टेन न्यूज नेटवर्क,
नई दिल्ली, (05/08/2023): पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की टेंशन लगातार बढ़ती जा रही है। कांग्रेस शासित कई प्रदेशों में पुरानी पेंशन स्कीम लागू होने से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी भी नया खेल रचने वाली है। पुरानी पेंशन बहाली मुद्दे पर भारत सरकार के तरफ से सुझाव मांगा गया है। वहीं दूसरी तरफ अभी भी कर्मचारियों में रोष की भावना है।
पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा 2024 लोकसभा चुनाव से पहले तूल पकड़ता हुआ नज़र आ रहा है। पूरे भारत में लगभग 28 लाख केंद्रीय और 60 लाख कर्मचारी राज्यों से हैं जो एनपीएस के अंतर्गत सेवाएं दे रहे हैं। इस मामले में समाधान हेतु वित्त मंत्रालय द्वारा सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लोईज कंफेडरेशन दिल्ली के अध्यक्ष डा. मंजीत सिंह पटेल से इस मसले पर लिखित सुझाव मांगे हैं।
दूसरी तरफ एनपीएस के खिलाफ और ओपीएस की बहाली के लिए फेडरेशनों एसोसिएशनों के कर्मचारियों का संयुक्त संघर्ष जारी है। महासचिव डॉ. एम. राघवैया ने कहा कि भारत सरकार ने 22 दिसंबर 2003 को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए उदारीकृत पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना (एनपीएस) जिसे वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की शुरुआत के लिए अधिसूचना जारी की थी। यह दुखद है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वैध अधिकारों के खिलाफ इस तरह के निर्णय लेने से पहले कोई पूर्व विचार विमर्श नहीं किया गया। एनएफआईआर एनपीएस को खत्म करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है और भारत सरकार के विभिन्न स्तरों पर चर्चा भी हुई है, लेकिन आज तक कोई संतोषजनक परिणाम नहीं निकला है। 2004 से केंद्र सरकार की सेवाओं में कार्यरत लोगों को उनकी सेवानिवृत्ति पर गारंटीकृत पेंशन के रूप में कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। जैसा कि सरकार अड़ी हुई है, फेडरेशन ने एनपीएस के खिलाफ संघर्ष कर जारी रखने के लिए लगभग सभी कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मंच के गठन की पहल की और तदनुसार जनवरी 2023 से पूरे भारत में आंदोलन आयोजित किए जा रहे हैं।
हालाँकि केंद्र सरकार ने निम्नलिखित संदर्भ में शर्तों के साथ वित्त सचिव की अध्यक्षता में पेंशन समीक्षा समिति नियुक्त की है, लेकिन हमें आशंका है कि समिति की रिपोर्ट ओपीएस की बहाली सुनिश्चित नहीं कर सकती है। क्या सरकारी कर्मचारियों पर लागू राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की मौजूदा रूपरेखा और संरचना के आलोक में, उसमें कोई भी बदलाव आवश्यक है, यदि हां, तो वित्तीय वर्ष को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कवर किए गए सरकारी कर्मचारियों के पेंशन लाभों में सुधार करने की दृष्टि से इसे संशोधित करने के लिए ऐसे उपाय सुझाना उचित है।
महासचिव डॉ. एम. राघवैया ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1982 में दिए अपने फैसले में कहा था कि पेंशन कर्मचारी का सम्मानपूर्वक जीने का जन्मसिद्ध अधिकार है और यह कोई उपहार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व रेल मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड़गे और सुरेश प्रभु ने वर्ष 2014 और 2015 में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि रेलवे कर्मचारियों की भूमिका अद्वितीय, जटिल और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले रक्षा बलों के समान है, इसलिए रेलवे को छूट दी जानी चाहिए।