हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कई विदेशी-विरोधी ताकतें या बोफोर्स जैसा मुद्दा ..! 

By डॉ. कृष्ण कुमार झा
नीतिनिर्माता
संस्थापक
एंटी कोरोना टास्क फोर्स

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (04/02/2023): उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर संसद का यह सत्र लगभग ठप्प हो रहा है। अमरीकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने गौतम अडानी के साम्राज्य को पतन की ओर ला दिया है। अडानी की कंपनियों के शेयर में सुनामी मची है। लगातार गिर रहे शेयर से अडानी की नेटवर्थ पर भी बुरा असर पड़ा है। जहां कुछ समय पहले तक वे दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर काबिज थे अब वे टॉप 20 में भी नहीं है। फिलहाल वे 22 वें नंबर पर पहुंच गए हैं। वहीं हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट जारी है। उधर इस मामले में विपक्ष का संसद से लेकर सड़क तक हंगामा जारी है। विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है। इस कारण संसद की दोनों सदनों में जमकर हंगामा होने के कारण संसद की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

इधर,विपक्ष के नेता समझ रहे हैं कि अब उनके हाथ  बोफोर्स की तरह एक जबर्दस्त मुद्दा हाथ लग गया है। पिछले आठ-नौ सालों में मोदी को पटकनी मारने के लिए हमारे नेताओं ने कई हथकंडे अपनाए लेकिन पीएम मोदी का हर दिन जलवा बढ़ता ही गया। अब अडानी के काम-धंधों पर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने उन्हें इतना उत्साहित कर दिया है कि वे संसद का काम-काज ठप्प करने पर उतारु हो गए हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और मोदी पर बनी बी.बी.सी. की फिल्म ने जितना हंगामा खड़ा किया, उससे कहीं ज्यादा बड़ा तूफान आनेवाला है। अब संसद के बाहर भी धरनों, प्रदर्शनों, पत्रकार परिषदों की झड़ी लगनेवाली है लेकिन असली सवाल यह है कि यह मामला क्या मोदी का बोफर्स बन सकेगा? इसमें शक नहीं है कि अडानी और मोदी दोनों गुजराती हैं, दोनों एक-दूसरे से भली-भांति परिचित हैं और दोनों के बीच सीधा संबंध भी है। अडानी की कंपनियों को भारत की सरकारी बैंकों ने जो उधार दिया है, उसके पीछे इन संबंधों की शक्ति से कौन इनकार कर सकता है? लेकिन क्या विरोधी दल प्रमाण देकर यह सिद्ध कर सकेंगे कि अरबों-खरबों रुपये के मोटे कर्ज अडानी को सरकार के इशारे पर दिए गए हैं ?

यदि हमारा विपक्ष इससे कुछ ठोस प्रमाण जुटा सका तो मोदी सरकार बड़ी मुश्किल में फंस जाएगी। लाखों लोगों को शेयर बाजार में जो अरबों-खरबों का नुकसान हो रहा है, क्या वे लोग चुप बैठेंगे ? अभी से उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया है। उनमें से कुछ मुखर लोग जमकर विपक्ष का साथ देंगे और सरकार-विरोधी रहस्योद्घाटन में शामिल हो जाएंगे। कोई आश्चर्य नहीं कि कुछ अफसर भी मजबूरन इन रहस्योद्घाटनों में शामिल हो जाएं। वे अपनी जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अभी तो रिजर्व बैंक और सरकारी नियामक संस्थाओं ने अडानी समूह के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए हैं।

गौतम अडानी के शेयरों की कीमत रोज़ गिर रही है। सरकार अपनी खाल बचाने के लिए अडानी-समूह के खिलाफ जांच बिठा देगी, उसे अपनी खाल बचाने का एक बहाना मिल जाएगा। विदेशों में भी इस ग्रुप की साख पर आंच आ रही है। उसके कारण मोदी और भारत की स्वच्छ छवि पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। हो सकता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कोई मोदी-विरोधी ताकतें भी सक्रिय हों लेकिन मोदी सरकार यदि अपनी स्वच्छता के ठोस प्रमाण नहीं दे सकी तो कोई आश्चर्य नहीं कि यह हिंडनबर्ग रपट बोफोर्स-जैसी बन जाए। बहराल विपक्षी नेताओं का कहना है कि शेयर बाजार का यह अमृतकाल का सबसे बड़ा महाघोटाला है।

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