टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (20/09/2023): दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को लेकर सियासी पार्टियों के स्टूडेंट विंग में हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में AISA ने अपना घोषणापत्र जारी किया है।
AISA ने अपने घोषणापत्र में कहा कि सभी विद्यार्थियों से परिसर में लोकतंत्र बरकरार रखने और गुंडागर्दी और भय के माहौल को नकारने की अपील करता है। चुनाव चार साल बाद हो रहे हैं और इस बीच शिक्षा व्यवस्था काफी सारे बदलावों से गुजर रही है। इस बीच AISA अपना घोषणा पत्र, विद्यार्थियों के हित में और सस्ती, गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और समावेशी शिक्षा हर उस विद्यार्थी को मिले जो दिल्ली विश्वविद्यालय आ रहा है, के लिए जारी कर रहा है। AISA ने घोषणा पत्र में FYUP द्वारा गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा पर हो रहे हमले, महिलाओं और अन्य लैंगिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, स्वायत्तता और उनके लिए लोकतांत्रिक माहौल की मांग, सस्ते और गुणवत्ता पूर्ण हॉस्टल और कमरों की जरूरत और दिल्ली के लोकल विद्यार्थियों के लिए मेट्रो का किराया लगातार बढ़ने से आ रही दिक्कत सहित अन्य मांगों को उठाया है।
आयशा अहमद खान मिरांडा हाउस कॉलेज की विद्यार्थी हैं, जो की पटना से आती है। वह FYUP के पहले बैच का हिस्सा है और इस प्रोग्राम के दंश को झेला है। FYUP से होने वाली दिक्कतों की वजह से उन्होंने DU में anti – FYUP मूवमेंट खड़ा किया। IP कॉलेज और मिरांडा हाउस में बढ़ रही गुंडागर्दी और छेड़खानी के खिलाफ भी उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया। आयशा कैंपस परिसर में लैंगिक न्याय के मुद्दों पर हमेशा मुखर रही हैं और वर्तमान में जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी की सदस्य भी है। जब पिछले 6 महीने में दो बार ऐसी घटनाएं हुई है जिसमें बाहरी तत्वों ने मिरांडा हाउस की दीवार फांद कर परिसर में गुंडागर्दी और छेड़खानी की ऐसे में आयशा परिसर में महिलाओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा की आवाज बनकर उभरी हैं।
अनुष्का चौधरी, दिल्ली विश्वविद्यालय की विधि विभाग की छात्रा हैं जो बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार से आती हैं। वह किसान आंदोलन में गाजीपुर बॉर्डर पर बहुत सक्रिय रही है। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई ASRD कॉलेज से की है और कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने विद्यार्थियों को सस्ते बस पास और बढ़ते रूम रेंट और सस्ते परिवहन के सवाल पर गोल बंद किया।
आदित्य प्रताप सिंह ने 2019 में विश्वविद्यालय में प्रवेश किया। वह उत्तर प्रदेश के एक ऐसे परिवार से आते हैं, जहां उनकी मां अकेली घर चलाती हैं। उन्होंने DU से अपने जुड़ाव के साथ ही हॉस्टल की संख्या बढ़ाने और परिसर के आसपास रूम रेंट को नियंत्रित करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। 2022 में जब डीयू प्रशासन OBC आरक्षण को सही से लागू नहीं कर रहा था तब आदित्य और हमारे अन्य साथियों ने एक बड़ा आंदोलन कैंपस में खड़ा किया। साथ ही, यह सुनिश्चित किया कि विश्वविद्यालय ओबीसी तबके से आने वाले विद्यार्थियों के लिए उचित आरक्षण की व्यवस्था लागू हो। उन्होंने DU को फिर से खुलवाने के आंदोलन में भी केंद्रीय भूमिका निभाई और CUET के प्रवेश प्रक्रिया में भी सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मुखर प्रतिवाद दर्ज किया।
अंजली कुमारी जोकि मिरांडा हाउस के प्रथम वर्ष की स्टूडेंट है और गया बिहार से आती हैं। कैंपस में वह एक युवा दलित आवाज़ हैं। वह एक हाशिए के समुदाय से आती हैं और विश्वविद्यालय में अपने पहले ही दिन से ANTI – FYUP मूवमेंट से जुड़ी रही है। उन्होंने प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को DU में FYUP के खिलाफ संगठित किया है।
