अब दिल्ली की सड़कों पर नहीं चलेगी ओला, उबर, रैपिडो की बाइक टैक्सी | पकड़े गए तो देना होगा जुर्माना

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (20/02/2023): राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर अब ओला, उबर और रैपिडो जैसी बाइक टैक्सी नहीं चलेगी। सड़को पर इन कंपनियों की बाइक टैक्सी दिखी तो ड्राइवर के अलावा ऐप कंपनी पर भी जुर्माना लगेगा। दरअसल दिल्ली परिवहन विभाग ने बाइक टैक्सियों को दिल्ली की सड़कों पर चलने के खिलाफ आगाह किया है और चेतावनी दी है कि यह मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लंघन है और इसके लिए एग्रीगेटर्स को बतौर जुर्माना 1 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है।

परिवहन विभाग द्वारा जारी एक सूचना के मुताबिक, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए दोपहिया वाहनों का उपयोग मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लंघन है। पहली गलती पर 5,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है, जबकि गलती दोहराने पर 10,000 रुपये का जुर्माना और एक साल तक की कैद हो सकती है। इतना ही नहीं चालक का लाइसेंस भी 3 महीने के लिए रद्द किया जा सकता है।नोटिस में कहा गया है कि कुछ ऐप-आधारित कंपनियां 1988 के अधिनियम का उल्लंघन करते हुए खुद को एग्रीगेटर के रूप में पेश कर रही हैं। ऐसा करने पर उन्हें भी एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।

बता दें कि दिल्ली सरकार की ओर से जारी चेतावनी के बाद उन लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, जो अपनी निजी गाड़ी का इस्तेमाल ऐप आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए करते हैं, जो कि कानूनी तौर पर गलत है। इस पर लगाम लगाने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने यह नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने की शुरुआत में बाइक टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो को महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाइसेंस देने से इनकार करने के खिलाफ राहत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने माना था कि 2019 में मोटर वाहन अधिनियम में किए गए संशोधनों ने स्पष्ट साफ कर दिया था कि एग्रीगेटर वैध लाइसेंस के बिना काम नहीं कर सकते। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा था कि रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (रैपिडो) राज्य सरकार की 19 जनवरी की उस अधिसूचना को चुनौती दे सकती है, जिसमें कार पूलिंग से ‘गैर-परिवहन वाहन’ के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी। इसमें कहा गया है कि आरटीओ के दिसंबर के आदेश की वैधता राज्य सरकार के बाद के व्यापक फैसले से समाहित हो जाएगी।।