2024 लोकसभा चुनाव से पहले किसानों ने भरी हुंकार, फिर हिल जाएगी दिल्ली की सरकार?

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (24/08/2023): लोकसभा चुनाव 2024 से पहले किसानों ने फिर से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का आह्वान कर दिया है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में केंद्रीय ट्रेड यूनियन, फेडरेशन, एसोसिएशन और संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से संयुक्त आह्वान पर अखिल भारतीय संयुक्त सम्मेलन का आयोजन किया गया।

किसानों ने बताया कि देश में 2014 से केंद्र सरकार द्वारा आक्रामक रूप से अपनाई जा रही विनाशकारी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के कारण हमारे देश के श्रमिकों, किसानों और आम लोगों के सभी वर्गों के सामने चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है। ये नीतियां मजदूर विरोधी, किसान विरोधी जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी है।

किसानों ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की ये नीतियां हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और लोगों की एकता और राष्ट्र की अखंडता के लिए विनाशकारी साबित हुई है। इस राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन इन विनाशकारी नीतियों से लोगों और उनकी आजीविका को बचाने के लिए’ आने वाले समय में संयुक्त और समन्वित कार्यक्रम तय करने के लिए किया गया है।

किसानों ने कहा कि निजीकरण इस सरकार की नीतियों के केंद्र में है। सरकार राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) परियोजना लेकर आई जिसमें लोगों के पैसे से निर्मित विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को बड़े कॉर्पोरेट्स को बिना किसी निवेश के पैसा कमाने के लिए सौंपने का रास्ता शुरू किया गया है। हवाई अड्डे, राजमार्ग, बंदरगाह, रेलवे ट्रैक, स्टेशन सब कुछ बिकाऊ है। शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है।

पीएसयू बैंकों का विलय किया जा रहा है और निजीकरण की तैयारी की जा रही है। एलआईसी जीआईसी को निजीकरण का लक्ष्य दिया गया है। यहां तक कि रक्षा उपकरण बनाने वाली 41 आयुध फैक्ट्रियों को भी उनके निजीकरण से पहले 7 निगमों में बदल दिया गया है, जो स्पष्ट रूप से एक राष्ट्र-विरोधी कदम है, जिससे 80000 कर्मचारी प्रभावित हुए है। सरकार की नजर रक्षा, रेलवे आदि की विशाल जमीनों पर है।

प्रधानमंत्री की विश्व मान्यता के रूप में जी-20 अध्यक्ष पद (जो भारत को उसकी बारी से मिला था) का धूमधाम से प्रदर्शन किया जा रहा है। केंद्रीय ट्रेड यूनियन और आईटीयूसी के विरोध के बावजूद सरकार एल-20 के प्रमुख के रूप में अपने पसंदीदा ट्रेड यूनियन को नामित करने के लिए आगे बढ़ी। एक तरफ कॉर्पोरेट करों को कम किया जा रहा है और आम लोगो पर जीएसटी का अधिक बोझ और लगभग सभी सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के स उपयोगकर्ता शुल्क का बोझ डाला जा रहा है।

सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी हो। नई शिक्षा नीति, 2020 को रद्द करे। सभी के लिए आवास सुनिश्चित करें वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) कड़ाई से लागू हो, वन संरक्षण अधिनियम, 2023 और जैव-विविधता अधिनियम और नियमों में संशोधन जो केंद्र सरकार को निवासियों को सूचित किए बिना जंगल की निकासी की अनुमति देते हैं। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें। बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को वापस ले। कोई प्री-पेड स्मार्ट मीटर नहीं। काम के अधिकार को मौलिक बनाया जाए। बेरोजगारों के लिए नए रोजगार पैदा करें। मनरेगा का विस्तार और कार्यान्वयन (प्रति वर्ष 200 दिन और 600 रुपये प्रति माह मजदूरी। शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम बनाये।

किसानों को बीज उर्वरक और बिजली पर सब्सिडी बढ़ाएं, किसानों की उपज के लिए एमएसपी @ सी-2+50% की कानूनी गारंटी दें और खरीद की गारंटी दें। किसानों की आत्महत्याओं को हर कीमत पर रोके, कॉर्पोरेट समर्थक पीएम फसल बीमा योजना को वापस लें और जलवायु परिवर्तन, सूखा बाद, फसल संबंधी बीमारियों आदि के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सभी फसलों के लिए एक व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना स्थापित करें। सभी कृषक परिवारों को कर्ज के जाल से मुक्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना की घोषणा करें। केंद्र सरकार द्वारा किसानो को दिए लिखित आश्वासनों को लागू करें, जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को निलंबित कर दिया गया था। सभी शहीद किसानों के लिए सिंधू सीमा पर स्मारक, परिवारों को मुआवजा दे और उनके परिवारों का पुनर्वास करें, सभी लंबित मामलों को वापस लें, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर मुकदमा चलाएं। चार श्रम कोड, व निश्चित अवधि के रोजगार कानून को वापस लें और काम पर समानता व सुरक्षा सुनिश्चित करें।।