टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, (12/12/2022): दिल्ली के जंतर-मंतर पर थल सेना, जल सेना, और वायु सेना के रिटायर सैनिकों ने आज केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। जिसमें सरकार से कुछ मुख्य मांगे रखी है।
क्या है पूर्व सैनिकों की मांग
धरने में शामिल पूर्व सैनिकों ने सरकार के समक्ष कुछ मांगे रखी है, जैसे कि ओआरओपी की पहली किस्त का भुगतान उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार यथाशीघ्र किया जाए। सीएपी (सशस्त्र बल कर्मियों के बच्चे) कोटा आईआईएम और आईआईटी में लागू किया जाए।
सभी भर्ती विज्ञापन भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों को अधिसूचित किया जाना है, वे केवल मौजूदा नीतियों के अनुसार उल्लेख कर रहे हैं, यह उम्मीदवारों को अस्पष्टता की ओर ले जाता है। सभी जनपदों में पूर्व सैनिकों के कल्याण हेतु पुलिस अधीक्षक पृथक प्रकोष्ठ। आजकल कई भूतपूर्व सैनिकों पर नागरिक जनता द्वारा हमला किया जाता है।
ZSWO के सभी कर्मचारियों को पूर्व सैनिकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए SPARSH (सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन (रक्षा)) के लिए प्रशिक्षित किया जाए। भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए पृथक अत्याचार अधिनियम लागू किया जाए। विभाजित आंध्र प्रदेश के लिए अलग सेना छावनी।
पूरे देश में सेवारत, आरक्षित, पूर्व सैनिक कर्मियों और उनके आश्रितों की कुल संख्या 1.5 करोड़ तक पहुंच गई है, जो कि भारत की जनसंख्या का 1% से अधिक है। इसलिए अनुच्छेद 80(1) और 83(ए) के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित 12 राज्यसभा सदस्यों में से एक सदस्य भूतपूर्व सैनिक होना चाहिए और राज्यपालों द्वारा राज्य में एमएलसी। इससे भारत का प्रमुख समाज विधायिका में भाग ले सकता है।।