टेन न्यूज नेटवर्क
रिपोर्ट: रंजन अभिषेक, संवाददाता, दिल्ली
नई दिल्ली (06 जुलाई 2023): महाराष्ट्र में एनसीपी की बगावत के बाद पार्टी दो खेमे में बंट गई है। महाराष्ट्र में हुए इस सियासी उलटफेर के बाद अब बिहार में भी लोग कयास लगाने लगे हैं। बिहार की सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि महाराष्ट्र की पटकथा बिहार में भी दोहराई जाएगी। अगर सच में ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार ‘ना घर के रह जाएंगे, ना घाट के’।
बिहार में जदयू अर्थात् जनता दल यूनाइटेड टूट जाएगा, इसकी चर्चा कोई पहली बार नहीं हो रही है। यह बात बीजेपी के लोग जितने आत्मविश्वास से कहते हैं उतने ही मुखरता से यह बात कुछ दिन पहले तक नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल HAM के अध्यक्ष संतोष सुमन भी कहते हैं। वहीं उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान, पशुपति पारस तो इसे दोहराते ही रहे हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि जदयू के बीजेपी से खतरा है या फिर आरजेडी से?
पार्टी में टूट को लेकर ललन सिंह का बयान
बिहार में जदयू में टूट की चर्चा तेज होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह सामने आए। उन्होंने कहा कि पार्टी में टूट की बात वही लोग करते हैं, जिनकी पार्टियों को तोड़ने की आदत रही है। और उन्होंने अपने समर्थकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि महागठबंधन की पार्टियां फेविकोल से चिपकी हुई है। वहीं लालू प्रसाद यादव भी नीतीश कुमार पर लिखी पुस्तक के लोकार्पण में बोले कि बिहार को महाराष्ट्र समझने की भूल ना करे भाजपा। बिहार का मिजाज दूसरा है, महागठबंधन धूल चटा देगा।
JDU को BJP नहीं RJD से है खतरा: संतोष सुमन
कुछ दिन पहले तक नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल के साथी रहे हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष संतोष सुमन ने सरकार से वास्ता खत्म करने के बाद बड़ा दावा किया है। संतोष सुमन ने कहा है कि जदयू को बीजेपी नही बल्कि आरजेडी से अधिक खतरा है। दावा यह भी किया जा रहा है कि जब नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो रहे थे तभी यह तय हो गया था कि वो विपक्षी एकता की बागडोर संभाले और राष्ट्रीय राजनीति में अपना भाग्य आजमाएं। उस वक्त नीतीश कुमार को यह अच्छा लगा और उन्होंने एक झटके में एनडीए गठबंधन का साथ छोड़ दिया। लेकिन अब नीतीश कुमार आनाकानी कर रहे हैं। इसलिए राजद ने नीतीश कुमार को यह अल्टीमेटम दिया है कि वो जल्द से जल्द मुख्यमंत्री का कुर्सी छोड़ें और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाएं और स्वयं को विपक्षी एकता के लिए आजाद करें। राजद ने यह चेतावनी भी दे दी है कि वो यदि ऐसा नहीं करते हैं तो आरजेडी उनके ही विधायकों को तोड़कर महागठबंधन तेजस्वी की ताजपोशी करा देगा।
सियासी पंडितो की मानें तो नीतीश कुमार आरजेडी के इस धमकी से बैचेन हैं और उन्हें इस बात का आभास हो गया है कि राजद उनके साथ खेल खेलने की तैयारी में है। अब नीतीश कुमार के सामने अपनी पार्टी बचाने को लेकर दोहरा चुनौती है, एक तो भाजपा और दूसरा आरजेडी। नीतीश कुमार ने अपने सभी विधायकों, सांसदों और एमएलसी से वन टू वन मुलाकात कर रहें है।
कुर्सी के लिए महज 6 विधायकों की दरकार
तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने के लिए महज 6 विधायकों की दरकार है। नीतीश कुमार जब एनडीए गठबंधन के साथ सरकार में थे तब महागठबंधन के साथ 116 विधायक थे जबकि बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत पड़ती है। इसका मतलब यह है तेजस्वी यादव अगर 6 विधायकों का बंदोबस्त कर लेते हैं तो वह सीएम की कुर्सी पर काबिज हो सकते हैं। कुर्सी तक पहुंचने के लिए तेजस्वी के पास दो विकल्प हैं,पहला यह कि वह बीजेपी के विधायकों को तोड़े और दूसरा जदयू के। बीजेपी के विधायकों को तोड़ना आरजेडी के लिए काफी कठिन कार्य है तो एकमात्र और सहज विकल्प है जेडीयू में टूट। 116 विधायकों का समर्थन तेजस्वी को पहले से है ही अब यदि वो 6 विधायक का बंदोबस्त कर लेते हैं तो वह बिहार के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
सियासी पंडितो की बात
टेन न्यूज नेटवर्क की इस खास रिपोर्ट के लिए टेन न्यूज के वरिष्ठ संवाददाता रंजन अभिषेक ने बिहार की सियासत पर पैनी नजर रखने वाले कई सियासी पंडितो से बातचीत की और बिहार की सियासत में इनसाइड में क्या चल रहा है जानने का प्रयास किया।।