टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (23 नवंबर 2023): गुरूवार, 23 नवंबर को कार्तिक एकादशी के प्रांजल एवं पावन अवसर पर श्री विठ्ठल मंदिर संस्थान , सेक्टर-6 , आरके पुरम– दिल्ली की पंढरी “ विठोबा – रखुमाई “ के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। श्री विठ्ठल भगवान के सैकड़ो भक्तों द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाला गया। इस दौरान भक्तगण पूरे आस्था एवं विश्वास के रंग में सराबोर दिखे। दिल्ली के श्री विठ्ठल मंदिर में महाराष्ट्र के पंढरपुर मंदिर जैसा नजारा श्रद्धालुओं का देखने को मिला।
महाराष्ट्र से आमंत्रित वारकरी संप्रदाय के संतों ने शोभायात्रा में हिस्सा लिया। जिसमें बालासाहेब महाराज , हरिश्चंद्र महाराज, नामदेव महाराज, देवराम महाराज, प्रदीप महाराज, माणिक महाराज आदि ने भजन-कीर्तन भी गाया। आज की महापूजा श्री रंजीत एवं वैशाली कदम के करकमलों द्वारा संपन्न हुई। आज के समारोह में भत्तिरस सरिता समाज के महिला भक्तों ने अपनी सुमधुर आवाज में भगवान विट्ठल के भजन गाए।
श्री विठ्ठल मंदिर प्रबंधन कमेटी के उपाध्यक्ष माधव नाईक एवं महासचिव राजू चह्वाण दिल्ली के विठ्ठल भक्तों को मंदिर के निर्माण एवं रखरखाव हेतु सहयोग के लिए आवाहन किया।
आपको बता दें कि प्रातः काल महाराष्ट्र से आमंत्रित सैकड़ो भक्तों ने “विठोबा – रखुमाई “ , “ज्ञानबा – तुकाराम “ के जयघोष के संग भक्ति के रस में झूमते हुए शोभायात्रा में पैदल भाग लिया। जिसके बाद भक्तों द्वारा श्री विट्ठल मंदिर में महापूजा एवं महाआरती में प्रतिभाग किया। और फिर महाप्रसाद का वितरण हुआ।पूरे दिन नाशिक से पधारे वारकरियों ने भजन – कीर्तन किया ।
कार्तिक एकादशी के पावन अवसर पर श्री विट्ठल – रखुमाई की पूजा अर्चना की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आँध्रप्रदेश , तमिलनाडु, मणिपुर और गोवा आदि राज्य में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में कार्तिक एकादशी के दिन विट्ठल-रुक्मिणी की खास पूजा-अर्चना की जाती है। और इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
कार्तिक एकादशी के दिन इस लिए भी खास माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और इसी के साथ चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है।
दिल्ली विठ्ठल मंदिर के पुजारी रघुनाथ जी ने टेन न्यूज नेटवर्क के से बात करते हुए कार्तिक एकादशी पर भगवान विट्ठल की पूजा अर्चना के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विठ्ठल भगवान “विष्णु” का रूप हैं। भगवान विठ्ठल महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थापित हुए हैं और महाराष्ट्र समाज द्वारा आज लगभग 51 वर्ष पहले दिल्ली में भगवान विट्ठल को स्थापित किया गया है। पुजारी रघुनाथ जी ने विठ्ठल भगवान के नाम के बारे कहा कि महाराष्ट्र में पंढरपुर से पुंडलिक के नाम एक भक्त था। एकबार भगवान कृष्ण पुंडलिक की भक्ति से प्रसन्न होकर पुंडलिक के घर पुहचे तब पुंडलिक अपने माता-पिता की सेवा कर रहे थे। भगवन आए देखकर वह काफी ख़ुश हुए, उन्होंने अपने पास पड़ी एक ईट को भगवन को खड़े रहने के लिए दिया और भगवान विष्णु से कहा कि माता माता-पिता की सेवा होने के बाद मिलता हूं।माता पिता की सेवा पूर्ण करने के बाद जब पुंडलिक भगवान कृष्ण के सामने आए तो भगवन विष्णु उनकी मातृ-पितृभक्ति को देख काफी प्रसन्न हुए और पुंडलिक को वर मांगने के लिए कहा।तब पुंडलिक ने कहा कि “भगवान स्वयं मेरे लिए इंतजार करते रहे, उससे ज्यादा क्या कोई वर होगा। भगवन कृष्ण ने फिर वर मांगने को कहा तो पुंडलिक वर मांगते हुए बोले कि “आप पृथ्वीपर निवास करे और यही रहकर अपने भक्तो पर अपनी छाया बनाये रखे। तभी से भगवन कृष्ण उसी इट पर महाराष्ट्र के पंढरपूर क्षेत्र में खड़े हुए हैं।
पंढरपुर में स्थित श्री विठ्ठल की मूर्ति स्वयं बनी है यानि इसे किसी भी मूर्तिकार ने नहीं बनाया है और वो अपने अस्तित्व में ही उसी आकार में आई है जिस अवस्था में उस दौरान भगवान विष्णु खड़े थे। आगे पुजारी रघुनाथ जी ने कहा कि भगवन विष्णु स्वयं भक्त के दर्शन के लिए इसलिए धरती पर आए थे क्योंकि भगवान हमें बताना चाहते थे कि इस दुनिया में जो भी मातृ पितृ की सेवा करता है उसके भगवान भी स्वयं भक्त हो जाते हैं। कार्तिकएकादशी पर हज़ारों भक्तों ने श्री विट्ठल – रखुमाई की पूजा अर्चना करी और आशीर्वाद लिए।।