौरान ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एलोपैथी के खिलाफ दुष्प्रचार करने के आरोपों के साथ न्यायालय का रुख किया था।।

 

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