मोदी सरकार की चुप्पी ने चीन का हौसला बढ़ाया: पवन खेड़ा, कांग्रेस

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (27/01/2023): कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस वार्ता में कहा कि हाल ही में दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल ने भाग लिया और चीन के साथ एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हो रहा था, उसके प्रति मोदी सरकार की पूर्ण उदासीनता के सच को उजागर किया।

चर्चा के लिए प्रस्तुत एक विस्तृत सिक्योरिटी रिसर्च पेपर में भारत के क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे के प्रति मोदी सरकार की स्तब्ध कर देने वाली उदासीनता के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पेपर द्वारा किए गए निम्नलिखित खुलासे, एक बार फिर उन सवालों की सत्यता को स्थापित करते हैं जो कांग्रेस पार्टी चीन के खिलाफ लगातार उठा रही है।

भारत ने अब 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स (पीपी) में 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अपना अधिकार खो दिया है। मई 2020 से पहले भारत सभी 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर पेट्रोलिंग करता था। मई 2020 में गलवान में हमारे 20 बहादुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, जिसपर मोदी जी ने चीन को क्लीन चिट दे दी थी।

पवन खेड़ा ने कहा कि पेपर में कहा गया है –  “वर्तमान में, काराकोरम दर्रे से लेकर चुमुर तक 65 पीपी हैं, जिन्हें आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाना है। 65 पीपी में से, 26 पीपी (यानी पीपी नंबर 5-17, 24-32, 37, 51,52,62) में हमारी उपस्थिति प्रतिबंधात्मक या आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बलों) द्वारा गश्त नहीं करने के कारण खो गई है। बाद में, चीन हमें इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है।

इन क्षेत्रों में लंबे समय से आईएसएफ या नागरिकों की उपस्थिति नहीं देखी गई है, पर चीनी इन क्षेत्रों में मौजूद थे। इससे भारतीय सीमा की ओर आईएसएफ के नियंत्रण में सीमा में बदलाव होता है और ऐसे सभी पॉकेट में एक बफर जोन बनाया जाता है। जिससे भारत इन क्षेत्रों पर नियंत्रण खो देता है।  इंच दर इंच जमीन हड़पने की पीएलए की इस चाल को “सलामी स्लाइसिंग” के नाम से जाना जाता है।

पीएलए ने सबसे ऊंची चोटियों पर अपने बेहतरीन कैमरे लगाकर बफर क्षेत्रों का लाभ उठाया है और भारतीय बलों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। ये डीस्केलेशन वार्ता का उल्लंघन है। यही अजीबोगरीब स्थिति चुशुल में ब्लैक टॉप, हेलमेट टॉप पहाड़ों, डेमचोक, काकजंग, हॉट स्प्रिंग्स में गोगरा हिल्स और चिप चिप नदी के पास देपसांग मैदानों में देखी जा सकती है।

पवन खेड़ा ने कहा कि रिसर्च पेपर ने कहा है – “सितंबर 2021 तक, जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी डीबीओ सेक्टर में काराकोरम दर्रे (दौलत बेग ओल्डी से 35 किमी) तक आसानी से गश्त कर रहे थे।, हालांकि, दिसंबर 2021 में भारतीय सेना द्वारा DBO पर चेक पोस्ट के रूप में स्वतः प्रतिबंध लगाए गये थे जिससे काराकोरम पास तक जाने की रोक लगे। पीएलए ने स्पेशल कैमरे लगाए है जिससे भारतीय सैनिकों की गतिविधियों पर नज़र रखी जाए।

पवन खेड़ा ने कहा कि बिना फ़ेंस वाली सीमाएं चांगथांग क्षेत्र (रेबोस) के खानाबदोश समुदाय के लिए चरागाह के रूप में काम कर रही हैं और समृद्ध चरागाहों की कमी को देखते हुए, वे परंपरागत रूप से पीपी के करीब के क्षेत्रों में उद्यम करते हैं।

पेपर ने स्पष्ट रूप से कहा है – “2014 के बाद से, आईएसएफ द्वारा रेबोस पर चराई प्रतिबंध लगाया गया है और इससे कुछ नाराजगी हुई है। भारतीय सैनिकों को विशेष रूप से पीएलए द्वारा आपत्ति की जा सकने वाली उच्च पहुंच पर रेबोस की आवाजाही को रोकने के लिए भेस बदलकर तैनात किया जाता है और इसी तरह डेमचोक, कोयल जैसे सीमावर्ती गांवों में विकास, कार्य जो पीएलए की प्रत्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में हैं, जिसपर पीएलए द्वारा तुरंत आपत्ति जताई जा सकती है।

पवन खेड़ा ने कहा कि इन नए खुलासों के संदर्भ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूछती है पहला मिलिट्री टॉक्स के 17 राउंड के बाद, मोदी सरकार ने 3 साल बाद फिर से यथास्थिति सुनिश्चित क्यों नहीं की?

दूसरा सवाल राष्ट्रीय कांग्रेस का है कि इस तथ्य को देखते हुए कि एक ‘डीजीपी स्तर’ के पेपर ने इस अति संवेदनशील मुद्दे को उजागर किया है, क्या मोदी सरकार देश को बताएगी कि उसने भारत के अधिकारिक भूभागों को चीन के हवाले क्यों कर दिया है?

तीसरा सवाल कांग्रेस पार्टी पूछती है कि मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया, क्या मोदी सरकार देश को अंधेरे में रखेगी या देश को चीन के अवैध कब्जे की सच्चाई बताएगी?

पवन खेड़ा ने कहा कि हम संसद के आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग करते हैं। भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता दांव पर है और इसे बनाए रखने के लिए हमें मिलकर हर संभव प्रयास करना चाहिए। चीन को “क्लीन चिट” बहुत हो गई, अब मोदी सरकार को चीन पर “क्लीन” होने का समय आ गया है!