विश्‍व गुरू बनने की राह पर सशक्‍त कदम

डॉ अनिल कुमार निगम

जी-20 का नेतृत्‍व मिलने के साथ ही भारत ने विश्‍व को नेतृत्‍व प्रदान करने की दिशा में एक और सशक्‍त कदम बढ़ा दिया है। समृद्ध ज्ञान परंपरा और संस्‍कृति का प्रतिनिधित्‍व करने वाले भारत के पास विश्‍व गुरू के रूप में खुद को साबित और स्‍थापित करने का एक स्‍वर्णिम अवसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से घोषणा की है कि 50 से अधिक शहरों में 200 से ज्यादा आयोजन किए जाएंगे, उससे यह आभास हो रहा है कि प्रधानमंत्री जी-20 में भारत की भूमिका को लेकर बेहद सजग और सतर्क हैं।

भारत में अगले वर्ष 9 और 10 सितंबर को जी-20 सम्‍मेलन आयोजित होगा। पहली दिसंबर से इसकी अध्‍यक्षता की जिम्‍मेदारी भारत को मिल चुकी है। ध्‍यातत्‍व है कि विश्‍व की आबादी का छठा हिस्‍सा भारत में रहता है और यहां भाषाओं, धर्मों,रीति-रिवाज और विश्‍वास की विशाल विवि‍धता है। जी-20 एक वैश्विक आर्थिक सहयोग का बड़ा एवं प्रभावशाली संगठन है। यह विश्‍व की जीडीपी का लगभग 85 प्रतिशत, व्‍यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्‍व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्‍व करता है। जिस तरीके से संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की भूमिका नाममात्र की रह गई है, उसे देखते हुए आगामी समय में जी-20 की भूमिका अधिक सशक्‍त होने संभावना बढ़ी है। वैश्विक स्‍तर पर विभिन्‍न देशों ने न केवल भारत का लोहा स्‍वीकार किया है बल्कि उनको भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं।

जी-20 की अध्‍यक्षता के माध्‍यम से भारत को विश्‍व में अपनी छवि मजबूत बनाने का सुअवसर मिला है। हालांकि इसकी शुरुआत भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इंडोनशिया में आयोजित जी-20 शिखर सम्‍मेलन से कर दी है। उन्‍होंने इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्‍सों में बने स्‍वदेशी उत्‍पाद के तोहफ न केवल दिग्‍गज नेताओं को भेंट किए बल्कि जी-20 का 2023 का लोगो जारी किया‍, जिसमें भारत के राष्‍ट्रीय फूल कमल को शामिल कर विश्‍व को संदेश भी दे दिया कि जी-20 पर भारत की गहरी छाप पड़ने वाली है। प्रधानमंत्री ने कमल के फूल को निरंतर प्रगति का प्रतीक बताया है।

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ एक बार फिर ‘नख दंत’ विहीन संस्‍था साबित हो गई है। द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद वर्ष 1945 में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ का गठन विश्‍व में शांति बनाए रखने के लिए किया गया था। लेकिन 1945 के बाद खाड़ी युद्ध,  अफगानिस्‍तान पर आक्रमण, तिब्‍बत पर चीन का अ‍तिक्रमण, भारत-चीन, भारत-पाकिस्‍तान, करगिल युद्ध जैसे अनेक युद्ध हो चुके हैं। लेकिन संयुक्‍त राष्‍ट्र इन युद्धों को रोकने में पूरी तरह से नाकारा साबित हुआ है। यही कारण है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की उपयोगिता पर बार-बार सवाल उठता रहा है।

आज भारत विश्‍व की तीव्र गति से बढ़ती हुई अर्थव्‍वस्‍था बन चुका है। वर्ष 2020 में कोविड महामारी का प्रकोप जिस तरीके से भारत में आया था, उससे ऐसा आभास हो रहा था कि 133 करोड़ की आबादी में बहुत ज्‍यादा लोग काल कवलित होंगे, लेकिन भारत ने जिस तरीके से खुद को संभाला, उसे संपूर्ण विश्‍व समुदाय देखा। उसके पश्‍चात भारत ने कोविड महामारी से निपटने के लिए कोविड वैक्‍सीन न केवल अपने नागरिकों को बचाने के लिए विकसित की बल्कि अपने पड़ोसी राज्‍यों सहित विश्‍व के अनेक देशों को खेपें भेजकर वसुधैव कुटुम्‍बकम् का संदेश दिया।

यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर विश्‍व समुदाय को भारत से बहुत अपेक्षाएं रही हैं। रूस भारत का पारंपरिक मित्र रहा है। भारत और रूस के बीच में रक्षा और व्‍यापार संबंधी अत्‍यंत सशक्‍त संबंध रहे हैं। अमेरिका और नाटो देशों ने रूस पर अनेक आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। बाजवूद इसके भारत ने रूस से क्रूड आयल खरीदा। यही नहीं, इंडानेशिया में जी-20 की सम्मिट के दौरान रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन से भेंट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यहां तक कह दिया कि यह समय युद्ध का नहीं है, युद्ध किसी समस्‍या का समाधान नहीं है, समस्‍याओं का हल बातचीत से निकाला जाना चाहिए।

वास्‍तविकता तो यह है कि इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर आयोजित जी-20 देशों की शिखर बैठक में दुनिया को महाशक्ति बनने की ओर बढ़ते भारत की एक शानदार झलक देखने को मिली। जी-20 की अध्‍यक्षता मिलने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि हम सब मिलकर जी-20 को विश्‍व कल्‍याण का प्रमुख स्रोत बना सकते हैं। नि:संदेह, जी-20 की अध्‍यक्षता मिलना वैश्‍विक फलक पर जहां भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है, वहीं अगला एक वर्ष नई दिल्‍ली के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण और अवसर प्रदान करने वाला होने जा रहा है।

जी-20 में भारत, जर्मनी, जापान, इटली, रूस, अमेरिका, कनाडा,  अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, चीन, दक्षिण कोरिया,  मैक्सिको, साउदी अरब, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका,  इंडोनशिया, तुर्की और येरापीय संघ शामिल हैं। ये विश्‍व के सभी प्रमुख सशक्‍त देश हैं, जिसमें भारत की बहुत अहम भूमिका होने वाली है। भारत ने 2023 के शिखर सम्‍मेलन में बांग्‍लादेश, मारिशस, मिस्र, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर और यूई को अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया है। यह भारत की दूरदर्शिता को दर्शाता है।

अंतत: मैं यह कह सकता हूं कि जिस तरीके से संयुक्‍त राष्‍ट्र की भूमिका नगण्‍य हुई है, उस शून्‍य को भरने का काम जी-20 करेगा और इसका नेतृत्‍व भारत के पास आने के चलते न केवल इसकी भूमिका सशक्‍त होगी बल्कि भारत विश्‍व फलक पर एक विश्‍व गुरू के तौर पर अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम होगा।