टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (11/06/2023): आम आदमी पार्टी आज दिल्ली के रामलीला मैदान में केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ महारैली का आयोजन किया। इस रैली में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल, दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय, आतिशी, सौरभ भारद्वाज और सांसद संजय सिंह सहित पार्टी के अन्य शीर्ष नेता मौजूद रहें। इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘महारैली’ को संबोधित किया। अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महारैली को संबोधित करते हुए कहा कि “आज से 12 साल पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ इकट्ठे हुए थे और आज इसी मंच से एक अहंकारी तानाशाह को इस देश से हटाने के लिए फिर से इकट्ठे हुए हैं। जैसे उस वक्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन सफल हुआ था और आज इसी मंच से जो आंदोलन शुरू हो रहा है, हमारे देश के अंदर जो तानाशाही लाई जा रही है, उसे खत्म करने का, जनतंत्र को खत्म करने का और संविधान को बचाने का आंदोलन आज शुरू हो रहा है, बहुत जल्द ही इस आंदोलन को भी सफलता मिलेगी।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “75 साल के भारत के इतिहास में पहली बार एक प्रधानमंत्री आया है जो कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता पूरे देश के लोग स्तब्ध है। पूरे देश के लोगों यकीन नहीं हो रहा कि इतना अहंकारी प्रधानमंत्री। देश के गली-गली और घर-घर में चर्चा हो रहा है कि ये मोदी जी को क्या हो गया। देश के अंदर जनतंत्र खत्म हो रहा और इसी को तानाशाही कहते हैं। जब देश का प्रधानमंत्री कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता। इसी को तानाशाही, हिटलरशाही और जनतंत्र खत्म होना कहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि “मैं बताना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ऐसा क्या है जिससे कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि भारत एक जनतंत्र है। भारत में जनता सुप्रीम है। जनता अपनी सरकार चुनती है और उस सरकार को जनता के काम करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। दिल्ली में भी लोग सरकार चुनते हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के लोग जिस भी पार्टी के सरकार को चुनती है और उस सरकार को काम करने का अधिकार होना चाहिए।”
अरविंद केजरीवाल ने सवाल करते हुए जनता से कहा कि “क्या सुप्रीम कोर्ट ने गलत कहा? क्या प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानना चाहिए? मोदी जी कहते हैं मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानता। मोदी जी अध्यादेश को पारित कर दिया आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। मोदी जी का अध्यादेश कहता है कि अब दिल्ली के अंदर जनतंत्र नहीं होगा। अब दिल्ली के अंदर तानाशाही चलेगी। अब दिल्ली के अंदर जनता सुप्रीम नहीं है। अब दिल्ली के अंदर एलजी सुप्रीम होगा। अब दिल्ली के अंदर जनता चाहे जिसे भी वोट दे लेकिन प्रधानमंत्री जी कहते हैं सरकार तो मैं ही चलाऊंगा और मेरी तानाशाही चलेगी।”
उन्होंने कहा कि “आज प्रधानमंत्री जी ने भारत के संविधान के परखच्चे उड़ा दिए। आज प्रधानमंत्री जी ने भारत का संविधान बदल दिया। प्रधानमंत्री जी कहते हैं अब जनता नहीं बल्कि एलजी और प्रधानमंत्री सुप्रीम होगा। प्रधानमंत्री जी कहते कि अब दिल्ली की जनता की वोट की कोई कीमत नहीं होगी। ये तो दिल्ली के लोगों का अपमान है।”
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि “ये बीजेपी वाले मुझे रोज अपमान करते हैं और गालियां देते हैं। मुझे मेरे मान और अपमान की कोई चिंता नहीं है। मैं कोई परवाह नहीं करता और मैं इनको वापस गालियां नहीं देता और मेरे को गाली-गलौज करनी नहीं आती। मेरे संस्कार नहीं सिखाते। मैं 24 घंटे अपने काम में व्यस्त रहता हूं, मुझे काम से मतलब है।”
उन्होंने आगे कहा कि “ये लोग मुझे जितनी मर्जी गाली दे दें लेकिन इस बार इन लोगों ने आपका और आपकी वोट की कीमत का अपमान किया है। मैं आपके अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसे किसी हालत में नहीं होने देंगे। इस अध्यादेश को खारिज करा कर रहेंगे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पालन करा कर रहेंगे।”
उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ दिल्ली वालों के साथ नहीं हुआ बल्कि मुझे अंदर से पता चला है कि ये मोदी जी का पहला वार है। ऐसा ही अध्यादेश और राज्यों के लिए भी लाया जाएगा। इसे सबको मिलकर अभी रोकना पड़ेगा।”
आपको बता दें कि केंद्र द्वारा 19 मई को जारी अध्यादेश में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिसने सेवाओं से संबंधित मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है। इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के जरिए पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन सहित सेवा से संबंधित मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण दिल्ली सरकार को दिया था।