टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (27/03/2023): टेन न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम ” आज की परिचर्चा” में रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले से जुड़े पूरे प्रकरण पर केशव रंजन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट; वासुदेव मना, दिल्ली भाजपा; और मोनाम्मद राफियाता, दिल्ली कांग्रेस से खास बातचीत की। इस दौरान टेन न्यूज़ नेटवर्क ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के नेता से यह जानने की कोशिश की कि कोर्ट का फैसला कहां तक सही है। साथ ही केशव रंजन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट से ये जानने की कोशिश की कि राहुल गांधी के पास अभी क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं और उन्हें क्या करना चाहिए।
टेन न्यूज नेटवर्क के कंसल्टिंग एडिटर विपिन कुमार शर्मा ने इस कार्यक्रम को संचालित किया। एंकर शर्मा द्वारा पूछे गए न्यायलय का फैसला, भारतीय जनता पार्टी पर विपक्षी द्वारा लगाए गए जांच एजेंसियों का दुरूपयोग का आरोप और कांग्रेस द्वारा किए गए सत्याग्रह के सवाल पर जवाब देते हुए कांग्रेस नेता मो. राफियाता, दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली हिंसा जो हुई थी उस पर जो न्यायालय का फैसला आया था उसमें न्यायालय ने कहा था कि जो बात चुनावी सभाओं या मुस्कराहट में बोली जाए वह गाली नहीं होती। संसद में साध्वी प्रज्ञा पर केस चल रहा है और उसके बाद साध्वी प्रज्ञा सांसद बन जाती है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था कि मैं इन्हें जिंदगी भर माफ नहीं कर पाऊंगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री खुद सोनिया गांधी को कई बार कह चुके हैं कि जर्सी गार्ड किसे कहते हैं, 50 लाख की गर्लफ्रेंड किसे कहते हैं और नेहरू जी के लोग गांधी सरनेम क्यों लगाते हैं तो यह सात खून माफ होने वाली बात है। विपक्ष के चेहरा राहुल गांधी से नरेंद्र मोदी की सरकार डर रही है। प्रियंका गांधी ने सत्याग्रह में कल जो भी कहा मैं उनका समर्थन करता हूं। गौतम अडानी मामले में सवाल करते हुए कहा कि आप उसे क्यों बचाना चाहते हैं और उसके लिए संसद को म्यूट कर देते हैं। संसद में एक व्यक्ति की बात करने के लिए पूरी संसद को म्यूट कर देते हैं। संसद में राहुल गांधी को बोलने नहीं देते जब राहुल गांधी स्पीकर से बोलते हैं तो वह मुस्कुरा देते हैं और संसद को म्यूट कर देते हैं। जब संसद में राहुल गांधी आकर पहला स्पीच दिया तो सबको पता चल गया और और चारों तरफ हंगामा मच गया। इस मामले को लेकर पूरे बीजेपी को राहुल गांधी का फोबिया हो गया और इस फोबिया के तहत सुबह से शाम तक राहुल गांधी का जाप करते रहे और संसद में भी हंगामा मचाते रहे। हंगामा विपक्ष को बचाना चाहिए बल्कि यहां पर सत्तारूढ़ पार्टी हंगामा मचाता रहा और इल्जाम राहुल गांधी पर लगाते रहे।
उन्होंने आगे कहा कि आप राहुल गांधी के मामले में कह रहे कि न्यायालय का फैसला सही है लेकिन इतनी जल्दी क्या थी? और भी तो बहुत केस है? आपने कभी साध्वी प्रज्ञा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह इन सब पर आपने कभी संज्ञान लिया? राहुल गांधी कोई अपराधी थोड़ी है जो आप उस पर इस तरह से शिकंजा कसे? बीजेपी में असली डर, खौफ दहशत राहुल गांधी, कांग्रेस, विपक्ष और सच्चाई के नाम का है। सच्चाई से डरकर भारतीय जनता पार्टी भाग रही है। राहुल गांधी पार्लियामेंट में सच्चाई बोल रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं। वो सब जगह कहेंगे। जो हो रहा है आज वो पूरा देश और पूरी दुनिया को पता है। ये घटनाक्रम लोकतंत्र में काला अध्याय और धब्बा है। भारतीय जनता पार्टी से सवाल करते हुए कहा कि आप देश के सबसे बड़े विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता के साथ ऐसा करते हैं इससे आप क्या दर्शाना चाहते हैं।
