मेरी छवि धूमिल करने के लिए झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप : स्मिता भारद्वाज , IAS

सुश्री स्मिता भारद्वाज के उत्पीड़न, भावनात्मक परेशानी और बदनामी के लिए झूठा और दुर्भावनापूर्ण इरादा

मैं, श्रीमती स्मिता भारद्वाज, श्री नितीश भरद्वाज की पत्नी अब विवश होकर अपनी नाबालिग जुडवाँ बेटियों, देवयानी एवं शिवरंजनी के हितों की रक्षा के लिए प्रेस और जन-साधारण के लिए यह वक्तव्य जारी आवश्यक समझती हूँ।

इस सार्वजानिक वक्तव्य की ज़रुरत इसलिए पैदा हुई है कि मेरे अलग हो चुके पति श्री नितीश भारद्वाज ‘मेरी अपनी बेटियों के मेरे कथित अपहरण के सम्बन्ध में’ प्रेस को और अनेक दूसरे मीडिया चैनलों के माध्यम से लगातार कतिपय झूठे और मनगढ़ंत वक्तव्य दे रहे हैं और आरोप/निरूपण लगा रहे हैं।

मेरी छवि धूमिल करने के लिए झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप

श्री नितीश भारद्वाज द्वारा दिनांक 11/2/24 को पुलिस को की गई शिकायत में और दिनांक 14/02/2024 को भोपाल में आयोजित प्रेस सम्मलेन के दौरान किये गए दावे का स्पष्ट रूप से पूरी तरह निराधार और तथ्यात्मक प्रमाण से रहित के रूप में खंडन किया जाता है। उनका यह दावा कि मैंने अपनी बेटियों का अपहरण कर लिया है और उन्हें उनसे मिलने नहीं दे रही, पूरी तरह निराधार है।

वर्ष 2022 से श्री भारद्वाज मेरे निवास पर घर के फ़ोन के जरिए हमारी बेटियों से नियमित संपर्क बनाए रखा है। यह तथ्य फॅमिली कोर्ट की फाइलों में दर्ज है। उनका फ़ोन नंबर से अवगत नहीं होने का दावा झूठा और भ्रामक है। और तो और, उन्हें अदालत की कार्यवाहियों और बच्चियों से सम्बंधित मामलों से सम्बंधित सन्देश के लिए एक समर्पित ईमेल ऐड्रेस दिया गया है। उल्लेखनीय है कि श्री भारद्वाज ने जान-बूझकर 8 और 9 फरवरी 2024 को उक्त ईमेल ऐड्रेस का प्रयोग नहीं किया और इस प्रकार महत्वपूर्ण सन्देश को रोक रखा तथा जान-बूझकर मुझे सूचना नहीं होने दी।

इसके अलावा, श्री भारद्वाज ने एसएमएस के द्वारा मेरे साथ संवाद का एक माध्यम बनाए रखा है, जो संपर्क की ऐसी प्रणाली है जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता। इसका साक्ष्य 13/2/24 को ठीक 4:21 बजे अपराह्न में मेरे फोन से उनके फ़ोन पर भेजे गए मेसेज से सपष्ट होता है। यह मेसेज श्री भारद्वाज को सफल्तापूर्वंक डिलीवर हुआ था।

6/2/24 को फॅमिली कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मेरे वकील द्वारा बच्चियों के भोपाल में होने के खुलासे के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया और इस प्रकार मुझसे जानकारी माँगने का उनका दावा पूरी तरह गलत और भ्रामक साबित होता है।

यह नोट करना ज़रूरी है कि अगर श्री भारद्वाज को सचमुच बच्चियों की सुरक्षा की चिंता थी तो उनके पास मेरे कानूनी प्रतिनिधि, साझा परिचितों और परिवार के सदस्यों सहित और भी अनेक उपाय थे, फिर भी उनहोंने इस प्रकार का कोई प्रयास करने से खुद को स्पष्टतः अलग रखा।

अपनी पहल पर संपर्क करने से साफ़-साफ़ बचना श्री भारद्वाज के गुप्त इरादे को रेखांकित करता है, जो मीडिया प्लैटफॉर्म्स के दोहन के माध्यम से उत्पीड़न, भावनात्मक परेशानी और बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण अभिप्राय से प्रेरित लगता है। “क्या किसी माँ के लिए सबसे लम्बी अवधि के लिए अपनी खुद की बच्चियों के कानूनी अभिरक्षा में उनका अपरहण करना कानूनी रूप से संभव है?” और इस प्रकार से अगला प्रश्न है कि “श्री भारद्वाज मीडिया में गलत भावना पैदा करने के लिए पुलिस और सरकारी तंत्र पर दबाव बनाने के लिए अपनी हैसियत का दुरुपयोग क्यों कर रहे हैं?”

