दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 9वीं और 11वीं के 96% छात्र फेल, बीजेपी सांसद ने साधा निशाना

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (02/04/2023): राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं और 11वीं के छात्र इस बार बड़ी संख्या में फेल हो गए हैं। जिससे शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने ट्विटर पर एक अखबार की खबर को शेयर करते हुए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर निशाना साधा है। साथ ही उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 9वीं और 11वीं कक्षा के 96% से अधिक छात्र फेल हुए है।

बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि “जब शिक्षा मंत्री शराब के ठेके खोलने में व्यस्त हो तो यही परिणाम आता है। दिल्ली के सरकारी स्कूल में 9 वीं और 11 वीं क्लास में 96% से अधिक छात्र फेल हुए है।”

अखबार में छपी खबर के मुताबिक, राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं और 11वीं के छात्रों की मुख्य परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं। 31 मार्च को इन छात्रों का परिणाम भी जारी हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए हैं, जिससे शिक्षा विभाग में हलचल है। शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों को छह अप्रैल तक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दिया है।

बाहरी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि स्कूलों का 9वीं और 11वीं का परिणाम बहुत खराब आया है। हालत ये हैं कि 96 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हुए हैं। 60 बच्चों की कक्षा में केवल चार से पांच बच्चे ही पास हैं। फेल छात्रों की इतनी बड़ी संख्या देखकर प्रधानाचार्य भी चकित हैं। अब शिक्षा निदेशालय की ओर से परिणाम जारी हो जाने के बाद छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दिया गया है।

शिक्षकों का आरोप है कि प्रधानाचार्य अपने स्कूल के 9वीं और 11वीं के खराब परिणाम के चलते शिक्षा विभाग की नजर में न आएं और इन पर कोई खराब परिणाम आने का सवाल न उठाएं, इसके लिए शिक्षकों पर छात्रों की कापियों में सही उत्तर लिखकर दोबारा कापी जांच कर उनको पास करने का दबाव बनाया जा रहा हैं।

तो वहीं नई दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उनकी कक्षा में अंग्रेजी विषय में अधिकतर छात्र आठ से दस अंकों से फेल हैं। कई छात्रों ने उत्तरपुस्तिका के पन्नों को खाली छोड़ रखा है। कई छात्रों ने उत्तर ही गलत लिखे हैं। छात्रों को 80 अंकों की परीक्षा में 12 से 15 अंक आएं हैं। अब शिक्षा निदेशालय ने जब छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दे दिया तो प्रधानाचार्य उन पर ज्यादा से ज्यादा छात्रों को पास करने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वो फेल बच्चों को पास करेंगे और शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर नए उनके परिणाम को दोबारा अपडेट करेंगे।

पूर्वी दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उन्होंने जब अपने विषय के नौवीं के छात्रों की कापी जांची तो केवल पांच बच्चे ही पास थे। 80 अंकों की परीक्षा में छात्रों के चार, छह, दस अंक से ऊपर नहीं आ रहे हैं। कापियों को छात्रों ने खाली छोड़ रखा है। उनके मुताबिक बच्चे पास होने के लिए 33 प्रतिशत तक अंक नहीं ला सके हैं। इस मामले पर शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता से जवाब मांगा गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

इन शिक्षकों से जब इतनी संख्या में फेल हुए छात्रों का कारण पूछा तो शिक्षकों ने बताया कि छात्र स्कूल ही नहीं आते हैं। उनकी हाजिरी बहुत कम है। साथ ही बीते वर्ष तक आठवीं कक्षा तक नो डिटेंशन पालिसी थी। ऐसे में छात्र को फेल नहीं कर सकते थे, जिसका परिणाम ये हुआ कि कमजोर छात्र भी पास होकर नौवीं में आ गए और अब यही छात्र फेल हो रहे हैं। इससे स्कूलों की परेशानी बढ़ गई है।।