रंजन अभिषेक
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (09 दिसंबर 2023): पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से तीन राज्यों कांग्रेस की करारी हार के बाद अब मुश्किलें बढ़ गई है। अब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया एलायंस’ पर भी खतरा मंडराता नजर आ रहा है।
इंडिया गठबंधन की बैठक में पहले ममता बनर्जी,फिर अखिलेश यादव और उसके बाद नीतीश कुमार का इनकार महज संयोग नहीं है। इंडिया एलायंस के क्षेत्रीय दलों का ये एक प्रयोग है। गठबंधन में रहते हुए जेडीयू,समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी एक प्रेशर ग्रुप बनाने की तैयारी में है। इंडिया एलायंस की बैठक में भाग नहीं लेने का कारण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि वो बीमार है। बिहार के मुख्यमंत्री ने बताया कि अब जब भी इंडिया गठबंधन की बैठक होगी वो जरूर शामिल होंगे।
लेकिन सियासी पंडितों की मानें तो पहले ममता बनर्जी फिर अखिलेश यादव और बाद में नीतीश कुमार का इनकार महज एक संयोग नहीं है बल्कि ये क्षेत्रीय दलों का एक प्रयोग है। विपक्षी गठबंधन में रहते हुए जेडीयू,आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस एक प्रेशर ग्रुप बनाने की तैयारी में है। ऐसा इसलिए ताकि सीटों के बंटवारे के समय कांग्रेस पार्टी अपनी मनमानी नहीं कर पाएगी और सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्षेत्रीय दल अपने हाथ में रखेगी।
कांग्रेस बनाम सपा में अखिलेश को समर्थन
सियासत में बहुत कुछ संकेतों और इशारों पर निर्भर करता है। इस संकेत को समझने के लिए आपको एक महीना पूर्व जाना होगा, जब मध्यप्रदेश चुनाव के दौरान कमलनाथ और अखिलेश यादव में ठन गई थी। इस समय सभी क्षेत्रीय दलों ने अखिलेश यादव का समर्थन किया था और अखिलेश यादव ने समझौता करने से इनकार कर दिया।
कांग्रेस इस प्रयास में थी कि यदि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में परिणाम अच्छे आएंगे तो सीट बंटवारे में कांग्रेस की बार्गेनिंग पावर बढ़ जाएगी। लेकिन परिणाम कांग्रेस की रणनीति के ठीक उलट रहा। इसीलिए अब क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन में रहते हुए अपनी शर्तों पर सीट बंटवारा फाइनल करना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने क्षेत्रीय दलों को संजीवनी दे दिया है।
बिहार वाली बीजेपी भी अब अपना विस्तार करना चाहती है। इसीलिए जेडीयू ने यूपी के 6 लोकसभा सीटों पर रैली करने का फैसला किया है। शुरुआत वाराणसी से करने का निर्णय लिया गया है,ये सब अखिलेश यादव की सहमति से हो रहा है। जिन सीटों पर कुर्मी जाति के वोटरों का दबदबा है, उन्हीं सीटों पर नीतीश कुमार की जनसभा करके सियासी माहौल बनाने की रूपरेखा है।
तो कुल मिलाकर रणनीति यही है कि कांग्रेस की इन राज्यों में हार के बाद इंडिया एलायंस में सियासी पकड़ कमजोर होती दिख रही है और अब क्षेत्रीय पार्टियां एक दूसरे से हाथ मिलाकर गठबंधन में प्रेशर ग्रुप तैयार करने में जुटी है।।