गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में “धर्मांतरण एवं आरक्षण”के विषय पर दो दिवसीय परिचर्चा का होगा आयोजन, पूरी रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (02 मार्च 2023): धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए अथवा नहीं। इस विषय पर चर्चा-परिचर्चा हेतु ग्रेटर नोएडा में दो दिवसीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है। जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संयोजक एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ प्रवेश चौधरी ने बताया कि इस राष्ट्रीय बौद्धिक विमर्श में देश भर के विधिवेता, शिक्षाविद, शोधकर्ता छात्र एवं स्वयंसेवी संगठन भी शामिल हो रहे हैं। हम सब को विदित है की यह विषय सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है।

इस पर समाज की राय जानने हेतु सरकार ने पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन भी किया है। इसी पर विचार विमर्श करने के लिए आगामी 4 और 5 मार्च 2023 को ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में देशभर के बौद्धिक जगत के नाम-चीन लोग जुटेंगे। परिचर्चा का विषय है “धर्मांतरण और आरक्षण”। के.जी. बालाकृष्णन आयोग के विशेष सन्दर्भ में इस दो दिवसीय परिचर्चा में हमारा प्रयास है कि धर्मांतरण और आरक्षण पर बिन्दुवार चर्चा हो।

धर्मांतरित इसाई एवं मुसलमानों को आरक्षण मिले अथवा न मिले इसको लेकर सच्चर कमिटी, रंगनाथ मिश्रा आयोग के गठन और उसकी अनुशंसा के बाद देश में अनुसूचित जाति के बंधुओ के मध्य एक उहा-पोह की स्थिति बनी है। समाज में इस पर एक विस्तृत विमर्श भी हो रहा है।

कुछ लोगों का मानना है कि धर्मान्तरित इसाई एवं मुसलमान हिन्दू धर्म से धर्मान्तरित होने के बावजूद भी अपने सामाजिक स्तर में कोई परिवर्तन नहीं पाते हैं। रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों पर, उसकी वैधता, अध्यन, अध्यन की पद्धति, समय अवधि को लेकर समाज में तमाम प्रश्न खड़े हुए हैं। वहीं देश का बहुसंख्यक समाज यह मानता है की अनुसूचित जाति जिनका धर्म हिन्दू है, ऐसे लोगों को ही तमाम संविधान प्रदत्त सुविधाएँ, प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने इन्हीं प्रश्नों के समाधन हेतु के.जी. बालाकृष्णन आयोग का गठन किया है। ऐसे में समाज के बौद्धिक वर्ग को एक स्वतंत्र मंच देने के लिए ही यह विमर्श आयोजित किया जा रहा है। इस विमर्श की विशेषता यह है कि इसमें सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक राज्य के विश्व-विद्यालयों में पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर, स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष, कुलपति, शोधार्थी एवमं गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। इसमें कई पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता भी सहभागी हो रहे हैं। विश्व संवाद केंद्र एवं गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से आयोजित होने वाले इस विमर्श से निश्चित ही कुछ ऐसे बिन्दु निकलकर आयेंगे जो देश की अखंडता और सामाजिक समरसता के हितार्थ होंगे।।