एंकर शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश यात्रा में जो कहा था उस पर सरकार कह रहे हैं माफी मांगे इस पर आपकी क्या राय है इसके जवाब में मो. राफियाता, दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री खुद विदेश में जाकर कह चुके हैं कि 2014 से पहले मुझे शर्म आती थी कि भारत में पैदा ही क्यों हुआ? जो बातें खुद प्रधानमंत्री ने कहा है क्या उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माफी मांगनी चाहिए क्या? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी माफी मांगनी चाहिए। अगर केस बनता है तो भारतीय जनता पार्टी के सांसदों पर भी बनना चाहिए जिस पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
एंकर शर्मा ने कहा कि विदेशी भूमि पर जाकर हम गुहार लगाएं कि विदेशी ताकतों और बाहर के मुल्कों को हमारी अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए? इस पर आपकी क्या राय है? इसके जवाब में मो. राफियाता, दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी ने खुद कहा है कि हम अंदरूनी मामलों को खुद निपटेंगे जो देश में हो रहा है वह पूरी दुनिया देख रही है।
एंकर शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का 2014 से 2019 का जो पहला कार्यकाल है उसमें कहा जाता था कि मोदी सरकार बड़े सॉफ्ट हैं, कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और जो चुनावी मैदान में बड़े-बड़े वादे किए थे और जो दूसरा कार्यकाल है 2019 से 2024 तक चलेगा अब इसमें केवल कार्रवाई देखने को मिल रही है। तो आपको नहीं लगता कि एक अच्छा संदेश जाएगा अगर भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ा दिल दिखाकर राहुल गांधी को दोबारा उनकी सदस्यता वापस कर दें तो इससे आम जनता में एक अच्छा संदेश जाएगा क्योंकि विपक्ष की आवाज बुलंद और मुकम्मल होनी चाहिए। जब तक विपक्ष हमारा मजबूत नहीं होगा और सरकार की खामियों को उजागर नहीं करेगा तब तक लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता। इस पर आपकी क्या राय है? इसके जवाब में वासुदेव मना, दिल्ली भाजपा ने कहा कि स्पीकर सांसद में सबके लिए होता है तो क्या नरेंद्र मोदी जी, जो प्रधानमंत्री है वो क्या इस देश का प्रधानमंत्री नहीं है। एक प्रधानमंत्री देश में सभी का होता है। कांग्रेस के सभी नेता और मंत्री बौखलाहट में आ गए हैं जिसके साथ वो आंख नहीं मिलाते थे आज वो लोग भी घुशबंदी कर रहे हैं और आने वाले दिनों में महाठग बंधन की तैयारी कर रहे है। आगे सवाल करते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री सारे देश का प्रधानमंत्री नहीं है। सारे देश का प्रधानमंत्री है। उनके लिए कहां से ये सार्थक होता है कि आप उन्हें मौत का सौदागर कहें? आप एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को कुछ भी बोल देंगे ये कहां से सार्थक है। कांग्रेस कह रहे हैं कि अभी राहुल गांधी को क्यों सस्पेंड कर दिया? स्पीकर के हाथ में पावर होता है कि वो सस्पेंड कर सकते हैं या नहीं। मुझे नहीं लगता है कि संविधान से और भारतीय कानून व्यवस्था से बड़ा कोई नहीं हो सकता है। उस दायरे में कोई क्यों किसी को माफ करें क्योंकि कोई संविधान से ऊपर तो हो ही नहीं सकता।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक पैनलिस्ट और एक आम आदमी किसी का मर्डर या चोरी करते हैं तो दोनों में अंतर होता है। राहुल गांधी कितने मानहानि केस में अभी बेल पर हैं। इन्होंने जो खानदानी परिपाटी देखी है ये देखते-देखते इनको ये एहसास हो गया है कि हम तो संविधान से ऊपर हैं क्योंकि हम खानदानी पैदाइश हैं हम तो सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं। भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था को कोई पार्टी, विशेष अपना बपौती समझकर इस तरह का हरकत करते हैं। कांग्रेस पार्टी अच्छे से बता सकता है कि राहुल गांधी जानबूझकर गलती करते है।
साथ ही, उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था का जो ये निर्णय आया है हम इसका स्वागत करते हैं क्योंकि एक कानून बनाने वाला व्यक्ति जब कानून का उल्लंघन करने पर आ जाएंगे और कानून बनाने वाले व्यक्ति को इस तरह से निर्देश दिया जाएगा तो क्या गलत मैसेज समाज में जाएगा। एक नागरिक के तौर पर विचार करके देखिए तो हमारे तरफ भी गलत मैसेज जाएगा। कानून सबके लिए बराबर हैं। उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने देश की सेना तक को नहीं छोड़ा उन्होंने उसे गली के गुंडा बोला था। साथ ही, कांग्रेस पार्टी को सलाह देते हुए कहा कि इस तरह से बेतुके बयान से बचें।
