सरकारी पेंशनर्स ने जंतर मंतर पर दी आत्महत्या की चेतावनी, जानें क्या है पूरा मामला

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (05/01/2023): उत्तराखंड गवर्नमेंट पेंशनर्स संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने टेन न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि, महज़ पेंशन से असंवैधानिक कटौती को बन्द किए जाने को लेकर चलाया गया यह आन्दोलन अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है। तड़ियाल ने कहा कि, सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के नाम पर पैंशनभोगियों की सहमति लिए बगैर उनकी पेंशन से 250, 450 ,650, व 1000 रुपए की मासिक कटौती कर दी।

शुरू के दिनो में पेंशनर्स इस योजना को लेकर उत्साहित थे उन्हें लगा बुढ़ापे में यह योजना उनके लिए सहारा बनेगी और उन्हें किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा धीरे-धीरे इस योजना की पोल खुल गई पेंशन से कटौती को पूरे दो साल हो गए हैं। अभी तक 90 प्रतिशत लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं। जिसके जरिए पेंशनर्स का इलाज होना है अभी तक अस्पतालों के साथ एमओयू नहीं हुआ है। जिनके गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। उन्हें यहां के सरकारी अस्पताल भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

पेंशन से वसूली गई धनराशि की बंदरबांट हो रही है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की पहली वर्षगांठ पर ही 59,37,008 रुपए खर्च किए गए केवल प्रचार प्रसार पर 2,84,77,600 रुपए खर्च हुए 6,52,333.50 रुपए मासिक किराये पर एक आफिस लिया गया। अस्पतालों में डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मचारी तक को प्रोत्साहन राशि इसी पैसे से दी जानी है।

भारी भरकम स्टाफ को सेलरी व तमाम तरह के खर्चे भी पेंशन से वसूली गई धनराशि से ही पूरे किए जाने हैं। यहां के पेंशनरों को ब्रिटिश काल से मिलने वाली चिकित्सा प्रतिपूर्ति की व्यवस्था को समाप्त किया गया है यहां तक कि, केन्द्र सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान भारत योजना से भी यहां के पैंशनर्स को वंचित कर दिया गया है।

 

आज यहां पेंशनर्स/ सीनियर सिटीजन के इलाज के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं पिछले दो वर्षों से राज्य के पैंशनर्स इस अन्याय के खिलाफ सड़कों पर हैं परन्तु सरकार के कान में जू तक नहीं रेंग रही है। श्री तड़ियाल ने कहा कि, सरकार ने उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण नाम का यह चोर दरवाजा पेंशनरों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बजाय अपनी अय्याशी के लिए डिजाइन किया है।

प्रदेश के महालेखाकार कार्यालय भी इसके खर्चे की जांच नहीं कर सकता है। लम्बी लड़ाई के बाद भी जब सरकार ने एक नहीं सुनी तो थक-हार कर पेंशनर्स संगठन इस अन्याय के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गए मा० उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा एक जनहित याचिका में 15 दिसंबर, 2021 व एक अन्य याचिका में 21 दिसंबर, 2021 को स्थगन आदेश पारित किए गए मा० न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में दिसंबर की पेंशन से ही कटौती बन्द हो गई कटौती के बन्द हो जाने से प्राधिकरण में भुखमरी की स्थिति हो गई।

25 अगस्त, 2021 को प्राधिकरण द्वारा एक इश्तिहार निकाला गया जिसमें कहा गया कि, जो पेंशनर्स एक माह के अंदर ‘न’ में अपना विकल्प नहीं देंगे उन्हें ‘हां’ मानते हुए योजना में सम्मिलित कर लिया जायेगा और उनके पेंशन से जनवरी 2021 से ही मासिक अंशदान की कटौती कर ली जाएगी इस तरह धोखे से सितंबर 2021 की पैंशन से पूरे दस महीने की एकमुश्त कटौती की गई एक अनुमान के मुताबिक केवल सितंबर महीने में ही करीब एक अरब रुपए प्राधिकरण ने वसूल कर लिये एक साल से मा० न्यायालय में भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

तड़ियाल ने कहा कि, हमारे संगठन द्वारा मा० उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना को लेकर पिछले दिसंबर महीने में मा0 उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर किया गया 16 दिसंबर को हुई सुनवाई में मा० न्यायालय द्वारा हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया परन्तु अगली सुनवाई की तिथि 5 अप्रैल, 2023 रखी गई है मा० न्यायालय के मौजूदा आदेश से प्राधिकरण को वसूली के लिए पांच महीने का और समय मिल गया है। अवमानना जैसे अपराधिक मामले में पांच महीने का लम्बा समय दिए जाने से पेंशनर्स के अंदर न्याय पाने की उम्मीद को धक्का लगा है।

न्याय पाने की उम्मीद में अभी तक दर्जनों पेंशनर्स स्वर्ग सिधार चुके हैं। सरकार के इन काले कारनामों को राष्ट्रीय फलक पर उठाने के लिए आज़ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रर्दशन के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री व महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन दिया जा रहा है।।