देवयानी और शिवरंजनी की उपलब्धियाँ

पिछले चार वर्षों में शिवरंजनी और देवयानी भारद्वाज ने शिक्षा, साहित्य, कला और खेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सफलता प्राप्त की हैं। उनकी उपलब्धियों, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना और प्रशंसित पुस्तकों का प्रकाशन से उनके गणमान्य लोगों और मीडिया आउटलेट्स से प्रसंसा मिली है। उनकी 2020 और 2022 प्रकाशित पुस्तकें “सन सैल्युटेशन” और “सरस्वती राजमणि” को भारत के राष्ट्रपति, भारत के माननीय प्रधान मंत्री, और महामहीम दलाई लामा जैसे उच्च पदाधिकारियों से मान्यता विभिन्न मीडिया आउटलेट्स द्वारा स्वीकृति मिल चुकी है। उनहोंने हाल में जनवरी 2024 में “इंडिया यंग इन्फ़्लुएन्सर अवार्ड” भी जीता है। अन्य उपलब्धियाँ अनुलग्नक-1 में संलग्न हैं।

अपनी बेटियों, देवयानी और शिवरंजनी के जन्म से ही मैं उनकी प्राथमिक केयरगिवर (देखभाल करने वाली) रही हूँ और हर कदम पर उन्हें प्यार, ध्यान तथा सहारा देती रही हूँ। सिंगल मदर के रूप में वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उनके (बेटियों के) सुख के प्रति मेरी वचनबद्धता कभी विचलित नहीं हुई है। और मैंने उनकी खुशी और सफलता के सुनिश्चित करने के लिए अनेक त्याग किये हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने से लेकर संस्कृत की ब्रांड एम्बेसडर होने तक, मेरी जुडवाँ बेटियाँ विकसित हुई हैं। ये प्रशंसाएं मेरे पालन-पोषण के तहत मेरी जुड़वां बेटियों द्वारा प्रदर्शित उत्कृष्ट प्रतिभा और समर्पण का प्रमाण हैं। हालाँकि, मेरे प्रयासों के बीच श्री नितीश भारद्वाज की ओर से केयर और सहभागिता की कमी के कारण बच्चियों को दुःख और निराशा मिली है।

नितीश भारद्वाज को यह समझने और स्वीकार करने की ज़रुरत है कि दोनों लडकियां फल-फूल रही हैं। उन्हें दुःख तब होता है जब उनके पिता उनके प्रति केयर नहीं दिखाते हैं। यह नोट करना ज़रूरी है कि बेटियों की उपलब्धियों में उमके पिता का वित्तीय और भावनात्मक रूप से कोई योगदान नहीं रहा है।

उनका यह दावा कि इन बच्चियों को दबाया या आतंकित किया रहा है और वे डरी हुई हैं, झूठा और निराधार है। ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह लगता हो कि बच्चियाँ भ्रम, घबराहट, क्रोध, अशांति, या सदमे की अवस्था में है।

न्यायालय का अंतरिम आदेश – अभिरक्षा

जहाँ तक मेरी बेटियों की कानूनी अभिरक्षा के सम्बन्ध में मौजूदा मनगढ़ंत विवाद की बात है, इतना कहना पर्याप्त होगा कि श्री भारद्वाज इसे स्वीकार करते हैं और केवल इसीलिये उन्होंने बांद्रा में विद्वान् प्रधान न्यायाधीश, फॅमिली कोर्ट, मुंबई के समक्ष जुड़वां बेटियों की अभिरक्षा के लिए अंतरिम आवेदन नहीं किया है। अभिरक्षा/मुलाक़ात के लिए आवेदन के अपने जवाब में मैंने रिकॉर्ड पर कहा है कि पर्याप्त पूर्व सूचना के बाद वे अपनीक सुविधानुसार कभी भी बेटियों से मिलने आ सकते हैं।

इस प्रकार प्रश्न उठता है कि “क्या किसी माँ के लिए सबसे लम्बी अवधि तक के लिए अपनी खुद की बच्चियों की कानूनी अभिरक्षा में उनका अपहरण करना कानूनी रूप से संभव है?”