एंकर शर्मा ने कहा कि कानून के तहत जो राहुल गांधी को सजा सुनाया गया है इस पर आपकी क्या राय है? और राहुल गांधी के पास कानूनी क्या विकल्प है? इसके जवाब में केशव रंजन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी ट्रायल कोर्ट किसी को कनविक्ट करता है तो कनविक्ट के बाद उनको अपील का राइट है। अगर दूसरे कोर्ट में है अपील तो उसके पास 90 दिन का समय अपील करने का होता है। अगर सेम कोर्ट में अपील है तो अपील करने का 30 दिन का समय होता है। अभी उनके पास अपील करने का राइट है और अपील में सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस मांगना है। अगर उन्हें सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस मिल जाता है तो अगले जो भी लोकसभा का चुनाव होगा उसमें वह पार्टिसिपेट कर सकते हैं और चुनाव लड़ सकते हैं। अगर उन्हें यह नहीं मिलता है तो अगला वह कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकता हैं। अपील के बाद भी उनके पास कानूनी राइट होता है कि ट्रायल कोर्ट ने जो भी जजमेंट दिया उसको वह मेंटेन रखें या पलट दे। इन दोनों कंडीशन में उनके पास हाई कोर्ट जाने का राइट है। फिर वह अधिरिवीजन में जाएंगे, अगर रिवीजन कंप्लीट हो जाता है तब फिर उनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का राइट है।
उन्होंने आगे कहा कि पार्लियामेंट क्या है और उनका मेन ऑब्जेक्टिव क्या है? पार्लियामेंट कानून बनाने वाला है जो कानून की रक्षा और कानून बनाता है। अगर पार्लियामेंट के ही कोई मेंबर को कोई भी कोर्ट दोषी ठहराता है तो उनके लिए जो लॉ एप्लीकेबल है वह सबके लिए एप्लीकेबल हैं। कोई भी लॉ से बड़ा नहीं है वह सबके लिए बराबर है। अगर इसे किसी राजनीति से नहीं जोड़ा जाए तो यह गलत नहीं होगा क्योंकि यह कोर्ट का मामला है। क्योंकि जब कोर्ट कोई भी जजमेंट देती है तो उस पर पर किसी भी आदमी को कोई भी कमेंट करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अगर राहुल गांधी को सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस नहीं मिलता है और वह डिसक्वालीफाई हो चुके हैं तो वह अगले 6 साल तक डेट ऑफ कनविक्शन तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। यह कानूनी प्रक्रिया है।
एंकर शर्मा ने कहा कि अगर राहुल गांधी कोर्ट में जाकर माफी मांग लेते हैं तो इस पर आपकी क्या राय है? इसके जवाब में केशव रंजन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर माफी मांगने का ही सवाल था तो ये ट्रायल कोर्ट में भी हो सकता था। इसे अपॉलिजी देना कहते है। कोर्ट ऑप्शन देती है कि आप रिटर्न अपॉलिजी दे सकते हैं। अगर कोई अपराधी माफीनामा बनाकर कोर्ट में देता है तो कोर्ट उसे एक्सेप्ट कर सकती हैं और छोड़ भी सकती हैं इसके लिए कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ऑप्शन सभी के लिए होता है और वह आपके ऊपर है कि आप ऑप्शन को माने या ना मानें।
एंकर विपिन शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र की मंदिर में संवाद की प्रक्रिया दोबारा कैसे चला सकते हैं इस पर जवाब देते हुए मो. राफियाता, दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि न्यायालय पर कोई सवाल नहीं उठा रहा है। आगे केस के लिए समय है आगे जाएंगे लेकिन यहां राजनीतिकरण ज्यादा है। जिस तरीके से उन्हें डिसक्वालिफाई किया और सदन में उन्हें ना बोलने देना और पूरा सदन को म्यूट कर देना ये राजनीतिकरण ज्यादा है। राहुल गांधी माफी किस बात की मांगेंगे इस देश में अडानी इतना अमीर क्यों बनता जा रहा है इस बात की माफी मांगे। राहुल गांधी यह कह रहे हैं कि जेपीसी की जांच बैठाओ और अडानी आठ साल में इतना अमीर कैसे हो गए। इस पर प्रधानमंत्री और पूरी भारतीय जनता पार्टी को इतना खौफ क्या है? और आप बता क्यों नहीं देते कि अडानी के साथ आपका रिश्ता क्या है?
