देश को एक नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए संकल्पबद्ध हैं पीएम मोदी: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (03 जुलाई 2023): केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के बाद शिक्षा के क्षेत्र में भी मोदी सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किए हैं। भारत ज्ञान आधारित समाज है जिसमें अनेक सभ्यताओं का समावेश है। मोदी सरकार ने 34 सालों के बाद एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कल्पना की है, जिसकी कहानी 2014 से ही शुरु हो चुकी थी और 2020 में जाकर इसे लागू कर दिया गया। इतना ही नहीं 45 करोड़ रुपये की लागत से एकलव्य मॉडल स्कूल बनाने का काम भी मोदी सरकार करने वाली है, जिसमें हॉस्टल फैसिलिटी भी होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कहती है कि उन्होंने इस देश में 700 नवोदय विद्यालय बनवाये, पर मोदी जी ने मात्र 9 साल देश के सभी आदिवासी एवं पिछड़े जिलों में 692 एकलव्य स्कूल स्वीकृत किये हैं।

केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आज के समय में दुनिया की ऐसी कोई भी टैक्निकल कंपनी नहीं है जिसका कार्यालय भारत में ना हो क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा युवा हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार भारत की शिक्षा नीति में आयु 3 साल से ऊपर की शिक्षा पर काम किया जाएगा। हमारे पास इम्पॉवरमेंट की सबसे बड़ी चुनौती है। पढ़ाई डिग्री के लिए नहीं बल्कि इम्पॉवरमेंट के लिए है और यही वजह है कि अब क्लास 6 से स्कील एंड डेवलपमेंट को प्राथमिकता पर पढ़ाया जाएगा क्रिटिकल स्कील के लिए प्रति साल 50 हजार करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे। भारत में शिक्षा एवं नौकरी में अंतर रहा जिसे अब हम ठीक कर रहे हैं, शिक्षा नीति में नौकरी की अवश्यकता अनुसार बदलाव कर रहे हैं और साथ ही हमारी कोशिश है कि कोई भी छात्र अपने ही भाषा में पढ़ाई करें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत की हर भाषा को राष्ट्रीय भाषा मानते हैं और उसमें शिक्षा विस्तार चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक धारणा बन गई है कि अगर अंग्रेजी पढोगे तो ही नौकरी कर पाओगे इसलिए भाषा के महत्व को समझने की जरुरत है। आज भारत के बच्चे विश्व के समय को कंट्रोल कर रहे हैं इसलिए विद्या का होना बहुत जरुरी है। भारत में कहा जाता है कि अन्न दान परम दान लेकिन विद्या दान परमो दान है।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि पी.पी.आर.सी. द्वारा दी गई यह रिपोर्ट पिछले 9 सालों में इस देश में हुए अभूतपूर्व परिवर्तन का साक्षात दर्पण है। साल 2014 में एक अरब से अधिक नागरिकों ने जो सपने देखे उन सपनों को साकार करने का संकल्प जिस व्यक्ति ने लिया वह एक साधारण परिवार से आने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे और वह आज भी निरंतर देश को नई ऊचाइयों पर ले जाने के लिये संकल्पबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का नेतृत्व एक ऐसी परिस्थिति में किया ज़ब देश में कुछ भी ठीक नहीं था, लेकिन आज उन कठिनाईयों को ना सिर्फ खत्म किया बल्कि देश का नाम विश्व पटल पर विश्वशक्ति के रुप में स्थापित करने का काम किया है। आज पूरा विश्व अगर भारत की ओर एक उम्मीद के साथ देखता है तो उसका कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कुशल नेतृत्व। भाजपा नेता सचदेवा ने कहा कि अमेरिका जिसे हम 15 साल पहले एक विश्व शक्ति के रुप में देखते थे आज उस राष्ट्र का प्रमुख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना मित्र कहते हैं तो एक अन्य राष्ट्र के शासन प्रमुख पैर छूकर वेलकम करते हैं। ज़ब भी स्वास्थ्य का जिक्र होता है तो कोरोना का भायवाहक मंजर याद आता है। हमने कभी नहीं सोचा था कि भारत में वैक्सीन बन सकती है। आज सारे विश्व में संदेश है कि भारत एक उभरती हुई शक्ति है और यह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संभव हो पाया है।

सचदेवा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत अर्थव्यवस्था में विश्व की पांचवी बड़ी शक्ति बनकर उभरा है, और सरकार प्रयासरत है कि भारत शीघ्र विश्व की तीसरी बड़ी अर्थ शक्ति बन जाये। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति लाकर जो परिवर्तन मोदी सरकार ने किया है उससे समाज के पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा से जुड़ने का मौका मिल रहा है।

पी.पी.आर.सी. के निदेशक सुमित भसीन ने पी.पी.आर.सी. द्वारा तैयार की गई मोदी सरकार के पिछले 9 सालों में किए गए विकास कार्यों की रिपोर्ट को सबके सामने रखा और साथ ही उन्होंने कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले 10 सालों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर किए गए कार्यों एवं मोदी सरकार द्वारा 9 सालों के कार्यों की तुलनात्मक रिपोर्ट भी सबके सामने रखा। उन्होंने बताया कि यू.पी.ए. के 10 वर्षों के दौरान शिक्षा क्षेत्र में औसत वार्षिक आवंटन 43,587 करोड़ रुपये था जो एन.डी.ए. सरकार के समय में दोगुना से भी अधिक 99,278 करोड़ रुपये हो गया है। इतना ही नहीं एम.बी.बी.एस. सीटों में 97 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 2014 से पहले 51,348 से बढ़कर वर्तमान में 101,043 हो गई है। पिछले 9 वर्षों में 7 आई.आई.टी., 7 आई.आई.एम. और 16 एम्स स्थापित किए गए हैं (पी.पी.आर.सी. की सम्पूर्ण रिपोर्ट संलग्न है)।