दिल्ली: एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोपों को किया खारिज

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (20 नवंबर 2023): दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच एक बार फिर तकरार बढ़ सकता है। दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने बामनौली भूमि अधिग्रहण मामले में मुख्य सचिव नरेश कुमार प्रथम दृष्टया मिलीभगत का आरोप लगाने वाली सतर्कता मंत्री आतिशी की रिपोर्ट पर विचार करने से इनकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है यह रिपोर्ट पूरी तरह से मंत्री की पूर्व धारणाओं पर आधारित है। यह जानकारी राजनिवास सूत्रों ने रविवार को दी है।

उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिनके आधार पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निलंबित करने की मांग की है। रिपोर्ट की एक फाइल नोटिंग में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि उक्त मामले में पहले से ही सीबीआई जांच चल रही है। ऐसे में यह रिपोर्ट चल रही जांच को सुविधाजनक बनाने के बजाय उसमें बाधा डाल सकती है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री के आरोपों को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का प्रयास संवैधानिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने वाला है।

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव के निलंबन की सिफारिश करने वाली मुख्यमंत्री की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि रिपोर्ट का चुनिंदा अंश कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गए। इसलिए प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इस कथित जांच का पूरा मकसद सच्चाई का पता लगाना नहीं बल्कि मीडिया ट्रायल शुरू करना है और इस पूरे मामले का राजनीतिकरण करना था। जबकि यह पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है।

उपराज्यपाल ने कहा कि यह आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवेदनशील सतर्कता संबंधी मामलों से संबंधित रिपोर्ट जो गोपनीय कवर में मेरे सचिवालय को भेजी गई है, वह पहले ही मीडिया में लीक कर दी गई। इतना ही नहीं, पब्लिक डोमेन में इसकी डिजिटल और इलेक्ट्रानिक कापी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं। एलजी ने कहा कि मैंने इस रिपोर्ट के कंटेंट का अध्ययन किया है। मंत्री ने स्वयं अपनी रिपोर्ट में पृष्ठ 26 पर दर्ज किया है कि तत्कालीन डीएम हेमन्त कुमार द्वारा अवैध और अत्यधिक भूमि मुआवजे का यह मामला पहले से ही सीबीआई द्वारा आपराधिक जांच के अधीन है।

उन्होंने कहा कि यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि मुख्य सचिव और मंडलायुक्त ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और मैंने स्वीकृति दी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से यह भी मेरे संज्ञान में आया है कि मंत्री और मुख्यमंत्री ने मामले को सीबीआई और ईडी को भेज दिया है, जो कानून के अनुसार उनकी क्षमता से परे है। इस मुद्दे की फाइल मुख्यमंत्री द्वारा विचार के लिए सक्षम प्राधिकारी होने के नाते मुझे पहले ही सौंपी गई है। अत: इस मामले पर अच्छी तरह से गौर के बाद मैंने पाया कि इस रिपोर्ट को स्वीकार करने करने की सिफारिश में कोई मैरिट नहीं है। यह पूर्णतया पक्षपातपूर्ण है, इसलिए इस पर सहमति नहीं दिया जा सकता है।