टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (15 जनवरी 2024): मशहूर शायर मुनव्वर राणा का रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से लखनऊ में निधन हो गया। शायर ने 71 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। मिली जानकारी के मुताबिक, वह पिछले कई दिनों से लखनऊ के पीजीआई में भर्ती थे। उन्हें किडनी व हृदय रोग से संबंधित समस्या थी। शायर मुनव्वर राणा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, फिल्म लेखक जावेद अख्तर समेत कई दिग्गज लोगों ने शोक जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मशहूर शायर मुनव्वर राना के निधन पर सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शोक व्यक्त किया और कहा कि “श्री मुनव्वर राणा जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने उर्दू साहित्य और कविता में समृद्ध योगदान दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। उसकी आत्मा को शांति मिलें।”
मुनव्वर राणा के निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि “लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है, मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है।” उर्दू के मशहूर शायर, मुनव्वर राना जी का निधन साहित्य के क्षेत्र की बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने अपनी शायरी से हिंदुस्तान के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई, उनके शब्द रिश्तों का ख़ूबसूरत ताना बाना बुनते थे। उनके परिवार और चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।
फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि शायरी और उर्दू का यह एक बड़ा नुकसान है। मुझे इसका बेहद अफसोस है। यह नस्ल एक-एक करके जा रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी, उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनकी शायरी प्रेरक है, उनके लिखने का अपना अंदाज़ था। अच्छी शायरी करना मुश्किल है लेकिन उससे भी ज़्यादा मुश्किल है अपनी शायरी करना।”
तो वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि “मुनव्वर राणा देश के बड़े शायर थे। ऐसे शायर बहुत कम होते हैं जो कई मौकों पर बहुत स्पष्ट होते हैं। मैं प्रार्थना करूंगा कि भगवान उनके परिवार को यह दुख सहने की हिम्मत दें।”
बता दें कि मुनव्वर राना का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था। मुनव्वर राना लोकप्रिय शायर और कवि थे, जो हिंदी, उर्दू और अवधी भाषाओं में लिखते थे। मुनव्वर ने कई अलग शैलियों में अपनी गजलें प्रकाशित कीं। मुनव्वर राना को साल 2012 में शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया था। साल 2014 में उनको उर्दू साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने लगभग एक साल बाद असहिष्णुता के मुद्दे पर अपना अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था।