पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज भी बागेश्वर धाम दरबार से हैं प्रभावित

Dhirendra Shastri

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (10 जुलाई 2023): बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर और बागेश्वर सरकार के नाम से मशहूर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चर्चे पूरे देश में हो रहे हैं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक कथा वाचक हैं साथ ही साथ वह सिद्धि प्राप्त होने का दावा करते हैं, लोगों के मन की बात उनकी समस्याओं को जान लेने और उसका समाधान करने का भी दावा करते हैं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने सभी मंचों से भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की वकालत भी करते हैं।

ज्ञात हो कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों के कारण अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। देश का एक बड़ा वर्ग उनका अनुयायी है। देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक संत और कथावाचक के रूप में उन्होंने अपनी ख्वाति अर्जित की है। जहां एकतरफ बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को देश के करोड़ों लोगों का साथ प्राप्त है तो वहीं उनके गुरुदेव जगद्गुरु शंकराचार्य रामभद्राचार्य का भी आशीर्वाद प्राप्त है। बीते दिनों जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को जान से मारने की धमकियां मिल रही थी तब उनके गुरुदेव पद्मविभूषण जगद्गुरु शंकराचार्य रामभद्राचार्य जी महाराज ने भोपाल में कहा कि “धीरेंद्र शास्त्री अंधविश्वासी नहीं है। राम कथा ही राष्ट्र कथा है।” उन्होंने कहा कि धीरेंद्र अच्छे व्यक्ति हैं, उन्होंने मुझसे ही दीक्षा ली है।

कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का अवतरण 14 जनवरी 1950 को जौनपुर के उत्तर प्रदेश में हुआ था। सरयूपरीण ब्राह्मण कुल वशिष्ठ गोत्र में जन्में रामभद्राचार्य की आखें महज दो माह की उम्र में ही चली गई। उन्हें ट्रकोम नामक बीमारी हुई थी। जगद्गुरु रामभद्राचार्य का चित्रकूट में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, कथावाचक, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद संप्रदाय के वर्तमान के चार रामानंदचार्यों में से एक हैं। तुलसी पाठ धार्मिक सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं।

इतना ही नहीं वे बहुभाषाविद हैं, 22 भाषाओं के विद्वान हैं। और वे संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है। वर्तमान में तुलसीदास पर देश के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में से उन्हें एक माना जाता है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी और निश्चित रूप से किसी दैवीय शक्ति के होने का प्रमाण मिलेगा कि रामभद्राचार्य ना तो पढ़ सकते हैं,ना लिख सकते हैं और ना ही उन्होंने कभी ब्रेल लिपि का प्रयोग किया है। बावजूद इसके आज वो सनातन धर्म के सबसे बड़े ध्वजवाहकों में से एक हैं सनातन धर्म के वेदों, पुराणों और ग्रंथों के ज्ञाता, विद्वान हैं। उनके इस अप्रतिम ज्ञान के कारण भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।

बाबरी केस में थी अहम भूमिका

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का नाम हिंदू संत समाज में काफी आदर, सम्मान और आस्था से लिया जाता है। उच्चतम न्यायालय में बाबरी मस्जिद मामले में उनकी गवाही सुर्खियां बनी थी। वेद-पुराणों के उदाहरणों के साथ उनकी गवाही सुनकर न्यायालय भी मुग्ध हो गया था। श्री राम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के तौर पर उपस्थित हुए रामभद्राचार्य ने थेद्ध ऋग्वेद की जैमिनीय साहिंता से उन्होंने उदाहरण दिया था।जिसके बाद कोर्ट में जैमिनीय संहिता मंगाई गई और इसमें जगद्गुरु ने जिन उदाहरणों का जिक्र किया था उसे खोलकर देखा गया सभी विवरण सही पाए गए और माना जाता है कि उसके बाद ही जगद्गुरु के बयान ने फैसले का रुख मोड़ दिया।

ज्ञात हो कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज को वर्तमान में देश में सबसे बड़े सनातन धर्म संस्कृति के ज्ञाता के रूप में माना जाता है।।