टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (08/06/2023): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश नीति के 9 साल पूरे होने पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज गुरूवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया का एक बड़ा हिस्सा भारत को एक विकास भागीदार के रूप में देखता है। साथ ही उन्होंने कहा कि आज भारत की दूसरी छवि एक आर्थिक सहयोगी की है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि “हम बाहर जाते हैं और भारत की ओर से लोगों से मिलते हैं। हम समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोगों से मिलते हैं। दुनिया, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, भारत को एक विकास के भागीदार के रूप में देखता है। आज लोग भारत को सुनना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि भारत के साथ काम करने से उनका प्रभाव भी तेज होगा। आज हम जो प्रभाव डाल रहे हैं, उससे हमारी परंपरा का उत्सव मनाया जा रहा है।”
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि “कोविड के दौरान बहुत से देशों ने अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। हम कोविड के दौरान फंसे हुए कम से कम 70 लाख लोगों को वापस लाए। हम पहले जी20 अध्यक्ष हैं जिन्होंने अन्य लोगों से परामर्श करने का प्रयास किया और 125 देशों ने प्रतिक्रिया दी क्योंकि उन्हें हम पर भरोसा है।”
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि “दुनिया का एक बड़ा हिस्सा हमें एक विकास भागीदार के रूप में देखता है, न केवल एक विकास भागीदार के रूप में बल्कि एक विकास भागीदार के रूप में जो प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बातों पर खरा उतरता है। हम अपने पार्टनर के साथ वो काम करते हैं जो उनकी प्राथमिकता होती है। आज भारत की दूसरी छवि एक आर्थिक सहयोगी की है।”
रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत-रूस के संबंध पर पड़े प्रभाव पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि “रूस यूक्रेन के युद्ध का अलग-अलग देशों पर अलग प्रभाव है। अब रूस और चीन या और किसी देश पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा वह वे खुद तय करेंगे। 1955 के बाद से विश्व में बहुत कुछ हुआ लेकिन हमारा और रूस का रिश्ता स्थिर रहा है क्योंकि दोनों देश यह समझते हैं कि दोनों बड़े यूरेशियन देश है और पूरे यूरेशिया की स्थिरता हमारे रिश्तों पर निर्भर है।”
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि “पिछले कुछ समय से छात्रों का यह मामला आ रहा है, जिन्हें कनाडाई कहते हैं कि वे उस कॉलेज में नहीं पढ़े, जिसमें उन्हें होना चाहिए था और जब उन्होंने वर्क परमिट के लिए आवेदन किया, तो वे मुश्किल में पड़ गए। शुरू से ही हमने इस मामले को उठाया है और हमारा कहना है कि छात्रों ने नेक नीयत से पढ़ाई की। अगर उन्हें गुमराह करने वाले लोग हैं तो दोषी पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। नेक नीयत से पढ़ाई करने वाले छात्र को सजा देना अनुचित है। मुझे लगता है कि कनाडाई भी स्वीकार करते हैं कि अगर किसी छात्र ने कोई गलती नहीं की है तो यह अनुचित होगा।”