टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (14/06/2023): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर निशाना साधा है। साथ ही उन्होंने इस अध्यादेश को लेकर तीन प्रावधान के बारे में बताया है और कहा इस अध्यादेश से दिल्ली सरकार लगभग खत्म हो जाती है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा है कि “इस अध्यादेश के कुछ ऐसे प्रावधान है जो जनता के सामने अभी तक नहीं आए हैं। इन्होंने ना केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज किया है बल्कि इसमें तीन और ऐसे प्रावधान डाले हैं जिससे कि दिल्ली सरकार लगभग खत्म हो जाती है।”
उन्होंने बताया कि “इस अध्यादेश में इन्होंने लिखा है कि अगर कोई मंत्री अपने सेक्रेट्री को कोई आदेश देगा तो सेक्रेट्री डिसाइड करेगा कि मंत्री का आदेश लीगली ठीक है कि गलत है। अगर सेक्रेट्री को लगता है कि मंत्री का आदेश लीगली ठीक नहीं है तो सेक्रेट्री मंत्री का आदेश मानने से इंकार कर सकता है। ये दुनिया के अंदर पहली बार हो रहा है कि सेक्रेट्री को मंत्री का बॉस बना दिया।” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके दो उदाहरण दिए और कहा कि “ये पिछले हफ्ते में हुआ है। ऐसे सरकार कैसे चलाएंगे। अब तो हर सेक्रेट्री यह डिसाइड कर रहा है कि कौन सा आदेश कानूनी है, और किसी को भी गैरकानूनी डिसाइड कर देते हैं। बस अब सेक्रेट्री का डिसीजन फाइनल है। हर सेक्रेट्री सुप्रीम कोर्ट का जज बन गया है।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक अन्य प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा कि “चीफ सेक्रेट्री को पावर दे दी गई है कि वो फैसला करेगा कि कैबिनेट का कौन सा फैसला कानूनी है और कौन सा गैरकानूनी है। कैबिनेट सुप्रीम होती है। जैसे देश की कैबिनेट सुप्रीम है, वैसे ही राज्य की कैबिनेट सुप्रीम होती है। इसके अंदर पावर दे दी गई है कि चीफ सेक्रेट्री तय करेगा कि कैबिनेट का फैसला कानूनी है या गैरकानूनी है। यदि उसे लगता है कि गैरकानूनी है तो वह उसे एलजी को रेफर करेगा और एलजी को पावर दी गई है कि वह किसी भी कैबिनेट के फैसले को पलट सकता है। आज तक भारत और दुनिया के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ। मंत्री के ऊपर सेक्रेट्री को बैठा दिया और कैबिनेट के ऊपर चीफ सेक्रेट्री को बैठा दिया।”
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि “इसके अंदर एक और प्रावधान है कि दिल्ली सरकार के अंदर जीतने भी कमीशन बोर्ड है, उन सबका गठन केंद्र सरकार करेगी। जब सब चीज का गठन केंद्र सरकार करेगी तो दिल्ली सरकार क्या करेगी? चुनाव क्यों कराते हो? ये बहुत ही खतरनाक अध्यादेश है। जितना इसमें आगे बढ़ रहे हैं तो पता चल रहा है कि ये बहुत ही ग़लत नियत से लाया गया है।”