बाइक से की लद्दाख की चढ़ाई, जानें क्या है पूरा रोड मैप। बाइक राइडर हिमांशु शर्मा से टेन न्यूज की खास बातचीत

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (08/06/2023): बाइक राइडर हिमांशु शर्मा से टेन न्यूज नेटवर्क ने ख़ास बातचीत की। इस दौरान बाइक राइडर हिमांशु शर्मा ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने वर्षों का सपना संकल्प, दृढ़ निश्चय और पैशन की वजह से पूरा किया।

बाइक राइडर हिमांशु शर्मा ने बताया कि वह 22 मई को इंदौर से अपनी लद्दाख यात्रा की शुरुआत की। वह सबसे पहले इंदौर से जयपुर गए। उसके बाद वह जयपुर से अमृतसर, अमृतसर से श्रीनगर, श्रीनगर से जम्मू कश्मीर के आसपास के इलाका और वहां से लद्दाख गए।

बाइक राइडिंग के सपनों के बारे में बताते हुए हिमांशु शर्मा ने कहा कि यह काफी सालों का मेरा सपना था कि मैं मोटरसाइकिल से लद्दाख की चढ़ाई करूं और कई लोगों से मैं मिला था जिसने मोटरसाइकिल से लद्दाख की चढ़ाई की थी। उनसे भी मैं प्रेरित हुआ। यह मेरा एक सपने की तरह था जो आज पूरा हो गया।

मोटरसाइकिल से लद्दाख की चढ़ाई करते समय उन्हें किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा इस पर बताते हुए हिमांशु शर्मा ने कहा कि यह आप तभी कर पाएंगे जब आपके पास दृढ़ निश्चय और संकल्प हों, इसके बिना यह संभव ही नहीं है। उन्होंने बताया कि वहां पर अलग-अलग प्राकृतिक चुनौतियां हैं और आपको मोटरसाइकिल पर कई घंटों तक बैठना पड़ सकता है। इसके अलावा कई जगहों पर मोटरसाइकिल चलाने में दिक्कत आती है और कई जगहों पर सड़क भी नहीं है। इसलिए इसके लिए आपके पास संकल्प, दृढ़ निश्चय और पैशन होना बहुत जरूरी है।

उन्होंने बाइक राइडर युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अगर आप अपना पैशन सच करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको कुछ तैयारियां करनी पड़ती है। जैसे कि आपके पास सबसे अच्छी मोटरसाइकिल होनी चाहिए क्योंकि आप उसी से चढ़ाई करने वाले हैं। उसके दोनों टायर नए होने चाहिए और साथ में अतिरिक्त पेट्रोल लेकर आपको चलना होगा।

वहां पर मौजूद सेना के जवान कैसे लोगों की सहयोग करते हैं? इसके जवाब में हिमांशु ने कहा कि वहां पर प्रकृति की इतनी कठिन परिस्थितियां हैं। वहां पर आम आदमी 2 दिन में परेशान होकर घर वापस आ जाएगा लेकिन हमारे देश के सेना वहां पर चौबीसों घंटे सेवाएं देती है और हमारी सीमाओं की सुरक्षा करती है, जहां साल के 3-4 महीने ही तापमान प्लस में होता है और बाकी के 8 महीने माइनस में तापमान होता है। आगे कहा कि इंडियन आर्मी का एक अंग है जो कि बॉर्डर ऑर्गेनाइजेशन है जो वहां पर सड़कें बनाते हैं। वहां पर सड़कें बनाना बहुत मुश्किल है और सड़कें बनाते समय काफी दिक्कत होती है। इंडियन आर्मी इसमें भी मदद करती हैं। इसके अलावा इंडियन आर्मी वहां पर लोगों को बहुत सारी सुविधा मुहैया कराती है।

उन्होंने आखिर में कहा कि हमारे देश की जनता को इंडियन आर्मी को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि वह सिर्फ सैलरी के लिए काम नहीं करते बल्कि वह देश की सेवा के लिए काम करते हैं अगर कोई सैलरी के लिए करते तो वह कभी नहीं कर पाएंगे।।