DUSU चुनाव के बीच 4 साल के अंतराल ने छात्र राजनीति और कैंपस के लोकतांत्रिक माहौल को प्रभावित किया है NEP 2020 के आने के बाद से DU ने छात्रों पर 4 YEAR UNDER GRADUATE PROGRAMME (FYUP) जैसी पॉलिसी को जबरदस्ती थोपे जाते देखा है। NEP 2020 के परिणामस्वरुप कई कॉलेजों में कई गुना फीस वृद्धि हुई है। वहीं दूसरी ओर इससे विद्यार्थियों के हॉस्टल की कमी जैसे मुद्दों में कोई सुधार नहीं हुआ है। साथ ही महंगाई के बढ़ते रहने से छात्रों के सामने बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है। जिस वजह से हम लंबे समय से चलती आ रही फ्री मेट्रो पास की मांग को दोहराते हैं। इस साल का चुनाव विद्यार्थियों के हित के लिए और कैंपस में लोकतंत्र बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
तमाम मुद्दों के साथ AISA DUSU चुनाव में अपने चुनाव प्रचार में है जहां हमने लगातार MONEY और MUSCLE POWER के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया है। कैंपस में स्टूडेंट्स की सुरक्षा हमेशा ही ABVP की वजह से खतरे में रहती है और वह हमेशा की गुंडागर्दी, भय का माहौल बनाना और छात्रों पर हमला करते रहे हैं। हमने देखा कि कैसे ABVP अपने पहले के कैंपेन में कई महिला कॉलेजों जैसे कि मिरांडा हाउस और अदिति महाविद्यालय में जबरन घुस गया। कैंपेनिंग के पहले वे 30 – 40 लोगों के झुंड में घूम रहे हैं और यह मांग कर रहे हैं कि उन सभी को कैंपस में घुसने की अनुमति मिले। यहां तक की उन्होंने रामानुजन कॉलेज का गेट तक तोड़ दिया जहां उन्हें प्रवेश के लिए मना कर दिया गया था।
चुनाव की घोषणा के साथ ही विश्वविद्यालय परिसर बाहरी लोगों से भर उठा है, जो कैंपेनिंग के नाम पर आए दिन स्टूडेंट को कैंपस में डराने, धमकाने के साथ हिंसा करते हैं। गुंडागर्दी, छेड़छाड़ और डराने धमकाने की घटना नामांकन प्रक्रिया के दौरान तथा पर्चा वापसी के दिन और कैंपेनिंग के दिनों में देखी गई है।
तीन दिन पहले एक AISA Activist और Law Faculty के छात्र अमन रावत के साथ ABVP के गुंडो ने मारपीट की और इस संदर्भ में FIR मारिस नगर में दर्ज की जा चुकी है। अमन के साथ यह बदसलूकी इसलिए हुई क्योंकि ABVP को ऐसा लगा कि वह AISA का प्रत्याशी आदित्य प्रताप सिंह है जो की DUSU में सचिव के पद पर चुनाव लड़ रहा है। वो कोशिश बिल्कुल ही AISA के DUSU के प्रत्याशी को टारगेट करने की थी जिससे चुनाव को हिंसा से प्रभावित किया जा सके। पुलिस की नाक के नीचे से यह घटना होने के बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया। ABVP के लोगों ने अमन को एक काली FORD , ECOSPORT में अगवा किया था, जिसके चारों तरफ ABVP के स्टिकर्स लगे हुए थे। उनकी इतनी हिम्मत थी कि उन्होंने अमन को दिल्ली पुलिस के CYBER CELL, HQ के पास फेंक दिया। यह दिखाता है कि ABVP के लोगों को कानून का कोई डर नहीं है। 48 घंटे बाद भी पुलिस ना तो अपराधियों को पकड़ने या उनकी पहचान करने में सक्षम हो पाई है ना ही गाड़ी की पहचान करने में। यह हैरान कर देने वाला है क्योंकि उस पूरे इलाके में CCTV सर्विलांस है।
ऐसी तमाम घटनाओं के बावजूद जहां एक आदमी कैंपस परिसर में तमंचा लहरा रहा था, दिल्ली पुलिस केवल एक मूक दर्शक बनी हुई है। इस घटना में कोई भी उचित कदम नहीं उठाए हैं, गुंडागर्दी को रोकने के लिए और ना ही कैंपस में बाहरी अराजक तत्वों के उत्पाद के खिलाफ। तमाम CCTV सर्विलांस और कैंपस में भारी सैन्य बल होने के बावजूद दिल्ली पुलिस DU के स्टूडेंट्स को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हुई है। दिल्ली पुलिस दरअसल स्टूडेंट की सुरक्षा के लिए बिल्कुल भी चिंतित नहीं है। वह पूरी तरह से ABVP के लम्पटों को बचाने में लगे हुए हैं; चाहे कैंपस में जितनी भी हिंसा की घटना घटित हो।।