मोदी सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस | कांग्रेस प्रवक्ता ने किए सनसनीखेज खुलासा

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (02/02/2023): कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सारे नियम कायदे ताक पर रखकर एक आदमी को मोदी जी ने पाल पोसकर बड़ा किया लेकिन आज क्या हुआ। यह मोदी जी और अडानी के बीच का मामला होता तो हमें कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन आज यह मामला भारतवासियों के खून पसीने की कमाई का है, जो खतरे में पड़ चुकी है।

पवन खेड़ा ने कहा कि अडानी जी के ‘Prime Mentor’ हैं पीएम मोदी। वो अभी एक दम चुप हैं।मोदी जी आप अपने ‘परम मित्र’ को धोखा देते हैं या नहीं वो आप जानिए। पर भारत के निवेशकों, LIC के पॉलिसी होल्डर्स और SBI के खाता धारकों को धोखा मत दीजिए। आपकी चुप्पी बताती है आप धोखा दे रहे हैं।

पवन खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर ऐसे चुप्पी साधी हुई है, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी जी से हम कहना चाहते हैं कि आप अपने परम मित्र को धोखा दीजिये, हमें उससे कोई मतलब नहीं है, पर कम से कम भारत के निवेशकों, LIC के 29 करोड़ पॉलिसी होल्डर और SBI के 45 करोड़ खाता धारकों को तो धोखा मत दीजिये। आज देश को 3 बड़े तथ्य मालूम हैं।

पहला, अमरीका की प्रतिष्ठित हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अडाणी समूह पर इस देश के अब तक के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का इलज़ाम लगाया है – जिसमें 42 गुना ओवरवैल्यूड शेयर, डेब्ट फ्यूएलड बिज़नेस, अडाणी परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर मॉरीशस, यूएई और कैरेबियन द्वीप समूह जैसे टैक्स-हेवन में बेनामी शेल कंपनियां के एक विशाल मायाजाल द्वारा अरबों रुपये के काले धन का खुलासा किया है और इंसाइडर ट्रेडिंग, स्टॉक मैनीपुलेशन के गंभीर आरोप लगाएं हैं।

दूसरा, LIC और SBI जैसे सरकारी संस्थानों में अडाणी समूह का बेहद जोखिम भरा लेन-देन और निवेश मोदी सरकार द्वारा किया गया है।

LIC का आधिकारिक रूप से कहना है कि LIC का अडाणी में इक्विटी एक्सपोजर ₹56,142 करोड़ है। पिछले कुछ दिनों से जब अडाणी के शेयर गिर रहें हैं तब से अब तक LIC के 39 करोड़ पॉलिसी धारकों और निवेशकों के ₹33,060 डूब चुके हैं।

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) और अन्य भारतीय बैंकों ने अडाणी समूह को ऋण दिया है। अडानी समूह पर भारतीय बैंकों का करीब ₹80,000 करोड़ का कर्ज है, जो समूह के कुल कर्ज का 38% है। उसमें से, निजी बैंकों का जोखिम कुल समूह ऋण के 8% है, जबकि सरकारी बैंकों के पास समूह ऋण का 30% है।

तीसरा, और शायद अब तक का सबसे सनसनीखेज़ ख़ुलासा जिस पर अब तक भारतीय मीडिया ने भी ध्यान नहीं दिया है, वो है, चांग चुंग-लिंग -एक चीनी बिजनेसमैन संदिग्ध गतिविधियों से भारतीय जाँच एजेंसी वाकिफ़ हैं – उसके और अडाणी समूह में क्या रिश्ता है ?

चांग चुंग-लिंग गुडामी इंटरनेशनल नाम की एक संस्था चलाता है (या चलाता था) हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि गुडामी इंटरनेशनल पीटीई लिमिटेड को अडाणी समूह के रत्नों के कथित परिपत्र व्यापार में सरकारी धोखाधड़ी की जांच के हिस्से के रूप में पहचाना गया था और चांग चुंग-लिंग और विनोद अडाणी के सिंगापुर के घर का पता एक ही है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण मामला है, न केवल शेयरधारकों के लिए बल्कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी।

अब सिटीग्रुप की धन शाखा ने अडाणी सिक्योरिटीज को मार्जिन ऋणों के लिए संपार्श्विक के रूप में स्वीकार करना बंद कर दिया है। कल क्रेडिट सुइस ने कहा था कि वह अडाणी ब्रांड को संपार्श्विक के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी सरकार ने किस तरह से अपने परम मित्र अडाणी की मदद की है। अडाणी समूह के डूबने से देश की संपत्ति दांव पर है, करोड़ों निवेशकों की, करोड़ों पॉलिसी होल्डर्स की गाढ़ी कमाई ख़तरे में है।

इस परिपेक्ष्य में कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार से ये 3 ज़रूरी माँग करती है।

1. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के देख-रेख में एक निष्पक्ष जांच हो, जिसकी रिपोर्ट दिन-प्रतिदिन सार्वजनिक हो।

2. हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की विस्तार से जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए।

3. LIC, SBI और अन्य राष्ट्रीय बैंकों में जो अडाणी का जोख़िम भरा निवेश है उसपर संसद में गहन रूप से चर्चा की जाये और निवेशकों को सुरक्षित करने के लिए उचित क़दम उठाये जाएँ।

पवन खेड़ा ने कहा कि हम सबसे ज़रूरी बात कहना चाहतें हैं। हमारे नेता श्री राहुल गाँधी जी जब “सूट बूट की सरकार”, “हम दो, हमारे दो” और अब “मित्र काल” की बात करतें हैं तो वो किसी विशेष उद्योगपति की बात नहीं करते – वे उस सिस्टम की बात करतें हैं जो मोदी जी ने अपने चुनिंदा मित्रों को देश की मूल्यवान संपत्ति को लूटने के लिए इजात किया है। हम भारतीय कॉरपरेट जगत के ख़िलाफ़ नहीं है, हम क्रोनी कैपिटलिज़्म के ख़िलाफ़ है। चुनिंदा अरबपतियों को जब नियम बदलकर फ़ायदा पहुँचाया जाता है, हम उसके ख़िलाफ़ हैं।।