टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (14 अप्रैल 2023): 13 अप्रैल, बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय ने एक अहम और ऐतिहासिक फैसला दिया है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की तीन जजो की बेंच ने (कोर्ट नंबर 01) एक ऐतिहासिक फैसला दिया है ।
केंद्र सरकार के राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में एक पद बीते कई सालों से खाली पड़ा है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ मनोज गोरकेला ने तीन जजों की बेंच में बहस की । केंद्र सरकार की तरफ से एडिसनल सॉलिसिटर जनरल पेश हुए।
बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि तुरंत एक सदस्य की नियुक्ति की जाये। ज्ञात हो कि साल 2017 में भी वरिष्ठ अधिवक्ता गोरकेला के बहस के कारण ही इस आयोग के सदस्यों की नियुक्तियां की गई थी ।
टेन न्यूज संवाददाता रंजन अभिषेक से टेलीफोनिक बातचीत में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ मनोज गोरकेला ने कहा कि “लगभग बीते एक सालों से यह पद रिक्त था जिसे अब भरा जाएगा। साल 2017 में भी ऐसी ही एक पहल की गई थी सदस्यों की नियुक्ति को लेकर।”
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में आज भी प्रशासकीय देरी एवं प्रक्रिया के कारण कई पद रिक्त पड़े हैं। सवाल यह है की इन पदों को भरने के लिए हर बार उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा क्यों खटखटाना पड़ता है? इस बाबत अधिक जानकारी के लिए टेन न्यूज की टीम ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास बंडु आठवले से संपर्क साधने का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है। बातचीत के बाद खबर को अपडेट की जाएगी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में रिक्ति
बता दें कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में एक सदस्य और उनके पी.एस के पद खाली हैं। वहीं, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में उपाध्यक्ष एवं उनके पी.एस और दो सदस्य एवं उनके पी.एस के पद रिक्त हैं।।