दिल्ली जल बोर्ड में बड़ा घोटाला, सीएजी ऑडिट का हवाला देकर बीजेपी ने बोला हमला

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (15 फरवरी 2024): दिल्ली जल बोर्ड के सीएजी ऑडिट के बाद जल बोर्ड के खातों में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इस रिपोर्ट को दिल्ली सरकार के साथ शेयर किया गया है लेकिन विधानसभा में इसे टेबल नहीं किया गया है। दिल्ली बीजेपी ने मांग किया है कि इसे विधानसभा में टेबल किया जाए। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया है कि दिल्ली में शराब घोटाले से भी बड़ा घोटाला दिल्ली जल बोर्ड में हुआ है।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आज एक कहा कि सी.ए.जी. ऑडिट के अनुसार 2017-18 के दिल्ली जल बोर्ड में भारी घपला हुआ है और दिल्ली भाजपा मांग करती है कि ऑडिट रिपोर्ट को अविलंब विधानसभा पटल पर रखकर चर्चा करवाएं। सचदेवा ने कहा कि सी.ए.जी. ऑडिट के अनुसार जलबोर्ड के खाते पूरे खाते नहीं उपलब्ध कराए जा रहे हैं और जो खाते दिखाए जा रहे हैं वह विश्वसनीय नहीं है।

उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार वित्तीय वर्ष के खत्म होते ही अगले तीन महीने में खाते सी.ए.जी. के पास जमा कराना होता है लेकिन ऑडिट के अनुसार 2015 से कोई खाता नहीं जमा किया गया है और यह खाते लिखे गए हैं 2021 में। इतना ही नहीं जल बोर्ड ने साल 2017-18 वित्तीय वर्ष में कुल घाटा 766.31 करोड़ रुपये बताया है, जबकि ऑडिट के बाद यह घाटा 1933.07 करोड़ रुपये का सामने आया है।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि जलबोर्ड ने सी.ए.जी. को लिखित में कहा है कि 9306.20 करोड़ रुपये का घाटा है लेकिन जब खाता जमा कराया गया तो उसमें 2747.79 करोड़ रुपये का ही हिसाब मिल पाया। मतलब साफ है कि 6558.41 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं है। उन्होंने कहा कि जल बोर्ड ने कहा है कि 10.12 करोड़ रुपये कैश इन हैंड है लेकिन जब इसकी ऑडिट की गई तो मात्र 58 लाख रुपये का ही हिसाब मिल पाया है। यानि अपने ही दिए लिखित हिसाब के अनुसार जल बोर्ड कुल 9.54 करोड़ रुपये का जवाब देने में असमर्थ है। जलबोर्ड द्वारा 974.58 करोड़ रुपये के चेक इन ट्रांजिट दिखाए गए हैं जबकि केवल 8.06 करोड़ रुपये के चेक की पुष्टी हुई है। दिल्ली सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि हमारे पास कुल लोन 26238 करोड़ और उसपर इंटरेस्ट 25257 करोड़ रुपये लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि उसके पास 26238 करोड़ रुपये का लोन है और उसका इंटरेस्ट 19151 करोड़ रुपये है। लेकिन जब सी.ए.जी. द्वारा ऑडिट की गई तो उसमें लोन 21540 करोड़ रुपये और इंटरेस्ट 22447 करोड़ रुपये है। सीधा 5000 करोड़ रुपये का घोटाला है। यही कारण है कि सी.ए.जी. द्वारा लिखे गए 21 पत्रों का जवाब जल बोर्ड द्वारा नहीं दिया गया है।।

 

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