टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (29 अगस्त 2023): जैबलीन स्टार नीरज चोपड़ा का हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर भारतीय खेलों के सबसे बड़े सितारों की फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज कराने तक का सफर काफी शानदार रहा है।नीरज ने शुरुआत में अपना वजन कम करने के लिए खेलना शुरू किया और भाला फेंक में अपना हाथ आजमाया।
दरअसल, बचपन में बेहद शरारती नीरज संयुक्त परिवार में पले और लाड़ प्यार में वजन बढ़ गया। परिवार के जोर देने पर वजन कम करने के लिए उन्होंने खेलना शुरू किया। उनके चाचा उन्हें पानीपत के शिवाजी स्टेडियम ले जाते। उन्हें दौड़ने में मजा नहीं आता, लेकिन भाला फेंक से उन्हें प्यार हो गया।
नीरज की ये सफलता वैसे तो कई साल पहले शुरू हो गई थी, जब उन्होंने पहली बार एक स्टेडियम में जैवलिन थ्रो देखा था और इसकी ओर आकर्षित हुए थे लेकिन देश ने उनका नाम पहली बार 2016 में सुना, जब उन्होंने कुछ वैसा ही काम किया था, जैसा बुडापेस्ट में 27 अगस्त की रात किया। ये बात 23 जुलाई 2016 की है, पोलैंड के बिडगॉश्ट में नीरज ने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। नीरज ऐसा करने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए थे। तब सिर्फ 18 साल की उम्र में नीरज ने 86.48 मीटर थ्रो के साथ जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी कायम किया था।
दो साल पहले टोक्यो में उन्होंने ओलंपिक ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में भारत की झोली में पहला पीला तमगा डाला । उस समय उनकी उम्र सिर्फ 23 साल थी और महान निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले वह दूसरे भारतीय बने।
उनके पदक जीतते ही घर-गांव में खुशी का माहौल हो गया। 88.17 मीटर भाला फेंक वह विश्व विजेता बने तो गांव में लड्डू बांटकर खुशी मनाई गई। नीरज के मैच जीतते ही घर में लाइव देख रहे लोगों ने ताली सीटी बजाकर जश्न मनाया। नीरज के चाचा भीम चोपड़ा व पिता सतीश चोपड़ा ने गले लगकर एक दूसरे को बधाई दी। नीरज विश्व एथलेटिक्स प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर विश्व एथलेटिक्स प्रतियोगिता में गोल्ड जीतने वाले भारत के पहले एथलीट बन गए हैं।
वर्ल्ड रैकिंग में भी उनका स्थान पहले नंबर पर ही बना रहेगा। पिछले 3 महीने से नीरज चोपड़ा पहले पायदान पर हैं। नीरज फाइनल मुकाबले के पहले प्रयास में असफल रहे। वे फाउल हो गए। दो दूसरे राउंड में 88.17 मीटर पर थ्रो किया और ग्रुप में सबसे ऊपर आ गए। ग्रामीणों व परिवार वालों ने भारत माता की जय के नारे व सीटी, ताली बजाकर खुशी मनाई। नीरज को पाकिस्तान के प्लेयर नदीम ने भी बधाई दी।
कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीते लेकिन असली मुकाम हासिल किया टोक्यो ओलिंपक में जब 87.58 मीटर थ्रो के साथ नीरज ने गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया। वो एथलेटिक्स में सिर्फ गोल्ड ही नहीं, बल्कि कोई भी मेडल जीतने वाले पहले भारतीय थे।
7 साल बाद,1000 KM दूर सफर पूरा किया इसके बाद नीरज के सामने दूसरा बड़ा लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप था। पिछले साल अमेरिका में नीरज इसके करीब भी आए थे लेकिन तब ये सपना अधूरा रह गया था। अमेरिका के यूजीन में नीरज सिर्फ सिल्वर तक ही पहुंच पाए थे। वो सिल्वर भी अपने आप में ऐतिहासिक था क्योंकि ये वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का सिर्फ दूसरा ही मेडल था। आखिरकार 7 साल बाद और बिडगॉश्ट से करीब 1000 किलोमीटर दूर बुडापेस्ट में नीरज ने अपने इस सफर को पूरा कर दिया है।
फिटनेस का स्तर बनाए रखने पर चोपड़ा अभी कई नए आयाम छू सकते हैं। वह कम से कम दो ओलंपिक और दो विश्व चैम्पियनशिप और खेल सकते हैं. विश्व जूनियर चैम्पियनशिप 2016 जीतकर पहली बार विश्व स्तर पर चमके चोपड़ा ने टोक्यो में स्वर्ण जीतकर भारतीय खेलों के इतिहास में नाम दर्ज करा लिया था। पूरे देश ने जिस तरह उन पर स्नेह बरसाया, वह अभूतपूर्व था। ऐसा तो अब तक क्रिकेटरों के लिए ही देखने को मिला था।
जेवलिन थ्रोवर को अपने शरीर के ऊपरी हिस्से के साथ-साथ निचले हिस्से को भी काफी मजबूत बनाना पड़ता है। इसके साथ ही भाले को फेंकने की शैली के अनुसार उन्हें अपने जोड़ों और मांसपेशियों पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके लिए नीरज दिन में 6 से 7 घंटे एक्सरसाइज करते हैं। अपनी एंड्यूरेंस और स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए नीरज स्टेडियम और जिम दोनों जगह जमकर ट्रेनिंग करते हैं।।