‘सावरकर- एडवोकेट ऑफ हिंदूत्व’ पुस्तक का विश्व पुस्तक मेले में हुआ विमोचन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

रंजन अभिषेक
टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (15 फरवरी 2024): राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित एवं किताब वाले प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘सावरकर- एडवोकेट आफ हिंदूत्व’ का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख चिंतक मुकुल कानिटकर एवं प्रख्यात पत्रकार बलबीर पुंज द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

लोकार्पण समारोह में उपस्थित बुद्धिजीवियों एवं पुस्तक प्रेमियों को संबोधित करते हुए मुकुल कानिटकर ने कहां की देश के आजादी आंदोलन के हजारों नायकों के बीच एक हिंदूवादी चेहरे के रूप में वीर सावरकर अलग नजर आते हैं। वीर सावरकर एक ऐसे महान चिंतक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के केंद्र ब्रिटेन में जाकर विदेशी हुकूमत के विरुद्ध एक वातावरण तैयार किया। वीर सावरकर का हिंदुत्व कोई हिंदू राष्ट्र बनाने की अवधारणा लिए हुए नहीं था, वीर सावरकर की मान्यता थी की संपूर्ण विश्व का हिंदू समाज भारत के आजादी आंदोलन के साथ एकजुट होकर जुड़े और विदेशी हुकूमत का मुकाबला करें। वीर सावरकर के जीवन आदर्श चिंतन एवं साहित्यिक कार्यों को एक स्थान पर समाहित करते हुए पुस्तक लिखकर इतिहासकार अमित राय जैन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसके लिए मैं उनको बधाई देता हूं।

सावरकर एडवोकेट आफ हिंदूत्व पुस्तक के लेखक डॉ अमित राय जैन ने कहा कि प्रस्तुत पुस्तक के लेखन में उन्हें 3 वर्ष लगे हैं। वीर सावरकर पर पिछले वर्षों में कई सारी पुस्तक लिखी गई है। परंतु इस एक पुस्तक में वीर सावरकर का जीवन, उनके संघर्ष, जेल यात्राएं, हिंदू समाज को एकजुट करने के लिए उनके प्रयास एवं आजादी के पूर्व एवं पश्चात के उनके सभी कार्यों के साथ-साथ, उनका चिंतन कविताएं, लेखन सभी कुछ एक स्थान पर पढ़ने को मिलेगा।

भतृहरि विश्वविद्यालय सीकर के कुलपति प्रोफेसर अनिल अंकित ने कहा कि देश की पूर्व सरकारों ने वीर सावरकर के महान व्यक्तित्व के साथ पक्षपात किया है। वीर सावरकर के कार्यों का सही मूल्यांकन वर्तमान सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किया गया। देश के आजादी आंदोलन में वीर सावरकर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान है, जिसको एक षड्यंत्र के तहत गलत तथ्यों के साथ पेश किया गया। वीर सावरकर के कार्यों एवं व्यक्तित्व को सही रूप में समाज के सामने लाने का प्रयास इतिहासकार अमित राय जैन ने किया है।

समारोह को संबोधित करते हुए नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष मिलिंद मराठे ने कहा कि सावरकर के समय में हिन्दुत्व के रास्ते में जातीयता बड़ी बाधा थी। इसलिए वह जाति विहीन हिन्दुत्व के हिमायती थे। मराठे ने बताया कि सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को समझौते के लिए ताशकंद जाने से मना किया था। फिर भी न जाने किसके दबाव से शास्त्री जी वहाँ गए, नतीजा सामने है।

मंच संचालन राकेश मंजुल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन किताबवाले प्रकाशन के प्रबंध निदेशक प्रशांत जैन ने किया। इस अवसर पर सरगुजा विश्वविद्यालय, अम्बिकापुर के कुलपति प्रोफेसर अशोक सिंह, पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय शेखावाटी (सीकर) के कुलपति डाॅ अनिल कुमार राय अंकित, महाराजा भतृहरि विश्वविद्यालय, अलवर के कुलपति प्रो शीलसिंधु पाण्डेय, देवनगिरि विश्वविद्यालय, कर्नाटक के कुलपति बी डी कुम्बर समेत कई गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।

 

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