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डेमोक्रेसी हफ्ते भर तक शायद होल्ड पर रहेगी

एक संत के कोर्ट में तारीख पर हाजिर होने भर से दो राज्यों में एमर्जेंसी लगा दी गई ह. न बस चलेंगी, न स्कूल कॉलेज खुलेंगे, पेट्रोल पम्प से तेल नहीं मिलेगा. लोगों के घर से बाहर न निकलने के सरकारी लेटर जारी हो रहे हैं. सारे सरकारी काम ठप्प पड़े हैं. वकीलों के वर्क सस्पेंड हैं, डेमोक्रेसी हफ्ते भर तक शायद होल्ड पर रहेगी.
इस पर कुछ बातें :
1. इतने बड़े संत की खुद को निजी तौर पर अदालत के सामने पेश करने में बेइज्जती होती है .वीडियो कांफ्रेंस से काम चलाओ जिसमें जज से बड़ा आरोपी नजर आता है.
– ये डिग्री है संत के अहंकार की.
2. उनके नाम की चर्चा में घरों में लोग इक्कठे हैं. जहां खाने पीने और रहने का इंतज़ाम भी है. वहां से अनुयायी बोल रहे हैं कि अगर संत को थोड़ी भी तकलीफ हुई तो भारत का नाम मिटा देंगे नक्शे से.
– ये है संत की शिक्षा.
3. डॉक्टरों को तत्पर रहने को बोला गया है. हिंसा होगी ही होगी.. सारे डॉक्टर एमेर्जेंसी में तैनात हैं. ओपीडी व्और वार्डों में भर्ती मरीज भी होल्ड पर हैं. ऑपरेशन लेट हो रहे हैं. लोग तड़प रहे हैं.
– ये है संत की दयालुता.
4 . डेढ़ से दो करोड़ का रोज का खर्च सिर्फ सुरक्षा बलों का है.. बात सिर्फ इतनी है कि एक आदमी को पेशी पर आना है.
– ये है देशभक्ति.
5 . आरोप जिसमें सजा होने की सम्भावना है ,वो हैं हत्या और यौन शोषण(बलात्कार) के.
– ये है संत का चरित्र.
6 . जिस सामान्य अदालत के बाहर ढ़ाई लाख समर्थक अदालत के बाहर इक्कठे हों, हाथों में डंडे लिए. उसे जज क्या सजा देगा?
पूरी व्यवस्था का मजाक बना दिया एक आदमी ने. इससे बड़ी बेइज्जती एक राष्ट्र के रूप में हमारी और क्या होगी?
ये है हमारी समझ!