उन्होंने आगे कहा कि इन लोगों ने नेहरू को ये तक कहा कि नेहरू के लोग सरनेम गांधी क्यों लगाते हैं इनको शर्म आती है या कोई और कारण है। ये सवाल नरेंद्र मोदी से भी पूछा जाना चाहिए। सांसद में सुचिता होनी चाहिए और सांसद का एक मर्यादा होता है। ये राजनीतिकरण तौर पर है क्योंकि राहुल गांधी से पूरी भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डर गए हैं कि क्योंकि राहुल गांधी सच की बात करते हैं। वह सच का सवाल पूछते हैं और वह बार-बार पूछेंगे। अडानी के बारे में सवाल किया जाएगा। एक अडानी को बचाने के लिए राहुल गांधी को डिसक्वालीफाई कर दिया गया।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल करते हुए कहा कि कितने आपराधिक छवि वाले लोगों को आपने पार्लियामेंट से बाहर किया है। राहुल गांधी अपराधी है, राहुल गांधी क्या है? राहुल गांधी इस देश के माननीय सांसद है, वो वायनाड से सांसद हैं। सबसे बड़ी बात राहुल गांधी उस दादी का पोता है जिसने सीने में गोलियां खाई थी। आप उससे कह रहे हैं कि माफी मांगे वह माफी तो 10 बार मांग लेगा अगर उसने गलती किया होता तो।
तो वहीं कांग्रेस नेता मोहम्मद रफी की बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता वासुदेव मान ने कहा कि आप तो ना कोर्ट को और ना ही देश की कोई इंडिपेंडेंट संस्था को मानते हैं। क्या आपको लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाहर जाकर ये सब कहेंगे। आप झूठ बोलना बंद कीजिए।
एंकर ने कहा कि जार्ज इंडिया बार एसोसिएशन ने कहा कि ये जो फैसला लिया गया वो राष्ट्रपति को रेफर नहीं किया गया और आर्टिकल 103 के तहत राहुल गांधी को मौका नहीं मिला कि उनकी बात को सुनी जाए। इसके जवाब में केशव रंजन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके लिए 2 आर्टिकल 191 और 102 पढ़ने पढ़ेंगे। अगर आप इस सेक्शन को 83 अभिलेख को पढ़ते हैं और उसमें लेजिसलेचर ने जो भाषा का प्रयोग किया है उसमें सेल वर्ड है और सेल जब वर्ड होता है उसमें इंफॉर्मेशन राष्ट्रपति को दी जाती हैं। इसका मतलब यह है कि जब से कनविक्शन हुआ तब से सीट वैकैड हो गया और जब सीट वैकैड हो गया तब जाकर यहां से इंफॉर्मेशन राष्ट्रपति को भेजा जाता है और कंफर्मेशन के लिए नहीं भेजा जाता है। राहुल गांधी को नोटिस भेजने का यहां कोई ऑब्जेक्ट नहीं है क्योंकि इसमें जितनी भी रिक्वायरमेंट है 2 साल की वह पूरा कर रहा है। लेगिसलेचर का जो वर्ड सेल है तो वहां पर नोटिस भेजने का कोई ऑप्शन नहीं है।
एंकर ने कहा कि संसद में जो गतिरोध की स्थिति बनी हुई है उसमें किसको प्राथमिकता मिलनी चाहिए देश की जनता को, देश की अबाम को या फिर सारा विपक्ष बनाम भारतीय जनता पार्टी? इस पर जवाब देते हुए वासुदेव मान, दिल्ली भाजपा ने कहा कि उनको पास कोर्ट का रास्ता बचा हुआ है। कांग्रेस पार्टी को किसी भी इंडिपेंडेंट जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं बचा है। जब भी इनके खिलाफ कोई आएगा और इनके फेवर में कुछ नहीं जाएगा तो कोर्ट खराब हो जाता है। अगर सीबीआई और ईडी इनके खिलाफ जांच करते हैं तो सीबीआई और ईडी को भारतीय जनता पार्टी चलाती है। इस तरह की बयानबाज़ी करते हैं।
आखिर में केशव रंजन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट ने संदेश देते हुए कहा कि कोई भी ऐसा बयानबाजी नहीं किया जाए जिससे कि किसी को आहत हो या किसी व्यक्ति समुदाय का हो या इस देश का हो या समाज का हो। दूसरी बात यह है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन का राइट सबको है लेकिन उनको रिस्ट्रिक्शन को भी ध्यान में रखा जाएं।।