गवर्नरों और लेफ्टिनेंट गवर्नरों के रोज-रोज के ड्रामे पर रोक लगनी चाहिए: सौरभ भारद्वाज, आप नेता

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (30 नवंबर 2023): दिल्ली की अरविंद केजरीवाल की सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनातनी की खबरें आती रहती है। वहीं अब दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि “राज्य की सरकारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जाने की परंपरा संवैधानिक ढाँचे की सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है। इसलिए गवर्नरों और लेफ्टिनेंट गवर्नरों के रोज-रोज के ड्रामे पर रोक लगनी चाहिए। राज्यपालों को असीमित समय तक किसी बिल को रोकना नहीं चाहिए। लेकिन कोई ठोस ऐक्शन केंद्र सरकार द्वारा नहीं लिया गया है।”

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि “एक समय था जब गुजरात भारतीय जनता पार्टी की प्रयोगशाला थी लेकिन पिछले 10 साल से बीजेपी की प्रयोगशाला दिल्ली है। जब दिल्ली में हमारे साथ ऐसा हुआ, तो उपराज्यपाल सरकार के कामों को जबरदस्ती रोकते थे और मुख्यमंत्री के साथ बहस करते थे तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही उपदेश देते थे कि आपको सरकार चलाने नहीं आती है। उसके बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के हर राज्यों के अंदर वही नौटंकी दोहराई गई‌। चाहे वह केरल हो, तमिलनाडु हो, पुडुचेरी हो, पश्चिम बंगाल हो या पंजाब हो। हर जगह यह हुआ।”

उन्होंने आगे कहा कि “उसी तरीके से अब अफसरों को अलग-अलग तरीके से आर्म ट्यूस्ट करके काम रोकने की एक नया प्रयोग दिल्ली में किया जा रहा है। जो अफसर काम रोकें वो अफसर सबसे अच्छा है। जो अफसर काम करें उसे या तो ट्रांसफर कर दो या उस पर मुकदमा लाद दो। अब यह प्रयोग दिल्ली में किया जा रहा है। एक और प्रयोग यह है कि अगर आप राजनीतिक रूप से अपने प्रतिद्वंद्वी से नहीं जीत पा रहे हैं तो आप उसे झूठे मामलों में फंसा दो। ये प्रयोग दिल्ली में किया जा रहा है और ये प्रयोग भी आप देखेंगे कि पूरे भारत में किया जाएगा।”

दरअसल केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाराजगी जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आरिफ द्वारा राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को दो साल तक दबाकर ‘बैठने’ को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि वह दिशानिर्देश तय करने पर विचार करेगा कि राज्यपाल राष्ट्रपति की सहमति के लिए विधेयकों को कब सदन के पास भेज सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने पूछा था कि वो दो साल तक बिल को दबा कर क्यों बैठे थे?

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसे ऐसा कोई कारण नहीं मिला है जिसके कारण गवर्नर ने इतने समय तक बिल को अपने पास रखने का निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गवर्नर की शक्तियों का इस्तेमाल विधायिका के काम को रोकने के लिए नहीं किया जा सकता है। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हमला बोला है।