इस घोषित रुख के बावजूद कि बच्चों की संतुलित परवरिश के लिए माता और पिता दोनों आवश्यक हैं, श्री भवद्वाज ने 4 वर्षों की अवधि में अपनी बेटियों से महज 3 मौकों पर व्यक्तिगत रूप से भेंट की है। असल में, मैं जब अक्टूबर 2018 में और 2019 में बेटियों को उनके पिता से मिलवाने मुंबई ले गई थी, तो उनहोंने (श्री भारद्वाज ने) अपने खुद के परिवार को वैवाहिक घर में रहने देने से इनकार कर दिया था और मुझे तथा मेरी बेटियों को हमारे अपने खर्च पर होटल में ठहरने को बाध्य किया था।

बच्चों की पहुँच और पिता द्वारा पैतृक भागीदारी –

पारिवारिक मनमुटाव दूर करने के लिए माँ की कोशिशें

मैंने लगाता कहा है कि पिता को हमेशा ही बच्चियों से मिलने के लिए बिना रोक-टोक के पहुँच प्रदान की गई है। तथापि, उनकी हरकतों ने इस पहुँच को बार-बार बाधित किया है, जिससे रुकावट और टाल-मटोल का स्पष्ट तरीका पता चलता है।

कुछ घटनायें :

  • अक्टूबर 2018 में मैं बच्चियों के साथ मुंबई गई थी (तब उनकी उम्र 6 साल की थी) और अपने आने के बारे में उनके पिता को पहले से सूचित कर दिया था। इसके बावजूद उन्होंने अपने मुंबई आवास में हमारा प्रवेश अस्वीकार करके हमारी मुलाक़ात को बाधित किया और हमें कोई वित्तीय सहायता किये बगैर किसी होटल में अपने ठहरने की व्यवस्था करने को कहा।

 

  • इसी प्रकार अक्टूबर 2019 में अपने मुंबई और पुणे जाने की योजना की जानकारी पिता को देने पर, उनहोंने स्पष्ट उत्तर देने में टाल-मटोल की। जोर देने पर उन्होंने पुणे में मिलने से बचने के लिए बहाने के रूप में बीमार होने की बात कही। नतीजतन, मैं बच्चियों के साथ मुंबई चली गई जहाँ वे लगातार बहाने बनाते रहे और अपने आवास में हमारा प्रवेश मना कर दिया। बाद में, उन्होंने अचानक से यात्रा के लिए तंदुरुस्त होने का दावा कर दिया लेकिन ज़रूरी काम होने की बात कह कर मुंबई या पुणे कहीं नहीं आये। मुंबई आवास में “जबरन” प्रवेश नहीं करने का उनका आदेश उनकी सोची-समझी बाधा पैदा करने की मंशा को और स्पष्ट रूप से दर्शाता है। फलस्वरूप, उन्होंने अपनी मनमर्जी से अपना मोबाइल ब्लॉक कर दिया और आदेश दिया कि बच्चियों से सम्बंधित ज़रूरी बातों को बिचौलियों के माध्यम से पहुंचाया जाए। इसके अलावा, मुंबई में हमारे रहने के दौरान उन्होंने मुलाक़ात के अधिकारों का अवमूल्यन करने की सोची-समझी और सुविचारित कोशिश दर्शाते हुए किसी वैकल्पिक जगह पर, जैसे कि रेस्त्राँ में, मॉल, या सार्वजनिक स्थान में बच्चियों से मिलने से मना कर दिया।

 

  • 2 जून, 2023 को एक स्काईपे कॉल के दौरान, जब बच्चियों उनसे भोपाल आने की इच्छा जताई, तो उन्होंने उनके अनुरोध को यह कह कर ठुकरा दिया कि वे व्यस्त हैं और भोपाल आने में अपनी क्षमता के बारे में अनिश्चितता का संकेत दिया।

 

  • उन्होंने भोपाल और इंदौर में 2015, 2015-2016 में नर्सरी में ऐडमिशन और फिर 2017 और 2021 में ऐडमिशन सहित बच्चियों के स्कूल के चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं होकर अपने पैतृक जिम्मेदातियों की लगातार उपेक्षा की।

 

