वेबिनार में पीएम बोले- ‘सरकारी योजनाओं की सफलता की अनिवार्य शर्त है सुशासन’

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (27/02/2023): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी सोमवार को ‘समग्र आवास- सभी के लिए आवास’ पर बजट के बाद वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि “ये परंपरा रही है कि बजट के बाद, बजट के संदर्भ में संसद में चर्चा होती है, लेकिन हमारी सरकार बजट पर चर्चा को एक कदम आगे लेकर गई है। बीते कुछ वर्षों से हमारी सरकार ने बजट बनाने से पहले भी और बाद भी सभी स्टेकहोल्डर से गहन मंथन की नई परंपरा शुरू की है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “हमारे देश में एक पुरानी अवधारणा रही है कि लोगों का कल्याण और देश का विकास सिर्फ धन से ही होता है। देश और देशवासियों के विकास के लिए धन तो जरूरी है ही लेकिन धन के साथ ही मन भी चाहिए। सरकारी कार्यों और सरकारी योजनाओं की सफलता की अनिवार्य शर्त है सुशासन, संवेदनशील शासन, जन सामान्य को समर्पित शासन।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “जब सरकार के काम मेजरेबल होते हैं, उसकी निरंतर मॉनीटरिंग होती है तो उसके डिजायर्ड रिजल्ट भी मिलते हैं। जिस दिन हम ठान लेंगे कि हर मूलभूत सुविधा, हर क्षेत्र में, हर नागरिक तक पहुंचाकर ही रहेंगे, तो देखिएगा कितना बड़ा परिवर्तन स्थानीय स्तर पर कार्य-संस्कृति में आता है। सैचुरेशन की नीति के पीछे यही भावना है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “पहले देश में दूर-दराज़ के इलाकों तक वैक्सीन पहुंचने में कई दशक लग जाते थे। देश के करोड़ों बच्चे को वैक्सीन के लिए इंतजार करना पड़ता था। अगर पुरानी व्यवस्था के साथ काम करते तो वैक्सीनेशन कवरेज को शत-प्रतिशत करने में कई दशक बीत जाते। हमने मिशन इंद्रधनुष शुरू किया और इसे सुधारा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “भारत में जो आदिवासी क्षेत्र हैं, ग्रामीण क्षेत्र हैं, वहां आखिरी छोर तक रीचिंग द लास्ट माइल के मंत्र को ले जाने की जरूरत है। रीचिंग द लास्ट माइल के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बजट में हजारों करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 2019 तक हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 3 करोड़ घरों में ही नल से जल जाता था, अब इनकी संख्या बढ़ कर 11 करोड़ से अधिक हो चुकी है। एक साल में ही 60,000 अमृत सरोवर का काम शुरू हुआ और अब तक 30,000 से अधिक बन चुके हैं। यह अभियान दूर-सुदूर लोगों का जीवन सुधार रहे, जो सालों से ऐसी व्यवस्था का इंतज़ार कर रहे थे।”