*बैंक यूनियंस और इंडियन बैंक्स एशोसिएशन की केन्द्रीय श्रम आयुकत द्वारा बुलाई वार्ता फेल। 22 अगस्त को बैंकों में हड़ताल। सरकार इस हड़ताल को टाल सकती थी*
बैंक यूनियंस के फोरम यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की 22 अगस्त की प्रस्तावित हड़ताल के लिए केंद्रीय श्रम आयुक्त ने बैंक यूनियंस ओर इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को वार्ता के लिए बुलाया था। लेकिन आई बी ए के द्वारा कोई भी संतोषजनक उत्तर ना मिलने के कारण बैंक यूनियंस 22अगस्त को हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं।
यूनियंस ने 3 अगस्त को हड़ताल का नोटिस दिया था। यदि सरकार गंभीर होती तो बहुत पहले ही यूनियंस के साथ मीटिंग करके हड़ताल को टाल सकती थी लेकिन केंद्रीय श्रम आयुक्त ने हड़ताल से केवल 4 दिन पूर्व वार्ता में लिए बुलाया और उसमे भी सरकार की तरफ से कोई सनतोष जनक उत्तर ना मिलने के कारण बैंक कर्मचारी 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने के लिय मजबूर हैं।
इस हड़ताल का आहवाहन बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्त संघठन , यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने किया है। इसमे 5 कर्मचारियों के और 4 अधिकारी संगठन शामिल हैं और इन संगठनों के 10 लाख बैंक कर्मचारी अधिकारी शामिल होंगे।
हड़ताल की प्रमुख मांगें हैं :
* बैंकों का निजीकरण ना किया जाये।
* बैंको का मर्जर ना किया जाये।
* बैंकों में सभी पदों पर भर्ती की जाये ।
* बैंकों में अनुकंपा आधार पर नियुक्तियां की जाएं।
* नोटबंदि के दौरान किये गये अतिरिक्त काम का ओवरटाइम दिया जाये ।
यदि सरकार इन मांगों को नही मानती तो आने वाले दिनों में और भी हड़ताल हो सकती हैं।