पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजीज मुशब्बर अहमदी का निधन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (02 मार्च 2023): भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजीज मुशब्बर अहमदी (ए.एम अहमदी) का बृहस्पतिवार सुबह निधन हो गया।

बता दें कि अजीज मुशब्बर अहमदी भारत के 26 वें मुख्य न्यायाधीश थे। जस्टिस ए.एम अहमदी अक्टूबर 1994 से मार्च 1997 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। 25 मार्च 1932 को गुजरात के सूरत में जन्में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजीज मुशब्बर अहमदी का आज बृहस्पतिवार सुबह निधन हो गया।

जस्टिस ए.एम. अहमदी का कार्यकाल

25 मार्च 1932 को गुजरात के सूरत में जन्में ए.एम. अहमदी ने 15 जून 1954 को बंबई उच्च न्यायालय में एक जिला वकील के रूप में कार्यभार ग्रहण की। जिसके बाद 1964 में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के मानपाड़ा में जज के रूप में नियुक्त किया गया। साल 1974 में जस्टिस अहमदी को गुजरात राज्य के कानूनी मामलों का सचिव नियुक्त किया गया,कुछ ही समय के बाद साल 1976 में उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। जिसके बाद साल 1988 में जस्टिस अहमद को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और अक्टूबर 1994 में जस्टिस अहमदी भारत के मुख्य न्यायाधीश बने, ढाई वर्ष की सेवा के उपरांत मार्च 1997 में वो सेवा निवृत हो गए।

महत्वपूर्ण फैसले

समान नागरिक संहिता मामला:

यह मामला उस दौर में काफी चर्चित रहा था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अहमदी ने अपनी सहमति व्यक्त की कि आईपीसी की धारा 304ए ना कि 304(||) , इस अपराध पर लागू होनी चाहिए ( गैर ईरादतन हत्या जो हत्या की कोटि में नहीं आती)

पीआर बोम्मई बनाम भारत केस

पीआर बोम्मई बनाम भारत केस मामले में 356 के तहत नियम लागू करने के लिए राष्ट्रपति के अधिकार और उनके अधिकार के दायरे को निर्धारित करने की आवश्यकता थी। इस पैनल में जस्टिस अहमदी भी शामिल थे, इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्षेत्र में राष्ट्रपति के अधिकार अधिमान्य नहीं थे और राष्ट्रपति इसका उपयोग करने के लिए संसद के दोनों सदनों की सूचनाओं की आवश्यकता होगी।

इंद्र साहनी बनाम भारत संघ:

इंद्र साहनी बनाम भारत संघ मामले में जस्टिस अहमदी समेत अन्य सभी ने यह माना जाता है कि 16(4) ,जो राज्य को विवरण देने की अनुमति देता है।16(1) अपवाद नहीं था, जो यह सुनिश्चित करता है कि रोजगार के सभी मामलों में सभी नागरिकों के पास अवसर की समानता है।

सेवानिवृत होने के बाद

सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत होने के बाद ए.एम. अहमदी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बने। साल 2007 में ए.एम अहमदी फिर एकबार तीन वर्षों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चांसलर बने।।