रामचरितमानस भारत की पहचान और आत्मविश्वास का कारण है: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

टेन न्यूज नेटवर्क,

नई दिल्ली (04 अप्रैल 2023): दिल्ली के सी फोर्ड ऑडिटोरियम में आयोजित डॉ धीरज भटनागर द्वारा रामचरितमानस के हिंदी अनुवाद पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। सभागार में उपस्थित सभी सज्जनों को संबोधित करते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। श्रीरामचरितमानस सदियों से न केवल भारत, बल्कि विश्व में व्याप्त विभिन्न समाजों को नैतिक, व्यावहारिक और मानवीय गरिमा से परिपूर्ण जीवन का पाठ पढ़ाता आया है। ज्ञान एवं गरिमा के प्रकाश से प्रकाशित करते चले आने वाला यह ग्रंथ, निश्चित ही केवल शब्दों और छंदों का सामंजस्य भर नहीं है। रामकथा को लोकमानस का अंग बनाने में जितना योगदान गोस्वामी तुलसीदास जी का रहा, उसके पहले उतना बड़ा योगदान किसी कवि का नहीं रहा। किसी समय महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम जी की कृपा से रामकथा रूपी गंगा को स्वर्ग से उतारकर पृथ्वी पर लाने का कार्य किया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामकथा की उस पावन धारा को, नई भाषा और शैली में आम जनमानस में प्रवाहित करने का भागीरथ कार्य किया। उन्होंने यह अनुभव किया कि अवधेश का सर्वाधिक सुंदर चित्रण अवधी भाषा में ही संभव है, और ऐसा कर उन्होंने स्वयं को लोकमानस के महाकवि के रूप में स्थापित किया।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि ” अपनी भाषिक सरलता के कारण श्रीरामचरितमानस आमजन में भी कर्म, भक्ति और उच्च जीवन दर्शन का समुचित प्रसार कर सकी है। तुलसीदास जी की महानता का एक प्रमुख कारण यह है, कि वे आमजन की भाषा का प्रयोग कर सीधा पाठक के हृदय में उतरते है। राम जब अयोध्या से निकल रहे होते हैं, तब सुमंत्र आदि राम को प्रणाम करते हैं। पर राम, जब निषादराज के यहाँ पहुँचते हैं, तब वहाँ के पुरवासी राम को प्रणाम नहीं, ‘जोहार’ करते हैं। पुरजन करि जोहारु घर आए। आदिवासी समुदाय में लोग एक दूसरे को जोहार करते हैं। जोहार उनकी भाषा की पहचान है।”

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि “जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि जनभाषा बदलते समय के साथ-साथ परिवर्तनशील होती है; भटनागर जी ने भी नई श्रीरामचरितमानस को खड़ी बोली हिंदी में प्रस्तुत करके गोस्वामी जी की परंपरा को आगे बढ़ाने का गुरुकार्य किया है।आज श्रीरामचरितमानस भारत की पहचान और आत्मविश्वास का कारण बना हुआ है, तो इसका एक प्रमुख कारण यह है कि श्रीरामचरितमानस हमारे मानस की भाषा का ग्रंथ है। मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि आज देश में हम श्रीराम के आदर्शों को सामने रखकर आगे बढ़ने में सफल हो रहे हैं। हम देश में किसानों, मज़दूरों, व्यापारियों से लेकर स्टूडेंट्स, युवाओं और महिलाओं के कल्याण का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।आज भी जब राज्य में हर ओर सुख शांति की कल्पना की जाती है, सभी की सुरक्षा की कल्पना की जाती है, सभी के आरोग्य की कल्पना की जाती है, मान सम्मान की कल्पना की जाती है, तो ऐसी स्थिति के लिए रामराज्य स्वतः हमारे मस्तिष्क में आ जाता है।गोस्वामी तुलसीदास ने अतीत से ज्ञान लेते हुए, वर्तमान की कसौटी पर परखते हुए उसे भविष्योन्मुखी बनाया है। श्रीरामचरितमानस में प्रसंगों की विविधता केवल वर्णन के स्तर पर ही नहीं है, बल्कि वे सामाजिक जीवन के विविध पड़ावों को रेखांकित करती हुई एक आदर्श समाज की निर्मिति करती हैं। आदर्श और संस्कार में एक अंतर होता है। आदर्श हमारे सामने होता है, पर संस्कार हमारे अंदर होता है। आदर्श को हम चाहें तो बदल भी सकते हैं, जैसा कि राजनीति में आजकल लोग करते भी हैं, पर संस्कारों को बदलना इतना आसान नहीं होता है। वह हमारे चरित्र का एक अभिन्न अंग होता है।”

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “मैं यह तो नहीं कह सकता कि देश में सर्वत्र रामराज्य व्याप्त हो गया है, पर इतना जरूर है, कि हम उस दिशा में काफी हद तक आगे बढ़े हैं। भगवान श्रीराम का जीवन हमारे लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करता है। रघुकुलनंदन श्री रामचंद्र हमारे केवल आदर्श ही नहीं हैं, वह हमारे संस्कार हैं। श्री राम जी हमारे संस्कार हैं। इसलिए नहीं कि वह ईश्वर हैं, या किसी खास कुल के हैं, बल्कि इसलिए, कि वे जो कहते हैं उसे करना जानते हैं।”

बता दें कि दिल्ली के सी.फोर्ड ऑडिटोरियम में डॉ धीरज भटनागर द्वारा रामचरितमानस के हिंदी अनुवाद पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए जहां उन्होंने अपने संबोधन में महर्षि वाल्मीकि, गोस्वामी तुलसीदास एवं आराध्य प्रभु श्री राम और रामचरितमानस को लेकर अपनी बात रखी।।