टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (28/08/2023): देशभर से आए सैकड़ों महिला सफाई कर्मियों ने सीवर सेप्टिक टैंकों में होनेवाले मौत के आंकड़े के बारे झूठ को बेनकाब करते हुए सोमवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया। देश के विभिन्न इलाकों से आए महिला सफाई कर्मियों ने सोमवार को कहा कि दलितों की जिंदगी और दलितों की मौत, दोनों ही देश की मौजूदा सरकार के लिए अदृश्य है।
सीवर व सेप्टिक टैंकों में हो रही मौतें वास्तव में जातिगत उत्पीड़न है, लेकिन जातिगत मानसिकता वाली सरकारों के लिए ये कोई मायने नहीं रखता। यही वजह है कि सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) ने सीवर व सेप्टिक टैंकों में हो रही मौतों को खत्म करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ा है।
साल 2023 में 59 भारतीय नागरिकों की मौत सीवर सेप्टिक टैंकों में हुई है, लेकिन सरकार ने संसद के भीतर सफेद झूठ बोलते हुए कहा कि इस साल केवल 9 लोगों की मौत हुई है। मौतों की वास्तविक संख्या को सरकार द्वारा लगातार नकारने से क्षुब्ध होकर ही सफाई कर्मचारी आंदोलन ने इस अभियान का आह्वान किया था। सीवर सेप्टिक टैंकों में मौतों पर सरकारी उदासीनता के खिलाफ स्टॉप किलिंग अभियान 11 मई 2022 से शुरू किया गया था। तब से रोजाना सफाई कर्मचारी समुदाय से जुड़े युवा, महिलाएं, पुरुष व बच्चे देश में अलग-अलग जगहों पर सड़कों पर निरंतर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज स्टॉप किलिंग अभियान का 475वां दिन था।
जिन महिलाओं ने सीवर व सेप्टिक टैंकों में अपने परिजनों को खोया है, वे उनकी मौतों से जुड़े साक्ष्य और उनकी तस्वीरें लेकर जंतर-मंतर पर मौजूद थी जो सरकारी आंकड़ों के झूठ का पर्दाफाश कर रहा है।उनका कहना था कि सरकार के झूठ व उदासीनता ने उनकी पड़ा को कई गुना बढ़ा दिया है। इस देश में 18 से 25 साल की उम्र के कई युवा सीवर व सेप्टिक टैंकों में जान गंवा देने के लिए मजबूर कर दिए जाते हैं।
ऐसे कई मृतकों की मासूम संतानें और यहां तक कि दुधमुंहे बच्चे भी अपनी माओं के साथ जंतर-मंतर पर मौजूद थे और सवाल कर रहे थे कि “मेरे पिता कहां है? उन्हें किसने मारा?” और भी गहरे अफसोस की बात यह है कि एक भी मामले में सरकार ने रोजगार पेंशन, मकान या बच्चों की शिक्षा के रूप में इन मौतों पर न्याय करने की कोशिश तक नहीं की।
सफाई कर्मचारी आंदोलन लंबे समय से यह मुद्दा उठाता रहा है कि सीवर कर्मचारियों की मौतों के आंकड़े बार बार और जानबूझकर गलत पेश किए जाते हैं, उनसे छेड़छाड़ की जाती है। आखिर क्यों सरकार इस तरह के झूठे व भ्रामक बयान इन मौतों के बारे में जारी करती है? जिस सरकार के पास हमारी जिंदगियों को बचाने की जिम्मेदारी है, वही अगर सिर्फ इन मौतों के दोषियों को ही बचाने में लगी रहेगी तो भला सीवर सेप्टिक टैंकों में मौतों के रूप में हो रहे इस जातिगत उत्पीड़न को कैसे रोका जा सकेगा?
प्रदर्शन में विभिन्न मांगों से जुड़े बैनर व पोस्टर प्रदर्शित किए गे थे, जिनमें प्रमुख हैं. गरिमा के साथ जीने के अधिकार को सुनिश्चित करना (अनुच्छेद 21). सफाई के काम में जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए बजट आवंटन करना और सामाजिक व आर्थिक समानता को सुनिश्चित करना, सफाई कर्मचारियों का गरिमा के साथ पुनर्वास करना सीवर व सेप्टिक टैंकों में मौतों को बिलकुल बर्दास्त नहीं किया जाएगा।।