टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (12 जुलाई 2023): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्रों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने (ड्रॉप आउट), अत्महत्या की घटनाओं को चिंता का विषय बताते हुए सोमवार को कहा कि “उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों एवं छात्रावासों में सुरक्षित एवं संवेदनशील वातावरण प्रदान करना तथा छात्रों को तनाव, अपमान और उपेक्षा से बचाना शिक्षकों एवं संस्थान के प्रमुखों की प्राथमिकता होनी चाहिए।” राष्ट्रपति भवन में आयोजित ‘विजिटर सम्मेलन 2023′ को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने यह बात कही। इस समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद थे। राष्ट्रपति उच्चतर शिक्षा के 162 केंद्रीय संस्थानों की विजिटर हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नवोन्मेषण, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास की श्रेणियों में ‘विजिटर पुरस्कार 2021’ प्रदान किए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 2019 में दो वर्षों के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण से यह ज्ञात हुआ है कि लगभग 2500 विद्यार्थियों ने आईआईटी में अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और उन विद्यार्थियों में लगभग आधे विद्यार्थी आरक्षित वर्गों से आए थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि ड्रापआउट (पढ़ाई बीच में छोड़ना) की समस्या पर बहुत संवेदनशीलता के साथ विचार करने और समाधान निकालने की आवश्यकता है। पिछले दिनों आईआईटी दिल्ली में एक छात्र के आत्महत्या करने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आत्महत्या की दुखदाई घटनाएं कई शिक्षण संस्थानों में हुई हैं। मेरी बात किसी संस्थान विशेष तक सीमित नहीं है। यह पूरे शिक्षा जगत के लिए चिंता का विषय है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि परिसर एवं छात्रावास में घर जैसा सुरक्षित एवं संवेदनशील वातावरण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों एवं संस्थानों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यार्थी तनाव से मुक्त होकर अध्ययन कर सकें। राष्ट्रपति ने समारोह में मौजूद उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से पूछा, ‘‘क्या ऐसा हो सकता है।”उन्होंने कहा कि इसी वर्ष फरवरी में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के दीक्षांत समारोह में उन्होंने कुछ बुनियादी सवालों का उल्लेख किया था जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में महिलाओं के लिए शौचालय सुविधा, विश्वस्तरीय प्रयोगशालाएं, देश एवं समाज की जरूरतों के अनुरूप शोध, दिव्यांगों से संबंधित सुविधा आदि शामिल हैं। इन बुनियादी प्रश्नों के उत्तर में, हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता, उपयोगिता और संवेदनशीलता के मानक विद्यमान हैं। आगे उन्होंने कहा कि “मैं समझती हूं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का नेतृत्व और भी अधिक प्रभावी सिद्ध हो सकता है। मेरा आग्रह है कि अपने-अपने संस्थानों में आप सब इस पक्ष पर अवश्य ध्यान दें। “