  • यह भी देखा गया है कि बेटियों के साथ और मेरे साथ अनेक बातचीत के दौरान वे बातचीत को रिकॉर्ड किया करते। कौन पिता या पति गुपचुप तरीके से कॉल्स को रिकॉर्ड करेगा जब तक कि न्यायालय को विशिष्ट रूप से भरमाने के लक्ष्य के साथ को पूर्व-विचारित योजना नहीं हो? 5-6 वर्षों के लम्बे समय तक उनकी रिकॉर्डिंग की हरकतों का खुलासा शादी को समाप्त करने के लिए पहले से सोचे-समझे इरादे का पक्का संकेत है।

 

  • उनके जन्मदिनों पर हमने उनसे मिलने और उन्हें शुभकामना देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने लगातार टालने वाले व्यवहार का प्रदर्शन किया, जान-बूझकर गायब हो जाते, हमारे नंबरों को ब्लॉक कर देते या अपना फ़ोन स्विच ऑफ कर देते ताकि उनसे संपर्क नहीं किया जा सके। पिछले पाछ वर्षों के दौरान उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों की लगातार उपेक्षा की है, बच्चियों से मिलने, परिवार के साथ समय बिताने, बच्चियों और परिवार के वित्तीय कल्याण में योगदान करने से कतराते रहे हैं, और अपने ठिकाने के बारे में गोपनीयता कायम रखते रहे हैं।

 

वर्तमान में, उनसे संपर्क करना अत्यंत मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि हर सन्देश या संवाद निरपवाद रूप से कानूनी कार्यवाहियों का साधन बन जाता है।

पिता के रूप में वे किसी भी वित्तीय उत्तरदायित्वों को पूरा करने, बच्चियों की शिक्षा में कोई रूचि या भागीदारी दर्शाने, या यहाँ तक कि उनके लिए एक उपयुक्त स्कूल चुनने में भी कुछ नहीं किया है। वे बच्चियों की परीक्षाओं या प्रोजेक्ट वर्क के समय कभी मौजूद नहीं रहे हैं, उनके शिक्षण में कोई योगदान नहीं किया है, और भोपाल में अध्यापकों से बात करने की कोई कोशिश नहीं की है। बच्चियों के स्कूल में अपनी पिछले दौरे के समय उनका व्यवहार अजीबो-गरीब था जहाँ उनहोंने गलत ढंग से खुद को एक दिव्या व्यक्ति के रूप में पेश किया जिसके कारण बच्चियों को बेहद शर्मिन्दगी उठानी पड़ी थी और क्लासरूम का माहौल खाराब हुआ था।

पिता नितीश भारद्वाज का विक्टिम कार्ड का प्रयोग :

पिता नितीश भारद्वाज का खुद को लागातार एक विक्टिम (पीड़ित) के रूप में पेश करने का खुद उनकी हरकतों से खंडन होता है जिसमें मुलाकातों को बाधित करना और कानूनी कार्यवाहियों का लाभ उठाना शामिल है। व्यक्तिगत लाभ के लिए स्थिति में हेरफेर करने की उनकी कोशिशों के साथ-साथ मेरे खिलाफ बेबुनियाद आरोप, उनके असली इरादों को उजागर करते हैं। सहानुभूति हासिल करने के लिए पिता राजनीतिक संबंधों का लाभ उठाने और मीडिया कवरेज को सनसनीखेज बनाने तक की कोशिश कर रहे हैं। उनके कार्य कानूनी कार्यवाही को अपने पक्ष में प्रभावित करने की एक सोची-समझी रणनीति का संकेत देते हैं।

सहानुभूति हासिल करने के लिए नितीश भारद्वाज का मीडिया को सनसनीखेज बनाना :

14 फरवरी 2024 को भोपाल में एक प्रेस सम्मलेन में झूठे आरोपों के भरे सनसनीखेज मीडिया कवरेज के माध्यम से उन्होंने सामाजिक सहानुभूति हासिल करने और खुद को विक्टिम के रूप में चित्रित करने की कोशिश की। उसी दिन बच्चों की अंतिम परीक्षा शुरू हो गई थी और उनकी हरकतों के कारण मीडिया उनके स्कूल आने-जाने के समय उनका पीछा कर रहा था, यहाँ तक कि दोनों बच्चियों के घर पर भी फुटेज लेने के लिए सड़क पर मीडिया कैमरे लगे हुए थे। यह हंगामा कितना उचित है?

