हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में निधन

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (28 सितंबर 2023): भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का निधन हो गया है। स्वामीनाथन ने आखिरी सांस गुरुवार सुबह तक ली। जानकारी के मुताबिक, महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का निधन 11.20 बजे राजधानी चेन्नई में हुआ है। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। स्वामीनाथ ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। इन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर जाना जाता है।

स्वामीनाथन डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के दिग्गज वैज्ञानिक रह चुके हैं। एम एस स्वामीनाथन 1972 से लेकर 1979 तक ‘इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ के अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं। कृषि क्षेत्र में स्वामीनाथन ने बहुत ही उल्लेखनीय योगदान दिया है। जिसकी वजह से भारत सरकार उन्हें पद्म भूषण से भी नवाज चुकी है। इनकी गिनती भारत के महान कृषि वैज्ञानिकों में होती है। एम एस स्वामीनाथन धान की ऐसी बीज तैयार किए थे जो आज भी छोटे किसानों के लिए फायदेमंद साबित होता है। इन्हीं की बदौलत कम लागत में ज्यादा धान की पैदावार बढ़ी।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन ने ‘हरित क्रांति’ की सफलता के लिए दो केंद्रीय कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम (1964-67) और जगजीवन राम (1967-70 और 1974-77) के साथ मिलकर काम किया। ये एक ऐसा प्रोग्राम था, जिसमें केमिकल-बायोलॉजिकल टेक्नोलॉजी के जरिए गेहूं और चावल की प्रोडक्टिविटी बढ़ाई गई। हरित क्रांति की वजह से भारत अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर आगे बढ़ पाया। हरित क्रांति की वजह से भारत की तस्वीर बदल गई।

हरित क्रांति के चलते भारत में गेहूं और चावल के उत्पादन में भारी इजाफा देखने को मिला। भारत में नई किस्म के बीजों का इस्तेमाल किया गया। सिंचाई सुविधाएं बेहतर की गईं और कीटनाशक एवं उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाया गया। इसके परिमास्वरूप 1978-79 में भारत में 131 मिलियन टन अनाज पैदा हुआ। भारत को एक वक्त पर अनाज के लिए विदेशी मुल्कों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन हरित क्रांति की वजह से भारत एक कृषि उत्पादक देश बन गया।