बच्चियों के कल्याण के प्रति नितीश भारद्वाज की उपेक्षा :

बच्चियों के कल्याण के लिए चिंता का दावा करने के बावजूद, पिता के कार्य उनके भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षा दर्शाते हैं। बच्चों के सर्वोत्तम हितों के बजाय माँ स्मिता भारद्वाज को परेशान करना और अपने व्यक्तिगत एजेंडे को प्राथमिकता देना एक संरक्षक पिता के रूप में उनकी विश्वसनीयता और औचित्य को कम करता है। उनका उपेक्षापूर्ण व्यवहार न केवल बच्चियों की वर्तमान भलाई को प्रभावित करता है बल्कि उनके विकास और स्थिरता पर दीर्घकालिक प्रभाव भी डालता है। यह स्पष्ट है कि उसकी हरकतें एक देखभाल करने वाले और जिम्मेदार पिता की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं हैं।

नितीश भारद्वाज का बच्चियों के लिए वित्तीय सहारे का अभाव :

बच्चियों के जन्म के बाद से पिता ने उनके पालन-पोषण के खर्च के लिए कोई वित्तीय योगदान नहीं किया है, न तो स्कूल की फीस के प्रति और न ही किसी ऐसी गतिविधि के प्रति जो उनके विकास में सहायक हो। कानूनी बाध्यताओं के बावजूद, पिता बच्चियों के भरण-पोषण और पालन-पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में लगातार विफल रहा है। वह वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में अनिच्छुक रहा है जो बच्चियों के कल्याण के लिए चिंता के उसके दावों का खोखलापन साबित करता है।

नितीश भारद्वाज ने 17 फरवरी 2024 को बच्चियों से भेंट की

17 फरवरी 2024 को श्रीमती स्मिता भारद्वाज अपने निवास पर जुड़वाँ बेटियों और अपने पति, श्री नितीश भारद्वाज के बीच एक पारिवारिक भेंट आयोजित करने के लिए सौहार्दपूर्वक और तुरंत सहमत हो गईं। साझा पारिवारिक मित्रगण और एक जाँच अधिकारी भी 30 मिनट की इस मुलाक़ात में मौजूद थे।

अपनी बेटियों के साथ उनकी बातचीत गुस्सा भड़काने वाले प्रश्नों से भरी थी। बच्चियों के प्रति पिता की फ़िक्र और करुणा दर्शाने के बदले, जिसकी वे अपेक्षा कर रही थी, वे उनसे कानूनी कागजी कारवाई के सबूत और ईमेल्स माँग रहे थे। उन्होंने बच्चियों से कठिन-कठिन प्रश्न पूछ कर और कानूनी जवाबों के लिए दबाव बनाकर उन्हें और परेशान किया। जो हो, मुलाक़ात के अंत में बेटियों की आँखें आँसू से भरी थीं।

लड़कियों द्वारा हाल में किये गए प्रेस सम्मलेन में उनके अपहरण की झूठी कहानी गढ़ने के बारे में पूछे जाने पर उनहोंने कारण के रूप में मुझ (स्मिता) पर उनके ईमेल्स (जान-बूझकर गलत ईमेल आईडी पर भेजे गए) का जबाव नहीं देने का दोषारोपण करते हुए कहा कि, “तुमलोगों की माँ ने मेरे ईमेल्स का कभी जवाब नहीं दिया, इसलिए मुझे यह मामला मुख्य मंत्री और पुलिस आयुक्त के पास ले जाना पडा।” यह श्री भारद्वाज के दुष्ट, दुर्भावनापूर्ण और उत्पीड़क पहलू का एक और उदाहरण है, जिसमें उनकी बुरी छवि को कुशलता के साथ छिपाया गया है।

भेंट के बाद बच्चियाँ सदमे में हैं और फूट-फूट कर रो रही हैं। बेटियों ने श्री भरद्वाज को साफ़ तौर पर बता दिया है कि भविष्य में वे उनके (बेटियों के) बारे में प्रेस/मीडिया को कोई वक्तव्य देना बिलकुल बंद करें, क्योंकि इससे उन्हें भारी मानसिक सदमा और वेदना हो रही है। किसी भी बच्ची को अपने माता-पिता के बीच के विवाद को सार्वजनिक मंचों चर्चित होता देखना अच्छा नहीं लगता।